Aditya L1: क्या है लैंग्रेज पॉइंट, इसरो ने पहले सूर्य मिशन के लिए L1 पॉइंट को ही क्यों चुना?
आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग के बाद इसरो का स्पेसक्राफ्ट L1 पॉइंट तक की यात्रा तय करेगा. जानिए क्या है L1 पॉइंट.
क्या है लैंग्रेज पॉइंट, इसरो ने पहले सूर्य मिशन के लिए L1 पॉइंट को ही क्यों चुना?
क्या है लैंग्रेज पॉइंट, इसरो ने पहले सूर्य मिशन के लिए L1 पॉइंट को ही क्यों चुना?
Aditya L1 Launch: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो अब अपने पहले सोलर मिशन Aditya L1 को लॉन्च करने की तैयारी में है. आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग के बाद इसरो का स्पेसक्राफ्ट L1 पॉइंट तक की यात्रा तय करेगा. माना जा रहा है आदित्य एल-1 मिशन के जरिए सूर्य की गतिविधियों पर व्यापक जानकारी हासिल की जा सकती है. लेकिन क्या आपको पता है कि L1 पॉइंट है क्या और इसरो ने इसे ही क्यों चुना?
जानिए क्या है L1 पॉइंट
दरअसल धरती से सूरज की दूरी तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर है. इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं. इन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है. इनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. L1, L2, L3 स्थिर नहीं है. इनकी स्थिति बदलती रहती है. जबकि L4 और L5 पॉइंट स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं. L1 इसका पहला पॉइंट है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है. L1 पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट, लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट या एल-पॉइंट के तौर पर जाना जाता है.
L1 पॉइंट को ही क्यों चुना गया
L1 एक ऐसा स्थान है, जहां से सूर्य का चौबीसों घंटे अवलोकन किया जा सकता है. ये वो जगह है जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण के बीच एक बैलेंस बन जाता है. धरती और गुरुत्वाकंर्षण के बीच बैलेंस होने से एक सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है, इस फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्राफ्ट एक जगह स्थिर रह सकता है. इसके अलावा इस स्थान को दिन और रात की साइकिल प्रभावित नहीं करती. यहां से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है. वहीं ये पॉइंट पृथ्वी के नजदीक है और यहां से संचार में काफी आसानी होती है. इस कारण ये स्थान स्टडी के लिहाज से अच्छा माना जाता है.
क्या है आदित्य L1 का मकसद
- सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.
- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.
- सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.
- कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.
- सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना.
पूरी तरह स्वदेशी है मिशन
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भारत का आदित्य L1 पूरी तरह से स्वदेशी है. इस मिशन को बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने तैयार किया है. इसरो के मुताबिक, आदित्य L-1 अपने साथ फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा. इनमें से 4 पेलोड सूरज पर नज़र रखेंगे, बाकी 3 एल-1 पॉइंट के आसपास का अध्ययन करेंगे.
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