Seed से लेकर Series ABCD तक, जानिए किस स्टेज में मिलती है कौन सी Startup Funding, यहां देखिए पूरी गाइड
किसी भी स्टार्टअप (Startup) की शुरुआत होती है एक आइडिया से. जैसे-जैसे बिजनेस (Business) आगे बढ़ता जाता है, बिजनेस के लिए अधिक पैसों की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि अलग-अलग स्टेज में स्टार्टअप्स को अलग-अलग तरह की फंडिंग (Startup Funding) मिलती है.
किसी भी स्टार्टअप (Startup) की शुरुआत होती है एक आइडिया से. ऐसे में सबसे पहले आइडिएशन का चरण आता है. वह अपने आइडिया (Idea) को सफल बिजनेस बनाने की दिशा में काम कर रहा होता है. जैसे-जैसे बिजनेस (Business) आगे बढ़ता जाता है, बिजनेस के लिए अधिक पैसों की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि अलग-अलग स्टेज में स्टार्टअप्स को अलग-अलग तरह की फंडिंग (Startup Funding) मिलती है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
1- प्री-सीड स्टेज
इस चरण में आवश्यक फंड की राशि आमतौर पर छोटी होती है. इसके अलावा, स्टार्टअप के पास शुरुआती दौर में फंड जुटाने के लिए बहुत ही सीमित और अधिकांश अनौपचारिक तरीके उपलब्ध होते हैं. आइए जानते हैं इस स्टेज में किन-किन तरीकों से पूरी होती है पैसों की जरूरत.
बूटस्ट्रैपिंग/सेल्फ-फाइनेंसिंग
स्टार्टअप को बूटस्ट्रैप करने का मतलब होता है, बिज़नेस को कम या बिना किसी वेंचर कैपिटल या बाहरी इन्वेस्टमेंट के साथ बढ़ाना. इसका मतलब है कि संचालन और विस्तार के लिए अपनी बचत और राजस्व पर निर्भर रहना. अधिकांश उद्यमियों के लिए यह पहला मार्ग होता है.
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यह उद्यमियों द्वारा अभी भी प्रारंभिक चरणों में फंडिंग का एक आम तौर पर उपयोग किया जाने वाला चैनल है. निवेश के इस स्रोत का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उद्यमियों और निवेशकों के बीच विश्वास होता है.
बिज़नेस प्लान/पिचिंग कार्यक्रम
यह पुरस्कार राशि/अनुदान/वित्तीय लाभ है जो संस्थानों या संगठनों द्वारा प्रदान किए जाते हैं जो व्यापार योजना प्रतिस्पर्धाओं और चुनौतियों का आयोजन करते हैं. हालांकि, पैसे की मात्रा आमतौर पर बड़ी नहीं होती है, लेकिन यह आमतौर पर आइडिया स्टेज पर पर्याप्त होता है.
2- सीड स्टेज
इस चरण में स्टार्टअप के पास एक प्रोटोटाइप तैयार होता है और स्टार्टअप के प्रोडक्ट या सर्विस की संभावित मांग को सत्यापित करने की जरूरत होती है. इसे ‘प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (PoC)’ आयोजित करना कहा जाता है, जिसके बाद एक बड़ा मार्केट लॉन्च होता है. स्टार्टअप को कुछ संभावित ग्राहकों, ऑनबोर्ड मेंटर पर फील्ड ट्रायल करने, उत्पाद का परीक्षण करने और एक औपचारिक टीम बनाने की आवश्यकता के लिए सीड स्टेज के तहत पैसे उठाता है. इसके कई तरीके हो सकते हैं.
इनक्यूबेटर
इनक्यूबेटर उद्यमियों को अपने स्टार्टअप की मदद करने के खास मकसद के साथ शुरू किए गए संगठन होते हैं. इनक्यूबेटर न केवल बहुत सारी वैल्यू-एडेड सर्विसेज़ (ऑफिस स्पेस, यूटिलिटीज़, एडमिन और कानूनी सहायता आदि) प्रदान करते हैं, बल्कि वह अक्सर अनुदान/ऋण/इक्विटी निवेश भी करते हैं.
सरकारी ऋण योजनाएं
सरकार ने महत्वाकांक्षी उद्यमियों को कोलैटरल-मुक्त ऋण प्रदान करने के लिए कुछ लोन स्कीम शुरू की हैं और उन्हें कम लागत वाली पूंजी जैसे स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम और सिडबी फंड ऑफ फंड ऑफ फंड तक पहुंच प्राप्त करने में मदद करती है.
एंजल निवेशक
एंजल निवेशक ऐसे व्यक्ति होते हैं, जो इक्विटी के बदले अपने पैसे को स्टार्टअप में निवेश करते हैं. इसके लिए इंडियन एंजल नेटवर्क, मुंबई एंजल्स, लीड एंजल्स, चेन्नई एंजल्स आदि या संबंधित इंडस्ट्रियलिस्ट जैसे एंजल नेटवर्क से संपर्क किया जा सकता है. कोई अकेला शख्स भी एंजल निवेशक की तरह स्टार्टअप में पैसे लगा सकता है.
क्राउडफंडिंग
क्राउडफंडिंग का अर्थ बड़ी संख्या में लोगों से पैसे जुटाना है, जो अपेक्षाकृत छोटी राशि में योगदान देते हैं. यह आमतौर पर ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाता है.
3- सीरीज ए स्टेज
शुरुआती चरण में स्टार्टअप के प्रोडक्ट या सर्विस बाजार में शुरू हो जाते हैं. इसके बाद इस चरण में प्रमुख प्रदर्शन संकेतक जैसे ग्राहक आधार, राजस्व, ऐप डाउनलोड आदि महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इस चरण में यूज़र बेस, प्रोडक्ट ऑफरिंग, बिजनेस को बढ़ाने आदि को लेकर फंड जुटाए जाते हैं. इस चरण में स्टार्टअप की तरफ से उपयोग किए जाने वाले फंडिंग स्रोत ये हो सकते हैं.
वेंचर कैपिटल फंड
वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड पेशेवर रूप से प्रबंधित निवेश फंड होते हैं, जो खासतौर पर तेजी से स्केल हो सकने वाले स्टार्टअप में निवेश करते हैं. प्रत्येक वीसी फंड में अपना निवेश प्रबंधन है - पसंदीदा सेक्टर, स्टार्टअप का चरण और फंडिंग राशि - जो आपके स्टार्टअप के साथ मेल खानी चाहिए. वीसी अपने निवेश के बदले स्टार्टअप इक्विटी लेते हैं और अपने निवेश स्टार्टअप के साथ मेंटरशिप के जरिए सक्रिय रूप से जुड़ते हैं.
बैंक/एनबीएफसी
इस चरण में बैंकों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां) से औपचारिक कर्ज़ उठाया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि स्टार्टअप मार्केट ट्रैक्शन और राजस्व दिखा सकता है, ताकि ब्याज़ भुगतान दायित्वों को फाइनेंस करने की अपनी क्षमता को सत्यापित किया जा सके. यह विशेष रूप से कार्यशील पूंजी के लिए मान्य है. कुछ उद्यमी इक्विटी पर डेट को पसंद कर सकते हैं, क्योंकि डेट फंडिंग किसी फाउंडर के इक्विटी स्टेक को कम नहीं करती है.
वेंचर डेट फंड
वेंचर डेट फंड प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड होते हैं जो मुख्य रूप से डेट के रूप में स्टार्टअप में पैसे इन्वेस्ट करते हैं. डेट फंड आमतौर पर एंजल या वीसी राउंड के साथ इन्वेस्ट करते हैं.
4- सीरीज बी, सी, डी एंड ई
इस चरण में स्टार्टअप का बिजनेस और रेवेन्यू दोनों ही बढ़ रहे होते हैं. स्टार्टअप द्वारा इस चरण में उपयोग किए जाने वाले सामान्य फंडिंग स्रोत कई तरह के हो सकते हैं.
वेंचर कैपिटल फंड
अपने निवेश में बड़े टिकट आकार वाले वीसी फंड लेट-स्टेज स्टार्टअप के लिए फंडिंग प्रदान करते हैं. स्टार्टअप्स को महत्वपूर्ण मार्केट ट्रैक्शन जनरेट करने के बाद ही इन फंड से संपर्क करने की सलाह दी जाती है. वीसी का एक पूल एक साथ आ सकता है और स्टार्टअप को फंड कर सकता है.
प्राइवेट इक्विटी/इन्वेस्टमेंट फर्म
प्राइवेट इक्विटी/इन्वेस्टमेंट फर्म आमतौर पर स्टार्टअप को फंड नहीं करते हैं, लेकिन हाल ही में कुछ प्राइवेट इक्विटी और इन्वेस्टमेंट फर्म तेजी से बढ़ते लेट-स्टेज स्टार्टअप के लिए फंड प्रदान कर रहे हैं, जिन्होंने लगातार आगे बढ़ने का रिकॉर्ड बनाए रखा है.
5- एग्जिट
किसी भी निवेशक के लिए सबसे जरूरी बात ये होती है कि किसी भी स्टार्टअप से उसे कैसे एग्जिट मिलती है. आइए जानते हैं किन-किन तरीकों से निवेशकों को एग्जिट मिल सकती है, जिस पर वह रिटर्न कमा सकते हैं.
विलय और अधिग्रहण
निवेशक, पोर्टफोलियो कंपनी बाजार में किसी अन्य कंपनी को बेचने का फैसला कर सकता है. यह एक कंपनी के साथ दूसरी कंपनी को मिलाकर या एक कंपनी द्वारा दूसरी कंपनी को खरीदकर या आंशिक हिस्सेदारी खरीदकर किया जा सकता है.
इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)
IPO के तहत स्टार्टअप पहली बार स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होता है. आईपीओ लाने का फैसला स्टार्टअप तब लेते हैं जब वह काफी बड़े हो जाते हैं और तगड़ा बिजनेस करने लगते हैं, ताकि बड़ी वैल्युएशन पर पैसा उठाया जा सके. आईपीओ के तहत बहुत सारे निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं और रिटर्न कमाते हैं. कई निवेशक इसके बावजूद हिस्सेदारी नहीं बेचते और मोटे मुनाफे का इंतजार करते हैं.
शेयर बेचना
निवेशक अपनी इक्विटी या शेयर को अन्य वेंचर कैपिटल या प्राइवेट इक्विटी फर्म को बेच सकते हैं. यानी एक निवेशक किसी स्टार्टअप में ली गई अपनी हिस्सेदारी को दूसरे निवेशक को बेचकर एग्जिट ले सकता है, बशर्ते उसे कई खरीदार मिल जाए.
बायबैक
स्टार्टअप के संस्थापक अपने शेयर को फंड/निवेशकों से वापस खरीद सकते हैं, अगर उनके पास खरीद करने के लिए लिक्विड एसेट हैं और अपनी कंपनी का नियंत्रण दोबारा प्राप्त करना चाहते हैं. इससे फायदा ये होता है कि फाउंडर्स को अपनी कंपनी की हिस्सेदारी वापस मिल जाती है, जिससे कंपनी में उनका कंट्रोल भी बढ़ जाता है.
05:05 PM IST