Social Stock Exchanges: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन (NPO) के लिए फंड जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंजों (Social Stock Exchanges) के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लचीलापन लाने का प्रस्ताव रखा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने अपने एक कंसल्टेशन पेपर में एनपीओ के लिए मिनिमम इश्यू साइज के साथ आवेदन आकार की सीमा को कम करने का सुझाव भी दिया है.

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इसके अलावा सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंजों (SSE) पर पंजीकरण के लिए जरूरी कुछ शर्तों में बदलाव करने की बात भी कही है. एनपीओ (NPO) के खिलाफ इनकम टैक्स (Income Tax) का कोई नोटिस या जांच लंबित न होने की व्यवस्था खत्म करने और सोशल ऑडिटर की जगह ‘सोशल इम्पैक्ट इवेलुएटर’ शब्दावली का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है.

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फंड जुटाने के लिए एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन (NPO) का एसएसई के साथ रजिस्टर होना जरूरी है. फिलहाल दोनों एक्सचेंज के साथ इस सेगमेंट में 31 एनपीओ ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है.

मिनिमम इश्यू की सीमा घटाई

नियामक ने ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल’ (जेडसीजेडपी) बॉन्ड जारी करने वाले एनपीओ के लिए मिनिमम इश्यू की सीमा को 1 करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही जेडसीजेडपी के पब्लिक इश्यू में न्यूनतम आवेदन की सीमा को भी 2 लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है.

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सोशल स्टॉक एक्सचेंज की संकल्पना वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में पहली बार पेश की गई थी. एसएसई के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क वर्ष 2022 में सेबी ने तय किया था. सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर पर 19 सितंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.

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