World Hepatitis Day 2023: प्रेगनेंसी के दौरान महिला हो जाए हेपेटाइटिस-बी की शिकार तो क्या कॉम्प्लीकेशंस आएंगे सामने?
Hepatitis Day 2023: हेपेटाइटिस की बीमारी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है. अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला हेपेटाइटिस-बी की शिकार हो जाए, तो उसके लिए कौन से कॉम्प्लीकेशंस सामने आ सकते हैं? यहां जानिए इसके बारे में.
प्रेगनेंसी के दौरान महिला हो जाए हेपेटाइटिस-बी की शिकार तो क्या कॉम्प्लीकेशंस आएंगे सामने?
प्रेगनेंसी के दौरान महिला हो जाए हेपेटाइटिस-बी की शिकार तो क्या कॉम्प्लीकेशंस आएंगे सामने?
विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day) हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है. ये दिन हेपेटाइटिस जैसी घातक बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने का दिन है. हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी समस्या है, जिसके कारण लिवर में सूजन आ जाती है. इसके 5 प्रकार बताए गए हैं हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई. इनमें से हेपेटाइटिस-बी को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. हर साल दुनियाभर में लाखों लोग हेपेटाइटिस के कारण अपनी जान गंवाते हैं. ये बीमारी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है. अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला हेपेटाइटिस-बी की शिकार हो जाए, तो उसके लिए कौन से कॉम्प्लीकेशंस सामने आ सकते हैं? यहां जानिए इसके बारे में.
मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक
प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस-बी महिला और उसके बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है. इसके कारण गर्भवती महिला के बच्चेदानी की झिल्ली फट सकती है. इसके अलावा जन्म से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है. डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग बढ़ सकती है, लिवर से जुड़ी कोई लंबी बीमारी हो सकती है और भ्रूण के विकास में रुकावट आ सकती है. इतना ही नहीं, जन्म के समय संक्रमित मां से ये बीमारी बच्चे तक भी पहुंच सकती है. इसलिए हर प्रेगनेंट महिला को प्रेगनेंसी के समय हेपेटाइटिस की जांच जरूर करानी चाहिए.
हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित महिला बच्चे को फीड करवा सकती है?
जाहिर है कि ज्यादातर लोगों के मन में ये भी सवाल होगा कि क्या हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित महिला बच्चे को फीड करवा सकती है? तो इसका जवाब है हां. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (2018) के अनुसार हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित महिला बच्चे को फीड करा सकती है. संक्रमित महिला को बच्चे को छह माह तक फीड हर हाल में कराना चाहिए. नवजात में इसके संक्रमण को रोकने के लिए जन्म के 12 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाया जाता है.
हेपेटाइटिस की वजह
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हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन या पानी के कारण होते हैं. हेपेटाइटिस बी किसी संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है जैसे ब्लड के ट्रांसफ्यूजन, असुरक्षित इंजेक्शन, असुरक्षित यौन संपर्क आदि से फैल सकता है. हेपेटाइटिस सी इन्फेक्टेड ब्लड और इंजेक्शन के कारण हो सकता है. हेपेटाइटिस-डी वायरस (HDV) के कारण होता है. जो लोग पहले से एचबीवी वायरस के इन्फेक्टेड होते हैं वे ही इस वायरस से संक्रमित होते हैं.
वैक्सीन से हो सकता है बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस संक्रमण का वैक्सीन के जरिए बचाव किया जा सकता है. WHO की एक स्टडी के अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों में समय से पहले होने वाली 45 लाख मौतों को टीकाकरण, सही समय पर जांचें व दवाएं लेने से और जागरूकता अभियान के माध्यम से रोका जा सकता है.
हेपेटाइटिस ए और बी वैक्सीन
हेपेटाइटिस ए और बी वायरस को रोकने के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध हैं, जबकि हेपेटाइटिस सी वायरस को रोकने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. हेपेटाइटिस बी के वैक्सीन, हेपेटाइटिस डी को भी सुरक्षा प्रदान करते हैं. हेपेटाइटिस-ई संक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन विकसित किए गए हैं, लेकिन व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं.
इनपुट- PBNS
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01:42 PM IST