'Waaree Energies, Premier Energies Share बेच दें'- 'कमाऊ शेयरों' पर क्यों लगा SELL का ठप्पा?
Written By: तूलिका कुशवाहा
Wed, Jan 08, 2025 01:49 PM IST
Waaree, Premier Energies Share Price: पिछले कुछ महीनों में सोलर एनर्जी सेक्टर में काम करने वाली दो कंपनियां- Waaree Energies और Premier Energies शेयर बाजार में लिस्ट हुईं. लिस्टिंग पर दोनों ही कंपनियों ने जबरदस्त कमाई कराई और फिर कई हफ्तों तक जबरदस्त मुनाफा कराया, लेकिन फिर Buzz थमा और गिरावट आने लगी. Waaree Energies अपने ऑल टाइम हाई से 13% करेक्ट हुआ है. Premier Energies की स्थिति फिर भी बेहतर है. इसमें लिस्टिंग के बाद से 13% के ऊपर के भाव पर ट्रेडिंग हो रही है.
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Waaree Energies Share Price
Waaree Energies के शेयर में ढाई पर्सेंट से ज्यादा की गिरावट आई थी. और ये 2702 के आसपास चल रहा था. शेयर का ऑल टाइम हाई 3,743 रुपये है और ऑल टाइम लो 2,300 रुपये है. सोलर कंपनी का शेयर 28 अक्टूबर, 2024को लिस्ट हुआ था. इसका इशू प्राइस 1503 रुपये था, लेकिन इसकी लिस्टिंग 69.66% के प्रीमियम के साथ 2550 रुपये पर हुई थी.
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Premier Energies Share Price
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Waaree Energies, Premier Energies पर आई SELL की राय
अब इन दोनों ही शेयरों पर SELL की राय आ रही है. Kotak Securities ने इन दोनों शेयरों पर कवरेज की शुरुआत की है और इनपर बिकवाली की राय दी है. ब्रोकरेज का मानना है कि भले ही भारत का सोलर सेक्टर अगले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ने वाला है, लेकिन इन कंपनियों की मौजूदा वैल्यूएशन और प्रतिस्पर्धात्मक दबाव से इनकी मार्जिन और प्रॉफिटेबिलिटी प्रभावित हो सकती है.
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Waaree Energies पर क्या है राय?
Waaree Energies, जो भारत की सबसे बड़ी घरेलू सोलर मॉड्यूल निर्माता है, ने हाल ही में बड़े पैमाने पर क्षमता विस्तार की घोषणा की है. लेकिन Kotak का मानना है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा से मार्जिन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. Waaree की उत्पादन क्षमता FY2027 तक 40GW तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन मॉड्यूल बाजार में ओवरसप्लाई का खतरा है. वर्तमान DCF आधारित टारगेट प्राइस ₹2,550 है, जो मौजूदा मूल्य से 7% की गिरावट दिखाता है.
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Premier Energies पर क्या है राय?
Premier Energies को अपने सोलर सेल निर्माण में पहले-मोवर एडवांटेज का लाभ मिला है. हालांकि, Kotak का कहना है कि 2028 के बाद बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण मार्जिन में कमी आएगी. ₹770 का टारगेट प्राइस वर्तमान मूल्य से 40% नीचे है. ओवरसप्लाई और बढ़ती क्षमता विस्तार के कारण लाभप्रदता पर दबाव पड़ सकता है. भारतीय सोलर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पिछले 5 वर्षों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, लेकिन 90GW मॉड्यूल क्षमता के विस्तार से ओवरसप्लाई का खतरा बढ़ गया है.
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