किस्सा-ए-कंज्यूमर: महामारी के जले पर जालसाजी का नमक, साइबर धोखेबाजों ने खोजा आपदा में अवसर
साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामलों में हमारी नादानी ही ठगों का हथियार बनती है. अगर हम अपने दिमाग की बत्ती जलाकर रखें तो ऐसे जालसाजों के मंसूबे कभी पूरे न हों
एक शब्द होता है- गिद्ध भोज. जब किसी जानवर की मौत होती है तो गिद्धों का भोज होता है. लेकिन इंसान जब खुद गिद्धों की शक्ल में आ जाएं तो उनके सामने गिद्ध भी पानी मांगते हैं. ऐसे ही कुछ गिद्ध आजकल साइबर स्पेस में सक्रिय हैं. कोरोना महामारी से रोज होती मौतों, रोजाना 3 लाख से ज्यादा मामलों, अस्पतालों में ऑक्सीन की किल्लत, बेड और इलाज की जद्दोजहद और वैक्सीनेशन की मारामारी के बीच कुछ ऑनलाइन धंधेबाज खौफजदा और लाचार लोगों को बेवकूफ बनाकर उन्हें लूटने में लगे हैं. आज मेरे पास आपके लिए कोई एक किस्सा नहीं, बल्कि कई ऐसे शर्मनाक वाकए हैं जिन्हें सुनकर आप गुस्से से भर उठेंगे. लेकिन आपको बताना जरूरी है, क्योंकि जानेंगे तभी तो ऐसे जालसाजों से चौकन्ने रह सकेंगे.
हेल्थ डिपार्टमेंट का अधिकारी बनकर ठग लिए 50,000 रुपए
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गाजियाबाद में रहने वाले मेरे एक परिचित के पास बीते हफ्ते कॉल आई. घर में बुजुर्ग पिता कोविड पॉजिटिव हैं. पति-पत्नी दोनों की उम्र 45 के पार है. दोनों अब तक अपना वैक्सीनेशन नहीं करा पाए हैं. जाहिर है कोरोना से जुड़ी कॉल उनके लिए अहम थी. कॉल करने वाले ने खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बताया और कहा कि ये कॉल वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए है. मित्र ने सोचा अब तक शायद 45 साल से ऊपर वालों के वैक्सीनेशन का प्रेशर कम हो चुका है इसलिए सरकार खुद ही बचे हुए लोगों को चिन्हित कर रही है. कॉल करने वाले की बातों पर यकीन करके उन्होंने अपना आधार नंबर, ई-मेल, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वगैरह दे दिया. बैंक अकाउंट नंबर शायद उस शख्स पास पहले से था क्योंकि रजिस्ट्रेशन कंप्लीट करने की आखिरी स्टेज के नाम पर उसने OTP मांगा. और ओटीपी शेयर करते ही मित्र के पास मैसेज आया कि उनके अकाउंट से 50 हजार रुपए कट गए हैं.
वैक्सीनेशन का ठगी वाला लिंक, जवान से उड़ाए 3 लाख रुपए
अभी पिछले महीने पहले मध्य प्रदेश के रीवा से ऐसी ही खबर आई. शत्रुघ्न पटेल नाम के एक जवान के फोन पर मैसेज आया. ये मैसेज Covid-19 vaccine कीदूसरी डोज लगवाने को लेकर था. वो पहली डोज ले चुके थे इसलिए उन्होंने भरोसा कर लिया कि दूसरी डोज के लिए आया मैसेज असली ही होगा. मैसेज में एक लिंक था जिसमें एक अप्लीकेशन इंस्टॉल करने के लिए कहा गया था. ऐसा करते ही ठगों को शत्रुघ्न के फोन स्क्रीन का रिमोट ऐक्सेस मिल गया क्योंकि ये TeamViewer या QuickSupport जैसा कोई ऐप था. इसके बाद शत्रघ्न ने कथित रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक में मांगी गई तमाम जानकारियां भी भर दीं जैसे कि पूरा नाम, ई-मेल आईडी, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट नंबर वगैरह. ऐप की मदद से ये सारी जानकारियां ठगों को दिख रही थीं. इसके बाद ठगों ने उन्हें फोन करके रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर कुछ रुपयों का ट्रांजैक्शन करने को कहा. ऐसा करते ही उनके अकाउंट से 3 लाख रुपए उड़ा लिए गए क्योंकि ठगों को उनकी स्क्रीन पर आया हुआ ओटीपी भी दिख गया होगा.
Google पर संभलकर, कदम-कदम पर बिछा है ठगों का जाल
लखनऊ में एक सज्जन ने कोरोना संक्रमित अपनी दादी को भर्ती कराने के लिए मेदांता अस्पताल का नंबर गूगल पर खोजा. जो नंबर मिला उस पर उन्होंने बात की. सामने वाले ने बेड की एडवांस बुकिंग का भरोसा देते हुए 15000 रुपए ऑनलाइन जमा करा लिए. बाद में पता चला वो नंबर फर्जी था. सबक ये है कि गूगल पर पड़े किसी भी नंबर पर भरोसा न करें, सिर्फ अस्पताल की वेबसाइट पर उपलब्ध नंबर पर बात करें. एक सज्जन अपनी बीमार मां के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर खोजते हुए OLX पर पहुंच गए और वहां एक फर्जी विज्ञापन देने वाले को 20 हजार रुपए दे बैठे. इतना ही नहीं, इन दिनों ऐसी फर्जी वेबसाइट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बन गए हैं जो कभी मेडिकल इक्विपमेंट बेचने तो कभी कोविड वैक्सीन लगवाने के नाम पर लोगों से ऑलनाइन ठगी कर रहे हैं. ऐसे जाल से बचना है तो सिर्फ मशहूर ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ही भरोसा करें.
थोड़ा-सा चौकन्नापन और थोड़ी समझदारी, इसी से दूर होगी बीमारी
आप ध्यान देंगे तो पाएंगे कि साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामलों में हमारी नादानी ही ठगों का हथियार बनती है. अगर हम अपने दिमाग की बत्ती जलाकर रखें तो ऐसे जालसाजों के मंसूबे कभी पूरे न हों. बस ये कुछ बातें ध्यान में रखिए, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. कोरोना वैक्सीन के नाम पर आया किसी अंजान फोन पर अपनी जानकारियां शेयर करें. ई-मेल, मैसेज बॉक्स हो या फिर फेसबुक और व्हॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म, कभी भी कोरोना वायरस से जुड़े किसी लिंक को क्लिक करके उसमें अपनी जानकारियां न भरें, ना हो उसमें दिया गया कोई ऐप इंस्टॉल करें. कोई कुछ भी बनकर फोन करे, अगर वो आपसे आपका आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, डेबिट कार्ड नंबर मांगे तो फौरन चौकन्ने हो जाएं. OTP मांगने वाला तो 100 परसेंट ठग ही होगा, ये याद रखें. इसके लिए वो डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड एक्सपायर होने से लेकर बैंक अकाउंट बंद होने और आपका ऑनलाइन पेमेंट ऐप बंद होने तक का झांसा देगा. ऑनलाइन पेमेंट करने या रिसीव करने के लिए किसी लिंक पर क्लिक करने को भी कहेगा. ये भी जान लें कि कोविड वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन पूरी तरह फ्री है. अगर कोई इसके लिए ऑनलाइन पैसे मांग रहा है तो वो जरूर कोई ठग होगा. अपने परिचितों और परिवार वालों को भी ऐसी साइबर धोखाधड़ी के बारे में सचेत करते चलें क्योंकि जितनी जागरूकता होगी उतना बचाव होगा.
(लेखक ज़ी बिज़नेस हिन्दी डिजिटल के ए़डिटर हैं)
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06:04 PM IST