शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के तीसरे सीजन में हर एपिसोड में एक नया शार्क देखने को मिल रहा है. चौथे एपिसोड में भी एक नया चेहरा सामने आया. इस बार शार्क टैंक इंडिया में अजहर इकबाल, जो मीडिया स्टार्टअप (Startup) इनशॉर्ट्स को फाउंडर हैं. अजहर बताते हैं कि उन्होंने अपने को-फाउंडर के साथ बात कर के सिर्फ एक दिन में प्रोडक्ट लाइव कर दिया था, जो एक फेसबुक पेज था. इस पर वह महज 60 शब्दों में न्यूज देने का काम करते थे. अभी ये 4500 करोड़ रुपये के वैल्युएशन वाला स्टार्टअप है, जिस पर 75 मिलियन यूजर हर महीने आते हैं. बिहार के किशनगंज से आने वाले अजहर इकबाल का बिजनेस करने का मोटिवेशन सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाना था. बता दें कि अजहर ने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है और कॉलेज से 3 साल बाद ही ड्रॉप कर दिया और फिर 2013 से अपनी बिजनेस जर्नी शुरू कर दी. आइए जानते हैं चौथे एपिसोड में आए एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में, जिसने कपड़ों में ही टेक्नोलॉजी लगा दी है. 

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इस स्टार्टअप का नाम है Turms, जिसकी शुरुआत तो 6 दोस्तों ने की थी, लेकिन अब उनका मालिक बदल चुका है. इस स्टार्टअप के शुरुआती दौर में शार्क पीयूष बंसल ने भी इसमें पैसे डाले थे, लेकिन उनके सारे पैसे डूब गए. शार्क टैंक के स्टेज पर आते ही पीयूष बंसल बोले कि 'इस कंपनी न मेरे पैसे मारे हैं, आने दो इनको.' वहीं कंपनी का प्रोडक्ट एक ग्राहक को इतना पसंद आया कि उसने पूरी कंपनी ही खरीद ली और अब वही इसका मालिक है. इस स्टार्टअप के कपड़ों की ये खासियत है कि उस पर कोई दाग नहीं लगता, उनमें से बदबू नहीं आती, कोई फंगस या बेक्टीरिया नहीं लगता और कॉटन का होने की वजह से बहुत ही मुलायम रहता है. यानी इन कपड़ों में चार टेक्नोलॉजी हैं- एंटी स्टेन, एंटी फंगल, एंटी बेक्टीरियल और एंटी ओडोर.

क्या है ये जादू?

कंपनी के नए मालिक सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित कहते हैं कि यह कोई जादू नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी का कमाल है. इसके लिए हाइड्रोफोबिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. जब कॉटन का फैब्रिक बनने के बाद स्टिचिंग से पहले धुलने के लिए जाता है, उस वक्त इस पर हाइड्रोफोबिक कोटिंग कर दी जाती है. इसकी वजह से पर पानी का एक भी कतरा नहीं टिकता है, जिसके चलते दाग नहीं लगता है. यह कोटिंग कपड़ों पर 20 धुलाई तक रहती है और उसके बाद धीरे-धीरे यह कम होती जाती है. इन कपड़ों में रेड एलोवेरा की भी कोटिंग होती है, जो हरे वाले एलोवेरा की तुलना में 22 गुना ज्यादा इफेक्टिव होता है और करीब 58 हजार रुपये किलो मिलता है.

पहले ग्राहक थे, अब कंपनी के मालिक हैं

सुरेंद्र बताते हैं कि 2018 में वह इस ब्रांड के ग्राहक थे. जब उन्होंने इसके प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल किया तो वह उन्हें इतने अच्छे लगे कि उन्होंने इसे खरीदने का फैसला कर लिया. करीब 15 सालों तक उन्होंने ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में काम किया. दुनिया भर की कई दिग्गज कंपनियों में उन्होंने ऊंचे ओहदों पर काम किया. साल 2022 में सुरेंद्र ने अपनी नौकरी छोड़ दी और इस स्टार्टअप का अधिग्रहण कर दिया. उन्होंने यह ब्रांड 15 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर खरीद लिया, जिसमें 1.5 करोड़ रुपये उन्होंने खुद अपनी जेब से दिए और 12.5 फीसदी इक्विटी उस कंपनी को दिए, जिसने इसके लिए डेट दिया था.

अजहर इकबाल ने किया निवेश

इस कंपनी के प्रोडक्ट्स की बात करें तो इसकी जीन्स (3-4 हजार रुपये) को 30 दिन तक धोने की जरूरत नहीं होती. इसक कंपनी की टीशर्ट (करीब 1000 रुपये) आपको 4 डिग्री तक ठंडक देती हैं. वहीं कंपनी के मोजों से 7 दिन तक कोई बदबू नहीं आती है. Turms के प्रोडक्ट अजहर इकबाल को बहुत पसंद आए और उन्होंने इसमें काफी दिलचस्पी दिखाई. सुरेंद्र सिंह ने अपने बिजनेस की 2 फीसदी इक्विटी 1.2 करोड़ रुपये में देने की पेशकश की. हालांकि, अंत में अजहर इकबाल के साथ उन्होंने डील की. जिन्होंने 1.2 करोड़ रुपये के बदले 4 फीसदी इक्विटी ली. 

कितनी हो रही है कमाई?

जब शार्क्स को ये पता चला कि सुरेंद्र सिंह ने इस बिजनेस को 15 करोड़ में खरीदा, जिसे पुराने को-फाउंडर्स नहीं चला पा रहे थे, तो उनकी दिलचस्पी इसकी कमाई में जगी. सुरेंद्र ने बताया कि अक्टूबर 2022 में इसकी सेल 3 लाख रुपये रही. उसे बाद मार्च 2023 तक उस वित्त वर्ष की सेल 57 लाख रुपये रही. वहीं अक्टूबर 2023 में कंपनी का बिजनेस 86 लाख रुपये के रेवेन्यू (9.72 लाख रुपये मुनाफा) तक पहुंच गया है. 2023-24 में वह कुल 10-12 करोड़ रुपये का रेवेन्यू टारगेट कर रहे हैं, जिसमें 70-80 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है. अभी कंपनी का 90 फीसदी बिजनेस कंपनी की वेबसाइट से हो रहा है.

धोनी भी पहनते हैं इस कंपनी के कपड़े

सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि आए महीने में 22 दिन महेंद्र सिंह धोनी इस कंपनी के कपड़े पहने हुए नजर आ जाते हैं. ऐसे में अजहर इकबाल ने पूछा कि आखिर आपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए क्या किया, तो उन्होंने सारी बातें बताईं. सबसे पहले तो सुरेंद्र कहते हैं कि वह अपने कुछ ग्राहकों से फोन कर के पर्सनल लेवल पर बात करते हैं और समझते हैं कि ग्राहक क्या चाहते हैं और क्यों इस कंपनी के कपड़े खरीद रहे हैं. 

सुरेंद्र सिंह ने मुनाफा बढ़ाने के लिए सबसे पहले तो बहुत सारे वेयरहाउस का झंझट खत्म किया. फिर पैकेजिंग को बेहतर किया, क्योंकि 1 किलो से वजन जरा सा भी अधिक होता है, तो वह 1.5 किलो में गिना जाने लगता है. उन्होंने अपनी पैकेजिंग को 1 किलो से कम कर के करीब 38 फीसदी कॉस्ट बचा ली. पहले टीम का साइज भी 50 लोगों तक पहुंच गया था, जिसे अब 9 फीसदी कर दिया गया है. सुरेंद्र कहते हैं कि ऑपरेशनल एक्सीलेंस उनका डीएनए हैं, क्योंकि वह राजस्थान के रहने वाले हैं.