Kapil Dev Birhtday: 16 साल के करियर की ये पांच पारियां हमेशा रहीं यादगार, कभी जीता मैच तो कहीं जीता दिल…
आज कपिल देव का 64वां जन्मदिन है.इस खास मौके पर एक नजर डालते हैं 'हरियाणा हरिकेन' की टॉप पारियों पर.
पूर्व भारतीय क्रिकेटर कपिल देव भारतीय क्रिकेट पर सबसे ज़्यादा प्रभाव डालने वाले नामों में से एक हैं. क्रिकेट के इतिहास के सबसे महान ऑलराउंडरों में से एक कपिल देव का भी नाम हैं. एक बेहतरीन मध्य क्रम के बल्लेबाज के साथ-साथ वो एक घातक तेज गेंदबाज थे, इस वजह से देव को भारतीय क्रिकेट में आक्रामक दृष्टिकोण लाने का पूरा क्रेडिट दिया जाता है. असाधारण रूप से प्रतिभाशाली होने के अलावा, वह 1983 में वर्ल्ड कप ट्रॉफी घर लाने वाले पहले भारतीय कप्तान हैं. जब कपिल देव की ब्रिगेड ने लॉर्ड्स में अंतिम गेम में शक्तिशाली वेस्ट इंडीज को हराया तो यह एक जादू भरे मोमेंट से कम नहीं था.
उनका अंतरराष्ट्रीय करियर 1978 में शुरू हुआ और 45 साल बाद भी उन्हें भारत का सबसे बड़ा ऑल-राउंडर माना जाता है. अपने 16 साल के शानदार करियर के दौरान, देव ने 131 टेस्ट और 225 एकदिवसीय मैच खेले. 50 ओवर वाले खेल में, देव ने 3,783 रन बनाए और 253 विकेट लिए है. वे टेस्ट में 5000 से अधिक रन और 400 से अधिक विकेट लेने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं. उन्होंने कुल 5,248 रन बनाए हैं और रेड-बॉल क्रिकेट में 434 विकेट लिए हैं.आज कपिल देव का 64वां जन्मदिन है.इस खास मौके पर एक नजर डालते हैं 'हरियाणा हरिकेन' की टॉप पारियों पर.
जिम्बाब्वे के खिलाफ 138 गेंदों पर 175 रन (1983)
जिम्बाब्वे के खिलाफ 1983 के विश्व कप में कपिल देव की यकीनन अब तक खेली गई सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय पारियों में से एक है. भारत को जीतने के लिए सेकंड हाफ में बल्लेबाज़ी करनी थी. स्कोरबोर्ड 17/5 पढ़ने के साथ, कप्तान क्रीज पर आएं और जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली. देव के नाबाद 175 रन ने भारत को 266 रनों के अच्छे स्कोर तक पहुंचाया था. उन्होंने 138 गेंदों की अपनी पारी के दौरान 16 चौके और 6 छक्के लगाए थे. अंत में भारत ने आराम से 31 रनों से जीत हासिल कर ली थी.
180 गेंदों पर 129 बनाम दक्षिण अफ्रीका (1992)
दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान यह तीसरा टेस्ट था जब देव ने भारत को हार से बचाने के लिए खेला था. दूसरी पारी में, भारतीय टीम 27/5 पर सिमट गई थी. लेकिन कपिल क्रीज पर डटे रहे जबकि दूसरे छोर पर कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर टिक नहीं पा रहा था. देव की 129 रन की पारी ने उनकी टीम को बोर्ड पर 215 रन बनाने में मदद की, जिससे सामने वाली टीम को 153 रन का लक्ष्य मिला. भारत ये मैच जीत तो नहीं पाया पर कपिल की ये पारी शानदार थी.
142 गेंदों पर 110 बनाम इंग्लैंड (1990)
जब टी-20 आया भी नहीं था, तब कपिल देव ने ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ 1990 के टेस्ट में कुछ टी-20 जैसी परफॉर्मेंस दिखाई थी. पहली पारी में, रवि शास्त्री के सराहनीय 187 रन ने भारत की पारी की नींव रख दी थी. देव ने स्थिति का पूरा फायदा उठाते हुए पूरी ताकत झोंक दी और 142 गेंदों में 110 रन बनाए. 16 चौकों से सजी उनकी पारी ने भारत को 606 रनों के विशाल स्कोर तक पहुंचाया था. 340 पर आउट होने के बाद इंग्लैंड को फॉलोऑन के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन उन्होंने दूसरी पारी में 477 रन बनाए, और ये मैच ड्रा हो गया.
124 गेंदों में 126 बनाम वेस्टइंडीज (1979)
रेड-बॉल क्रिकेट में पावरहाउस वेस्ट इंडीज ने 1978 के अंत में छह मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलने के लिए भारत का दौरा किया था. पांचवें गेम में, देव ने पहली पारी में केवल 124 गेंदों पर 126 रनों की तेज गति से अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था. उनकी पारी में 11 चौके शामिल थे. भारत के विशाल 566 रन के जवाब में, वेस्टइंडीज को 172 रन पर आउट कर दिया गया और उसे फॉलोऑन करना पड़ा था. लेकिन, वे दूसरी पारी में क्रीज पर मजबूती से डटे रहे ये मैच भी ड्रा हुआ.
इंग्लैंड के खिलाफ 75 गेंदों में 77 रन (1990)
कभी-कभी स्कोर नहीं तय करते कि पारी कैसी थी, बल्कि सिचुएशन तय करती है. लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ कपिल देव की यह पारी काफी हद तक साबित करती है कि उन्हें इतिहास के सर्वश्रेष्ठ मध्यक्रम बल्लेबाजों में से एक क्यों माना जाता है. जब देव क्रीज पर आए तब भारत फॉलोऑन की कगार पर खड़ा था. दबाव बहुत था क्योंकि वे 24 रन पीछे थे और उनके हाथ में सिर्फ एक विकेट बचा था. देव ने इंग्लैंड के स्पिनर एडी हेमिंग्स के खिलाफ लगातार चार छक्के लगाकर सभी को चौंका दिया और भारत को खेल में वापस ले आए. उन्होंने नाबाद 77 रन बनाए जिसमें कुल 8 चौके और 4 छक्के शामिल थे. लेकिन अंत में भारत ये मैच जीत नहीं पाया लेकिन कपिल देव की पारी शानदार थी.
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