कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बाजार में गलत तरीकों से ट्रेडिंग पर रोक लगाने के लिए अब Mutual Fund (म्यूचुअल फंड) के नियमों में भी संशोधन कर दिया है. सेबी की ओर से म्यूचुअल फंड को लेकर जारी किए गए नए नियमों के तहत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (AMC) को प्रतिभूतियों में ‘फ्रंट-रनिंग’ और इनसाइडर ट्रेडिंग की पहचान करने तथा रोकने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा. इसके अतिरिक्त एएमसी का प्रबंधन संस्थागत तंत्र की दक्षता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा. नियामक ने एएमसी को ‘व्हिसल-ब्लोअर’ तंत्र बनाने का भी निर्देश दिया है. 

इस वजह से सेबी ने सुनाया फैसला

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सेबी का यह निर्णय एक्सिस एएमसी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से जुड़े ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों के संबंध में दो आदेश पारित करने के बाद आया है. सेबी ने एक अगस्त की गजट अधिसूचना में कहा कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट संस्थागत तंत्र स्थापित करेंगी, ताकि प्रतिभूतियों में ‘फ्रंट-रनिंग’ और भेदिया कारोबार सहित संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान तथा रोकथाम की जा सके.

इन लोगों की होगी जवाबदेही

फ्रंट-रनिंग एक ब्रोकर द्वारा शेयर या किसी अन्य वित्तीय परिसंपत्ति का व्यापार है, जिसे भविष्य के लेनदेन के बारे में अंदरूनी जानकारी होती है जो उस लेनदेन की कीमत को काफी हद तक प्रभावित करने वाला होता है। अधिसूचना के अनुसार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) या प्रबंध निदेशक या समकक्ष पद का कोई अन्य व्यक्ति और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी का मुख्य अनुपालन अधिकारी ऐसे संस्थागत तंत्र के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार तथा जवाबदेह होंगे. 

1 नवंबर से लागू होंगे ये नियम

सेबी ने कहा कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी एक ‘व्हिसल-ब्लोअर’ नीति स्थापित, कार्यान्वित करेग, जो कर्मचारियों, निदेशकों, न्यासियों और अन्य हितधारकों के लिए संदिग्ध धोखाधड़ी, अनुचित या अनैतिक व्यवहार, नियामकीय या कानूनी जरूरत के उल्लंघन या कामकाज के संचालन के बारे में चिंता व्यक्त करने का एक गोपनीय तंत्र होगा. व्हिसल-ब्लोअर की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे. इस सभी बदलावों के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है. ये बदलाव एक नवंबर से लागू होंगे.