हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Report) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Buch) पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में उनके पति धवल बुच (Dhaval Buch) के भी मिले होने का आरोप है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक अलग ही चर्चा शुरू हो गई है और माधबी बुच के साथ आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर (Chanda Kochhar) का नाम आ रहा है. कहा जा रहा है कि चंदा कोचर और माधबी बुच में कुछ संबंध है. आइए समझते हैं इस मामले को.

दोनों का आईसीआईसीआई बैंक से है संबंध

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चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख थीं. उन पर पति के साथ मिलकर कॉरपोरेट लोन स्कैम करने के गंभीर आरोप लगे थे. वहीं माधबी पुरी बुच आईसीआईसीआई बैंक की एग्जिक्युटिव डायरेक्टर रह चुकी हैं. अभी माधबी पुरी पर उनके पति धवल बुच के साथ मिलकर अडानी केस में गड़बड़ी का आरोप लग रहा है.

क्या आरोप है माधबी पुरी पर?

हाल ही में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के पास अडानी ग्रुप की एक कंपनी में हिस्सेदारी है, जो इस घोटाले (Scam) में शामिल हैं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी वजह से सेबी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है. इस मामले में माधबी बुच के पति धवल बुच (Dhaval Buch) का भी नाम आ रहा है.

आरोप में कहा है कि अडानी से जुड़ी कंपनी ने बरमूडा रजिस्टर्ड, ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड में निवेश किया. फिर ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड ने मॉरीशस के IPE Plus 1 में निवेश किया. IPE Plus 1 में माधबी पुरी बुच और पति धवल बुच ने निवेश किया था. बुच दंपत्ति ने IPE Plus 1 फंड में निवेश के लिए जून 2015 में  IIFL के जरिए सिंगापुर में खाता खोला था. आरोप ये भी है कि मिलीभगत की वजह से अदानी ग्रुप के ऑफशोर फंड्स के खिलाफ सेबी की कार्रवाई नहीं हुई.

कभी करिश्माई महिला कही जाती थीं चंदा कोचर

चंदा कोचर को कभी बैंकिंग क्षेत्र की करिश्‍माई महिला माना जाता था. आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को वर्तमान स्थिति में पहुंचाने का श्रेय भी उन्‍हीं को दिया जाता है. चंदा कोचर ने इंडस्ट्रियल क्रेडिट एवं इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी ICICI को साल 1984 में जॉइन किया था. उस समय ये बैंक नहीं था. 

चंदा उस समय बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी थीं. लेकिन 1994 में आईसीआईसीआई संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई और यहीं से उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव हुआ. चंदा कोर टीम का हिस्‍सा बनीं और मैनेजमेंट ट्रेनी से सीधे सहायक जनरल मैनेजर बन गईं. इसके बाद उनका करियर बुलंदियों पर पहुंचता चला गया. पहले डिप्टी जनरल मैनेजर, फिर डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और 2009 में बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दी गईं.

यूं हुआ चंदा कोचर का पतन

साल 2018 से चंदा कोचर की जिंदगी में अचानक एक ट्विस्ट तब आया, जब उन पर पति को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. कोचर पर पद का दुरुपयोग करते हुए वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ का लोन देने के मामले में अनियमितता बरतने का आरोप लगा था और इसके बाद ही उनका पतन शुरू हो गया. कई एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू कर दी और पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की. आरोपों के सामने आने के बाद बैंक ने अप्रैल 2009 और मार्च 2018 के बीच उन्हें दिए गए सभी बोनस को वापस लेने का फैसला किया. इसके बाद फरवरी 2019 में चंदा कोचर को टर्मिनेशन लेटर दे दिया. इसके बाद उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ी.