मार्केट रेग्युलेटर SEBI के कुछ अधिकारियों ने टॉप मैनेजमेंट पर अनप्रोफेशनल बिहेवियर का आरोप लगाया और इसकी शिकायत वित्त मंत्रालय से की गई थी. अब SEBI की तरफ से तमाम आरोपों को लेकर सफाई जारी की गई है. रेग्युलेटर की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि एंप्लॉयी HRA में 55% बढ़ोतरी की डिमांड कर रहे थे. यह बढ़ोतरी 2023 में निश्चित की राशि के आधार पर मांगी गई थी. इसके अलावा KRA को लेकर सेबी के ऑटोमेटेड मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स के अपडेशन को लेकर भी शिकायत की गई है, जबकि इसे ज्यादा ट्रांसपैरेंसी, फेयरनेस और अकाउंटिबिलिटी के कारण लागू किया गया है.

इन्वेस्टर्स और स्टेकहोल्डर्स के पक्ष को दरकिनार किया गया

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इन तमाम बदलावों के कारण कुछ एंप्लॉयी ने 15 मिनट का साइलेंट प्रोटेस्ट किया था. इस पूरे मामले को लेकर मीडिया में जो रिपोर्टिंग की गई है उसमें केवल वर्किंग कंडिशन और अलाउंस एंड पर्क्स की चर्चा की गई है. हालांकि, इन्वेस्टर्स और स्टेकहोल्डर्स को जो परेशानी उठानी पड़ती है, उस पक्ष को दरकिनार किया गया है. विरोध कर रहे कुछ एंप्लॉयी ने जान-बूझकर एक साजिश के तहत पूरे मामले को टॉक्सिक वर्क एनवायरनमेंट की शक्ल देने की कोशिश की है. इनकी मंशा ठीक नहीं है. इस साजिश का मकसद अपने लिए अधिक से अधिक फायदे के लिए टॉप मैनेजमेंट पर दबाव डालने की साजिश है.

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मीडिया की मदद से दबाव बनाने की साजिश

SEBI ने सैलरी स्ट्रक्चर का जिक्र भी प्रेस नोट में किया है. इसमें कहा गया कि Grade A के लिए एंट्री लेवल ऑफिसर्स की सैलरी लगभग 34 लाख रुपए सालाना है. यह कॉर्पोरेट सेक्टर की तुलना में काफी अट्रैक्टिव है. इनकी मांग 6 लाख एडिशनल CTC की है. सेबी की तरफ से ये भी कहा गया है कि जूनियर ऑफिसर्स को बाहर से भड़काने की साजिश हो रही है. उनपर मीडिया और मंत्रालय में जाकर गलत बातों को लेकर विवाद पैदा करने का दबाव बनाया जा रहा है.

6 अगस्त को वित्त मंत्रालय को की गई थी शिकायत

बता दें कि सेबी अधिकारियों की ओर से 6 अगस्त को लिखे गए लेटर में कहा गया कि, "बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है. यह लेटर ऐसे समय में सामने आया है जब सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर रेगुलेटर की अडानी जांच को लेकर हितों के टकराव का आरोप है और विपक्ष ने ICICI बैंक की पूर्व इम्‍प्‍लॉयर की ओर से उन्हें दिए गए कंपेनसेशन पर सवाल उठाए हैं.

सेबी के इतिहास में ऐसा पहली बार!

सेबी के इतिहास में शायद यह पहली बार है कि उसके अधिकारियों ने अनफ्रेंडली एंप्लॉयी प्रैक्टिस के बारे में चिंता जताई है. उन्होंने पत्र में कहा कि इससे मेंटल हेल्‍थ पर असर पड़ा है और वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ गया है. अधिकारियों ने बताया कि मैनेजमेंट द्वारा उनकी शिकायतों पर सुनवाई नहीं होने के बाद उन्होंने वित्त मंत्रालय को लेटर लिखा है. 5 पेज के लेटर के मुताबिक, कार्यकुशलता बढ़ाने के नाम पर मैनेजमेंट ने सिस्‍टम में व्यापक बदलाव किया है और रेगेसिव पॉलिसी लागू की है.