शार्क टैंक इंडिया-3 (Shark Tank India-3) में आए दिन कोई ना कोई फाउंडर अपनी पिच रखता है. वह अपने बिजनेस (Business Model) के बारे में बताता है और फिर फाउंडर्स से निवेश पाता है. इसमें अगर फाउंडर्स को आइडिया अच्छा लगता है तो वह उसमें पैसे लगा देते हैं और अगर आइडिया पसंद नहीं आता तो उस स्टार्टअप से दूरी बना लेते हैं. हालांकि, पिछले दिनों एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) शार्क टैंक इंडिया में आया था, जिसके आइडिया ने तो सबको इंप्रेस कर दिया, लेकिन जब बारी आई पैसे देने की तो सभी पीछे हट गए. अमन गुप्ता ने तो फाउंडर्स की आंखों के सामने ही चेक फाड़ दिया.

17 महीनों में खोले 150 स्टार्टअप

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यहां बात हो रही है फास्ट फूड से जुड़े स्टार्टअप ब्रांड जोर्को की. इस स्टार्टअप के फाउंडर दो भाई हैं, आनंद नाहर और अमृत नाहर. उन्होंने महज 17 महीनों में ही 150 फूड आउलेट खोल दिए है, जिसे सुनकर सारे शार्क हैरान रह गए. गुजरात के सूरत का ये ब्रांड 80 से ज्यादा प्रोडक्ट ऑफर करता है. यह एक अफॉर्डेबल फ्रेंचाइजी चेन है. अभी यह 6 राज्यों के 42 से ज्यादा शहरों में है. फाउंडर्स ने 1 फीसदी इक्विटी के बदले 1.5 करोड़ रुपये की मांग की.

शेयर बाजार से कमाए 5 करोड़, ओयो में करना चाहते थे निवेश

फाउंडर्स ने बताया कि वह सेबी रजिस्टर्ड सर्च एनालिस्ट थे, जो छोटी कंपनियों के लिए रिसर्च का काम किया करते थे. वह तो ओयो में भी निवेश करना चाहते थे. हालांकि, उन्हें इसका मौका नहीं मिला और इसी बीच ओयो रूम्स 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और वह निवेश नहीं कर सके. फाउंडर्स ने जब बताया कि यह बात 2019 की है और उस वक्त उनके पास 5 करोड़ रुपये निवेश के लिए थे, तो ये सुनकर सभी शार्क हैरान रह गए. फिर उन्होंने बताया कि यह सारे पैसे उन्होंने शेयर बाजार से कमाए थे.

कंपनी की शुरुआत 2021 में हुई थी. उस दौरान उन्हें एक अच्छी लोकेशन पर सस्ते में दुकान मिल रही थी. कोविड के वक्त में उन्हें 20 लाख का फर्नीचर सिर्फ 4.5 लाख रुपये में मिल गया था. उनकी पहले साल की सेल करीब 60 लाख रुपये थी.  इस साल वह 30 करोड़ रुपये का रेवेन्यू टारगेट कर रहे हैं. यह कंपनी फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करती है और कंपनी के सारे आउटलेट फ्रेंचाइजी ही हैं. हर फ्रेंचाइजी हर महीने औसतन 3-3.5 लाख का बिजनेस करती है और एक फ्रेंचाइजी को लेने और सेटअप में सिर्फ 8-9 लाख रुपये खर्च होते हैं. फाउंडर्स ने बताया कि वह 3.99 लाख रुपये की फ्रेंचाइजी देते हैं, जिसमें करीब 2 लाख रुपये का तो उनके ऊपर खर्चा ही कर दिया जाता है.

जब भड़क गए शार्क, अनुपम बोले- 'पूरी दाल काली है!'

सबसे पहले तो फ्रेंचाइजी मॉडल से शार्क को दिक्कत हुई, क्योंकि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर यहां कौन कैसे कमाई कर रहा है. जोर्को ने एक के बाद एक 150 फ्रेंचाइजी खोल डालीं. इसे देखकर शार्क बोले कि यह एक रेस में भागने जैसा लग रहा है. तभी फाउंडर्स ने कहा कि वह भविष्य में 7-8 ब्रांड खोलना चाहते हैं, एक सब्सिडियरी की तरह वेंचर कैपिटल फर्म भी शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि उनका मकसद होरेका (HoReCa) में भी जाने का है. ये सब सुनकर अनुपम बोले कि यहां दाल में कुछ काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है. विनीता ने भी कहा कि उन्हें ये बिजनेस समझ नहीं आ रहा है. पीयूष भी बाहर हो गए.

अमन गुप्ता ने फाउंडर्स के सामने फाड़ा चेक

इस स्टार्टअप में अमन गुप्ता और रितेश अग्रवाल ने दिलचस्पी दिखाई. दोनों ने 10-10 लाख रुपये का निवेश करने का फैसला किया. उन्होंने 20 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर 1 फीसदी इक्विटी के बदले 20 लाख रुपये का निवेश करने और बचे हुए 1.3 करोड़ रुपये 3 साल के लिए 10 फीसदी की दर पर लोन देने का ऑफर दिया. काउंटर ऑफर देते हुए कंपनी के फाउंडर्स ने दोनों के 50-50 घंटे मांगे और बदले में 1 फीसदी इक्विटी देने की बात कही. रितेश ने तो 25 घंटे का कमिटमेंट भी दे दिया, लेकिन अमन गुप्ता ने चेक ही फाड़ दिया और बोले- 'हमें जाने दो भाई, मुझे माफ करो.'