Sikkim Cloudburst: किसी गुब्बारे की तरह नहीं फटते हैं बादल, ये बस एक तकनीकी शब्द है...जानिए क्या होता है बादलों का फटना
अगर आप सोचते हैं कि बादल किसी गुब्बारे की तरह अचानक से कहीं पर फट जाता होगा, तो ऐसा नहीं है. ये सिर्फ एक तकनीकी शब्द है जिसका इस्तेमाल मौसम वैज्ञानिक करते हैं. आसान शब्दों में समझिए क्या होता है बादलों का फटना.
किसी गुब्बारे की तरह नहीं फटते हैं बादल, ये बस एक तकनीकी शब्द है...जानिए क्या होता है बादलों का फटना
किसी गुब्बारे की तरह नहीं फटते हैं बादल, ये बस एक तकनीकी शब्द है...जानिए क्या होता है बादलों का फटना
आज सिक्किम में बादलों के फटने से अचानक तबाही मच गई. तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई और इस बाढ़ में सेना के 23 जवान लापता बताए जा रहे हैं. ज्यादातर बादल फटने की घटना पहाड़ी क्षेत्र में होती है और जब भी बादल फटते हैं, हर तरफ भयावह मंजर नजर आता है. लेकिन अगर आप सोचते हैं कि बादल किसी गुब्बारे की तरह अचानक से कहीं पर फट जाता होगा, तो ऐसा नहीं है. ये सिर्फ एक तकनीकी शब्द है जिसका इस्तेमाल मौसम वैज्ञानिक करते हैं. आइए आपको आसान शब्दों में बताते हैं कि क्या होता है बादलों का फटना.
आसान भाषा में समझिए बादलों का फटना
दरअसल बादल फटने का मतलब है अचानक से एक जगह पर बहुत ज्यादा तेज बारिश होना. IMD के अनुसार, अगर एक जगह पर एक घंटे में 100 MM बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है. ये ठीक उस तरह से है, जैसे अगर पानी से भरे हुए गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह पर गिर जाता है. ऐसा ही बादलों के फटने पर होता है. एक ही जगह पर जरूरत से ज्यादा तेज बारिश होने से काफी सारा पानी हो जाता है, जो इलाके में हालात बिगाड़ देता है. इस कारण से वैज्ञानिकों ने इस घटना को Cloudburst या Flash Flood का नाम दिया है.
क्यों अक्सर पहाड़ों पर होती है ये घटना
आपने देखा होगा कि बादल फटने की घटना अक्सर पहाड़ी इलाकों में होती है. जब बहुत ज्यादा नमी वाले बादल किसी क्षेत्र में इकट्ठे हो जाते हैं तो वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिलती हैं. इसके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और अचानक से बहुत तेज बारिश शुरू हो जाती है. ये घटना पहाड़ों पर अधिकतर देखने को मिलती है क्योंकि पानी से भरे बादल जब हवा के साथ उड़ते हुए पहाड़ों से गुजरते हैं तो कई बार उनके बीच फंस जाते हैं और पहाड़ों की ऊंचाई के कारण ये आगे नहीं बढ़ पाते हैं. पहाड़ों के बीच फंसते ही ये बादल पानी में परिवर्तित हो जाते हैं और एक ही जगह पर बरसने लगते हैं. चूंकि बादलों की डेंसिटी पहले से काफी ज्यादा होती है, इस कारण बारिश बहुत ज्यादा तेज होती है और बादल फटने की घटनाएं सामने आती हैं.
क्यों खतरनाक होता है बादलों का फटना
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
Adani Group को एक ही दिन में दूसरा झटका! NSE ने ग्रुप कंपनियों से मांगी सफाई, ₹2.45 लाख करोड़ का मार्केट कैप स्वाहा
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
जब भी पहाड़ों पर बादल फटते हैं भयानक स्थितियां पैदा हो जाती हैं. इसका कारण है कि पहाड़ों पर ढलान वाले रास्ते होते हैं, ऐसे में पानी रुक नहीं पाता बल्कि तेजी से नीचे की ओर बहता है. तेज स्पीड से बहता ये पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़, पत्थरों के साथ-साथ पशु, इंसान या जो भी चीजें सामने आती हैं, सबको बहाकर ले जाता है. इस पानी के कारण नदी, नालों में अचानक से जलस्तर बढ़ जाता है और बाढ़ के हालात पैदा हो जाते हैं. साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने की घटना को आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
11:15 AM IST