Shark Tank India-3: इस Startup ने बनाए इमोशन जाहिर करने वाले Gifts, आखिर क्या सुनकर अमन बोले- 'इसे डिलीट करो, ऐसी बातें सबके सामने नहीं बोलते'
पिछले दिनों शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक गिफ्टिंग स्टार्टअप (Startup) आया था, जिसका नाम है इंडीगिफ्ट्स (Indigifts). यह स्टार्टअप कुछ ऐसा गिफ्ट बनाता है, जो आपके इमोशन को जाहिर करने में मददगार साबित होते हैं.
पिछले दिनों शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक गिफ्टिंग स्टार्टअप (Startup) आया था, जिसका नाम है इंडीगिफ्ट्स (Indigifts). यह स्टार्टअप कुछ ऐसा गिफ्ट बनाता है, जो आपके इमोशन को जाहिर करने में मददगार साबित होते हैं. इसकी शुरुआत साल 2017 में नितिन जैन और उनकी पत्नी दिव्या जैन ने साथ मिलकर की थी. जैसे ही ये स्टार्टअप शार्क टैंक के मंच पर पहुंच, सभी शार्क इसके फाउंडर्स की बातें सुनकर हैरान रह गए.
किन बातों से हैरान हुए थे शार्क?
दिव्या ने बताया कि 6 सालों में नितिन ने उन्हें करीब 100 गिफ्ट दिए हैं. अमन गुप्ता ने सुनते ही कहा 'ये बातें एडिट हो जानी चाहिए, डिलीट कर दो, ये सबको नहीं बोलते हैं.' वहीं चुटकी लेते हुए विनीता सिंह ने कहा कि फिर से बोलो एक बार. वह हैरान हुईं कि हर साल करीब 16 गिफ्ट उन्होंने अपनी पत्नी को इंप्रेस करने के लिए दिए हैं. उसके बाद नितिन ने बताया कि यह सारे गिफ्ट उन्होंने खुद डिजाइन किए हैं, जो सुनकर अनुपम भी हैरान हो गए.
कहां से आया ऐसा गिफ्टिंग बिजनेस बनाने का आइडिया?
नितिन और दिव्या को गिफ्टिंग मार्केट में एक बड़ा गैप दिख रहा था. लोग अक्सर तोहफे के नाम पर केक या फूल या बुके दे देते हैं. नितिन-दिव्या कहते हैं कि इससे लोगों का इमोशन नहीं दिख पाता है. ऐसे में दोनों ने मिलकर एक ऐसा ब्रांड शुरू करने की सोची, जो इमोशन को जाहिर कर रहे. 2017 में दोनों ने यह बिजनेस शुरू किया था और तब से लेकर अब तक वह करीब 20 लाख लोगों तक पहुंच चुके हैं.
बीज वाली राखियों (Seed Rakhi) ने सबको किया इंप्रेस
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दिव्या ने शार्क टैंक के मंच पर कहा था कि हम अक्सर राखी का त्योहार बीत जाने के बाद उस राखी को कहीं रखकर भूल जाते हैं. इंडीगिफ्ट्स की राखियों में किसी न किसी पौधे का बीज रहता है. यानी आप अपनी राखी को अगर जमीन में गाड़ देते हैं तो कुछ समय बाद उससे एक पौधा निकल जाएगा. इससे पहले राखी का कोई ब्रांड नहीं था, इंडीगिफ्ट्स ने Seed Rakhi ब्रांड बनाया. इस वक्त कई एनजीओ की 300 से भी अधिक महिलाएं इंडीगिफ्ट्स के साथ जुड़कर इस तरह की राखी बनाती हैं. नितिन कहते हैं कि भारत में आर्ट और क्राफ्ट के बहुत सारे मौके हैं और वह ऐसे लोगों से तेजी से जुड़ना भी चाहते हैं.
कमाई सुनकर चौंक गए शार्क
जब फाउंडर्स ने अपने बिजनेस मॉडल के बारे में बताया तो कमाई सुनकर सभी हैरान रह गए. एपिसोड शूट होने तक यह स्टार्टअप 45 करोड़ रुपये की लाइफटाइम सेल कर चुका था. कंपनी के पास 5000 से भी ज्यादा एसकेयू हैं और कंपनी प्रॉफिटेबहल भी है. यहां तक कि नितिन ने तय किया है कि आने वाले दिनों में वह 10 फीसदी से कम के मुनाफे पर काम ही नहीं करेंगे. बता दें कि अभी उन्हें करीब 70 फीसदी का ग्रॉस मार्जिन होता है. साल 2022-23 में कंपनी का टर्नओवर करीब 7 करोड़ रुपये रहा था, जो 2023-24 में करीब 10 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. नितिन कहते हैं कि अब तक अधिकतर प्रोडक्ट वह खुद बना रहे थे, लेकिन अब दूसरे करीब 20-30 ब्रांड से कोलेबोरेशन भी करेंगे.
3 लेवल पर काम करता है बिजनेस मॉडल
इंडीगिफ्ट्स के बिजनेस मॉडल को नितिन ने 3 फनल में बांटा है. पहला है रेडी टू बाई प्रोडक्ट, जिन्हें सीधे मार्केट प्लेस से बेचा जाता है. इनकी कीमत अमूमन 500 रुपये तक होती है. वहीं दूसरा लेवल पर कस्टमाइजेबल प्रोडक्ट का, जिसके तहत प्रोडक्ट्स को कस्टमाइज किया जाता है और दूसरे ब्रांड्स से कोलेबोरेशन भी किया जाता है. इसमें प्रोडक्ट्स की कीमत 500-1000 रुपये के बीच रहती है. वहीं तीसरा लेवल है बी2बी कंसल्टिंग का, जिसके तहत अलग-अलग ब्रांड्स को कंसल्टिंग दी जाती है या उनके लिए मर्चेंडाइजिंग की जाती है. नितिन बताते हैं शार्क टैंक के तीनों सीजन में कुल 10 ऐसे स्टार्टअप आ चुके हैं, जिनके लिए इंडीगिफ्ट्स ने मर्चेंडाइजिंग की है. वहीं अब तक वह कुल मिलाकर 200 से भी अधिक ब्रांड्स के लिए मर्चेंडाइजिंग कर चुके हैं.
काफी संघर्षों से जूझे हैं नितिन जैन
कहते हैं कि जिंदगी की कीमत वही समझता है, जिसने मौत को नजदीक से देखा होता है. नितिन की जिंदगी में भी ऐसे कुछ वाकए हुए थे. 2004-05 में नितिन जैन ने राजस्थान के एक टीयर4 शहर विजयनगर से अपनी स्कूलिंग खत्म की. 2006 में उन्होंने रांची के बिरला इंस्टीट्यूट के जयपुर कैंपस में ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया और 2009 में बैचलर रपूरा किया. 2009 में ही उनके पिता की मौत हो गई, जो उनके लिए एक बहुत बड़ा नुकसान था.
नितिन बताते हैं कि उनकी मां कैंसर की मरीज रह चुकी हैं. वह कैंसर से मौत की जंग लड़ चुकी हैं और यही वजह है कि वह हर रोज कैंसर अस्पताल जाकर वहां मरीजों की कुछ ना कुछ मदद करती हैं. नितिन ने 2009 से 2011 के बीच अपनी मास्टर्स खत्म की और इसी दौरान उन्होंने फ्रीलांसिंग करते हुए काम भी करना शुरू कर दिया था. फ्रीलांसिंग में वह फोटोग्राफी, ग्राफिक्स, फिल्म आदि का काम किया करते थे.
2012 में बनाई पहली कंपनी
2012 में उन्होंने Indibni design studio नाम से एक पार्टनरशिप फर्म भी शुरू की थी. 2017 में उन्होंने दिव्या के साथ मिलकर Indigifts Private Limited बनाई. इसके अलावा दो और संस्थाए, Indibni Foundation और indibni Ventures भी Indibni ग्रुप का हिस्सा हैं, जिसके तहत वह entrepreneurship और make in india के अपने कमिटमेंट की दिशा में काम करेंगे.
2015 में हुआ था मौत से सामना
नितिन आज भी उस दिन को याद कर के सहम जाते हैं, जब उनका जानलेवा एक्सिडेंट हुआ था. साल 2015 में वह ट्रक के नीचे आ गए थे, जिसमें बुरी तरह घायल हुए. हालात ये हो गई थी कि 6 महीनों तक वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहे थे. उस वक्त उनकी मां नितिन का ख्याल रखा करती थीं. नितिन बताते हैं कि दिव्या भी दिन में वहां आ जाया करती थीं और उनकी मदद करती थीं. नितिन कहते हैं कि जब कोई मौत को बेहद करीब से देख लेता है तो उसके बाद उसकी जिंदगी एक मकसद से जुड़ जाती है. उनकी मां को भी यह अनुभव है, इसलिए वह लोगों की खूब मदद करती हैं.
कैसे हुई दिव्या से मुलाकात?
नितिन बताते हैं कि वह दिव्या को कॉलेज टाइम से ही जानते हैं. जब नितिन अपने मास्टर्स के फाइनल ईयर में थे, उसी साल दिव्या बैचलर्स के फर्स्ट ईयर में आई थीं. कुछ साल साथ बिताने के बाद साल 2016 में उन्होंने शादी कर ली और उसके अगले ही साल एक नई कंपनी ने जन्म लिया.
दोनों के नाम से पैदा हुई है इंडीगिफ्ट
जब बात आती है इंडीगिफ्ट की तो इसमें इंडी के कई मतलब निकलते हैं. पहला तो इंडिया ही है, जो अधिकतर लोग समझते हैं. हालांकि, नितिन बताते हैं कि अगर नितिन और दिव्या को अंग्रेजी में साथ लिखा जाए तो बीच में इंडी आता है. यानी दोनों ने साथ मिलकर जिस ब्रांड की शुरुआत की, उसका नाम भी दोनों से मिलकर बना है. नितिन कहते हैं कि इसमें उनके 3 प्रिंसिपल हैं. पहला ये है कि वह इंडिया से कुछ करना चाहते थे. दूसरा ये है कि वह कुछ इंडीजीनस यानी अलग करना चाहते थे. वहीं तीसरा ये है कि वह इंडीविजुअल्स को इंपैक्स करना चाहते थे. तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए दोनों ने मिलकर एक मैसकॉट भी बनाया, जिसे इंडी नाम दिया.
कस्टमर को कंज्यूमर बनाना चुनौती
नितिन कहते हैं कि भारत के लोग बहुत ही ज्यादा मोल-भाव करने वाले हैं. वह हर चीज में वैल्यू फॉर मनी देखते हैं. ऐसे में एक कस्टमर को कंज्यूमर बनाना एक बड़ी चुनौती रहती है. वहीं दूसरी ओर लोगों की लॉयल्टी भी अब खत्म होती जा रही है, जिसकी वजह से भी चुनौतियां आ रही हैं. ग्राहकों की अपेक्षाएं भी बदलते वक्त के साथ-साथ बदलती जा रही हैं. इसके गिफ्ट्स की एवरेज सेलिंग प्राइस 750 रुपये है.
कितनी मिली फंड़िंग?
इस स्टार्टअप को शार्क टैंक इंडिया में 2 फीसदी इक्विटी के बदले 50 लाख रुपये की फंडिंग मिली. इस तरह वैल्युएशन हो जाती है करीब 25 करोड़ रुपये. बता दें कि इसी वैल्युएशन पर कंपनी दूसरे निवेशकों से भी फंडिंग उठा रही है. शार्क टैंक इंडिया में रितेश अग्रवाल और विनीता सिंह ने इस स्टार्टअप में पैसे लगाए थे. यहां ये जानना दिलचस्प है कि दोनों को नितिन की इक्विटी में से 1-1 फीसदी यानी कुल 2 फीसदी हिस्सेदारी एडवाइजरी इक्विटी के रूप में मिलेगी.
08:29 PM IST