बीते कुछ वर्षों में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस को लेकर तमाम लोग जागरुक हुए हैं. लेकिन Critical Illness Insurance को लेकर लोगों को ज्‍यादा जानकारी नहीं है. क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस प्‍लान (Critical Illness Insurance Plan) कैंसर, हार्टअटैक जैसी क्रिटिकल कंडीशन में आपका साथ निभाता है. आज के समय में जिस तरह का लाइफस्‍टाइल लोग जी रहे हैं, ऐसे में ये कंडीशन कब किसके सामने आ जाएं कुछ नहीं कहा जा सकता. 

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एक बार अगर ऐसी समस्‍या किसी के सामने आती है, तो इलाज में इतना पैसा खर्च होता है कि इंसान कई बार बर्बादी की कगार पर भी पहुंच जाता है. लेकिन अगर आप पहले से अपने पास इस तरह के इंश्‍योरेंस प्‍लान को रखते हैं, तो ऐसे क्रिटिकल हालातों से आप फाइनेंशियली आसानी से फाइट कर लेंगे. ऐसे में आप मरीज को बेहतर इलाज भी दिला पाएंगे और खुद भी Financial Crisis नहीं झेलेंगे. यहां जानिए क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस प्‍लान के बारे में-

क्‍यों जरूरी है क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस

क्रिटिकल इलनेस इंश्‍योरेंस में हार्ट अटैक, कैंसर, किडनी फेल, पैरालिसिस, ट्यूमर, कोमा, अंग प्रत्‍यारोपण जैसी गंभीर समस्‍याओं को कवरेज दिया जाता है, ये वो बीमारियां हैं जो आमतौर पर आपके शरीर के प्रमुख अंगों को प्रभावित करती हैं और जिनके लिए लंबे समय तक चलने वाले इलाज की जरूरत होती है. 

क्‍या हैं इसके फायदे

  • वो गंभीर बीमारियां जो आपके फाइनेंस पर भारी पड़ सकती हैं और जिनका ट्रीटमेंट बहुत ज्यादा महंगा होता है, उन्‍हें कवरेज मिलता है, इससे मुश्किल समय में बहुत बड़ी वित्‍तीय मदद मिल जाती है.
  • सेक्शन 80D के तहत टैक्स आप इसमें टैक्‍स बेनिफिट्स ले सकते हैं. क्लेम करने की प्रक्रिया बेहद आसान है.
  • क्रिटिकल इलनेस कवर का फायदा ये भी है कि इसमें 45 वर्ष की आयु तक कोई मेडिकल चेक-अप की जरूरत नहीं होती.
  • अगर आपके पास ये इंश्‍योरेंस कवर है तो आप गुणवत्ता वाले हॉस्पिटल में मेडिकल खर्चों को भी आराम से पूरा कर सकते हैं.
  • गंभीर बीमारी की स्थिति में आपको कंपनी की ओर से लंपसम या अलग-अलग भुगतान किया जाता है. इससे इंश्योरेंस कंपनी से पैसे लेने के लिए परेशान होने की दिक्‍कतें नहीं होतीं.

कैसे चुनें क्रिटिकल इलनेस प्‍लान

अगर आप क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने जा रहे हैं तो उसके नियम व शर्तों को अच्छे से पढ़ लें. इसके साथ ही अपने परिवार की मेडिकल हिस्ट्री, पर्सनल हेल्थ कंडीशन और बीमारी के होने के जोखिम को भी पहले अच्‍छे से समझें और सारी स्थितियों का विश्‍लेषण करने के बाद ही पॉलिसी का चुनाव करें.

ये बीमारियां होती हैं कवर 

  • हार्ट अटैक    
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस    
  • स्ट्रोक    
  • कैंसर    
  • प्रमुख अंग प्रत्यारोपण    
  • कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी    
  • लकवा    
  • किडनी फेलियर    
  • एओर्टा ग्राफ्ट सर्जरी    
  • प्राइमरी पल्मोनरी आर्टेरियल हाइपरटेंशन    
  • हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट    
  • पार्किन्सन रोग    
  • अल्ज़ाइमर की बीमारी    
  • एन्ड स्टेज लिवर डिज़ीज़    
  • कैंसर रहित ब्रेन ट्यूमर