G20 के दौरान रही इन 3 जगहों की चर्चा, अगर घूमने की प्लानिंग है तो पहले जान लीजिए इनका इतिहास
G20 सम्मेलन के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहे थे, तो उनके पीछे कुछ ऐतिहासिक तस्वीरें लगी हुई थीं. जी20 के बाद इन जगहों की काफी चर्चा है. अगर आप भी यहां घूमने जाना चाहते हैं, तो पहले इन जगहों का समृद्ध इतिहास जान लें.
G20 के दौरान रही इन 3 जगहों की चर्चा, अगर घूमने की प्लानिंग है तो पहले जान लीजिए इनका इतिहास
G20 के दौरान रही इन 3 जगहों की चर्चा, अगर घूमने की प्लानिंग है तो पहले जान लीजिए इनका इतिहास
भारत ने जिस तरह से G20 सम्मेलन की मेजबानी की, उसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. हर कोई भारत की तारीफ कर रहा है. जी20 की मेजबानी के दौरान भारत की प्राचीन संस्कृति से जुड़ी तमाम जगहें भी चर्चा में आयीं. दरअसल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहे थे, तो उनके पीछे कुछ ऐतिहासिक तस्वीरें लगी हुई थीं. इसमें एक तस्वीर ओडिशा के कोणार्क मंदिर की थी, दूसरी नालंदा विश्वविद्यालय और तीसरी साबरमती आश्रम की थी. इन सभी जगहों का समृद्ध इतिहास है. अगर आप घूमने के शौकीन हैं और इन जगहों पर जाना चाहते हैं, तो पहले आपको इनका इतिहास जरूर जान लेना चाहिए.
कोणार्क सूर्य मंदिर
सबसे पहले बात करते हैं कोणार्क सूर्य मंदिर की, क्योंकि जी20 सम्मेलन के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा इसी की रही. पीएम भारत मंडपम में जिस जगह पर मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, उस जगह पर कोणार्क चक्र की तस्वीर लगी थी. इसके कारण कोणार्क मंदिर भी चर्चा का विषय बना. इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था. इस मंदिर को विशाल रथ के तौर पर डिजाइन किया गया है. मन्दिर स्थल को बारह जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़ों से खींचते हुये निर्मित किया गया है, जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है. हालांकि मौजूदा समय में सिर्फ एक ही घोड़ा बचा है. मन्दिर के आधार को सुन्दरता प्रदान करते बारह चक्र साल के बारह महीनों को परिभाषित करते हैं. हर चक्र दिन के आठ पहरों को दर्शाता है. कोणार्क सूर्य मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी बेहतरीन वास्तुकला और जटिल पत्थर की नक्काशी के लिए जाना जाता है.
नालंदा यूनिवर्सिटी
दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के नाम से जाना जाता है. बिहार में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय को तक्षशिला के बाद दुनिया की दूसरी सबसे प्राचीन यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है. गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने 5वीं सदी में नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी. कहा जाता है कि इस विश्वविद्यालय में 300 कमरे 7 बड़े-बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें एक समय 3 लाख से भी अधिक किताबें मौजूद होती थीं. यहां छात्रों को उनके मेरिट के आधार पर लिया जाता था. फ्री शिक्षा के साथ-साथ यहां खाना भी एकदम फ्री था. यहां 10 हजार से भी अधिक स्टूडेंट पढ़ाई किया करते थे.
साबरमती आश्रम
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
टूटते बाजार में Navratna PSU के लिए आई गुड न्यूज, ₹202 करोड़ का मिला ऑर्डर, सालभर में दिया 96% रिटर्न
TATA Group के इस स्टॉक से गिरते बाजार में भी होगी तगड़ी कमाई! शॉर्ट टर्म में खरीदारी का नोट करें टारगेट
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
साबरमती आश्रम का नाम साबरमती नदी के नाम पर रखा गया है. ये वो आश्रम है जहां महात्मा गांधी ने लंबा समय गुजारा है. गुजरात में अहमदाबाद के उत्तर में स्थित साबरमती आश्रम, मूल रूप से महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा का निवास स्थान था. यहीं से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी. आज के समय में ये एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
11:23 AM IST