Shark Tank India-4: खाना मंगाएगा और कैब भी बुक करेगा! गले में लटका रहता है ये AI असिस्टेंट, सब करता है Record
आज के वक्त में डेटा ही सब कुछ है. ऐसे में बहुत सारे स्टार्टअप ऐसे हैं, जो डेटा के इर्द-गिर्द बिजनेस बनाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में आया, जिसका नाम है NeoSapien.
आज के वक्त में डेटा ही सब कुछ है. ऐसे में बहुत सारे स्टार्टअप ऐसे हैं, जो डेटा के इर्द-गिर्द बिजनेस बनाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में आया, जिसका नाम है NeoSapien. इसकी शुरुआत ग्वालियर के रहने वाले धनंजय यादव और इंदौर के रहने वाले आर्यन यादव ने जनवरी 2024 में की है.
फाउंडर्स ने अपनी पिच में कहा कि अधिकतर डेटा पिछले 5 सालों में क्रिएट हुआ है, ऐसे में बहुत सारी चीजें लोगों को याद नहीं रहतीं. इसी से निपटने के लिए उन्होंने बनाया है नियो सैपियन पेंडेंट, जो एक एआई पावर्ड वीयरेबल है. यह आपकी सारी बातें रिकॉर्ड करता है और आपके लिए एक पर्सनल असिस्टेंट की तरह काम करता है. फाउंडर्स का दावा है कि आने वाले वक्त में फूड ऑर्डर करना, कैब बुक करना, मीटिंग शेड्यूल करने जैसे काम नियो सैपियन से हो सकेंगे.
चचेरे भाई हैं धनंजय और आर्यन
धनंजय ने इस स्टार्टअप को शुरू करने से पहले रेजरपे, होमलेन, लिवस्पेस स्टोर जैसी कुछ कंपनियों में बेंगलुरु में काम किया है. उसके बाद उन्हें जर्मनी में जेलेंडो में नौकरी मिल गई. वह कुछ वक्त तक बर्लिन में भी रहे, जहां पर उन्हें कुछ दिक्कतें हुईं. नई जगह पर इफेक्टिव कम्युनिकेशन नहीं हो पा रहा था, जिससे वह परेशान हुए.
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वहीं आर्यन ने इंदौर से स्कूलिंग की है और आईआईटी मद्रास से इंजीनियरिंग की है. वहां से उन्होंने बीटेक और एमटेक किया है. उन्होंने कॉलेज के दौरान ब्रेन ट्यूमर को रिकॉग्नाइज करने के लिए एक एआई आर्किटेक्चर भी बनाया था. बता दें कि दोनों फाउंडर चचेरे भाई है.
बोट के को-फाउंडर समीर भी हैं निवेशक
यह प्रोडक्ट लोगों की फिजिकल और डिजिटल कन्वर्जेशन ट्रैक कर सकता है और उसके आधार पर एक सेकेंड ब्रेन बनाया जा सकता है. लोगों के साथ रिलेशन को ट्रैक कर सकता है. मुख्य टॉपिक दे देता है, इमोशन डिटेक्ट करते हुए कुछ एक्शन भी बता सकता है. साथ ही आप इसके जरिए अपनी जरूरत की चीज को सर्च भी कर सकते हैं. इस स्टार्टअप में बोट के को-फाउंडर समीर मेहता ने भी निवेश किया हुआ है.
यह चौथी जनरेशन का है डिवाइस
नमिता ने एक सवाल ये पूछा कि ये डिवाइस कंसेंट लेता है या नहीं. इस पर उन्होंने बताया कि वर्बली पूछा जाता है. जिस नियो सैपियन की बात फाउंडर्स ने की, वह चौथी जनरेशन का प्रोडक्ट है. इससे पहले वह 3 डिवाइस बना चुके हैं, लेकिन वह सब अब बंद हो गए हैं. फाउंडर्स ने बताया कि सारा डेटा क्लाउड में स्टोर होता है, क्योंकि कंपनी बड़े एआई मॉडल इस्तेमाल कर रही है, जिसके लिए कम्प्यूट पैनल ज्यादा चाहिए होते हैं.
अगर आप किसी शख्स से दोबारा मिलते हैं तो यह डिवाइस आपकी हेल्प कर सकता है ये जानने में कि आपने पिछली बार उनसे क्या बात की थी और इस बार क्या बातें पूछनी चाहिए. अलग-अलग मीटिंग को एक साथ मिलाकर यह प्रोडक्ट आपको डिसीजन लेने में मदद कर सकता है.
15 हजार रुपये है इसकी कीमत
इस प्रोडक्ट की कीमत अभी 15 हजार रुपये है. फाउंडर्स ने जजों से कहा कि शुरुआत में यह प्रोडक्ट आप जैसे लोगों को दिए जाएंगे और इसके साथ 1 साल का सब्सक्रिप्शन मुफ्त रहेगा. आप अनलिमिटेड मीटिंग, रिकॉर्डिंग, ट्रांसक्रिप्शन सब कुछ कर सकेंगे. उसके बाद आपको मंथली 850 रुपये का चार्ज देना होगा. 18 महीनों में कंपनी 16 करोड़ रुपये का बिजनेस बनाना चाहती है. वहीं अगले 5 साल में कंपनी करीब 85 करोड़ रुपये की कंपनी बनने का विजन रखती है.
नमिता ने दिए 80 लाख रुपये
फाउंडर्स ने इस बिजनेस की 2.5 फीसदी इक्विटी के लिए 80 लाख रुपये की फंडिंग मांगी. इस स्टार्टअप में अनुपम मित्तल ने पहले ही 5 फीसदी हिस्सेदारी ली हुई है और पैसे लगाए हैं. ऐसे में वह इस स्टार्टअप की पिच के दौरान वहां से उठकर बाहर चले गए. अमन, रितेश और कुणाल ने भी इस स्टार्टअप में पैसे नहीं लगाने का फैसला किया और डील से आउट हो गए.
नमिता थापर ने एक कंडीशन रखी कि फाउंडर्स कुछ वक्त बाद इस डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए मेंटल हेल्थ के लिए इसके इस्तेमाल पर काम करेंगे. नमिता ने 4 फीसदी इक्विटी के बदले 80 लाख रुपये का ऑफर दिया, जिसे फाउंडर्स ने तुरंत ही मान लिया.
10:35 PM IST