कुछ समय पहले ही मुंबई का हेल्थकेयर से जुड़ा एक स्टार्टअप Kenko Health बंद हो गया था. अब कंपनी के को-फाउंडर ने इसके बंद होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह से पर्दा उठाया है. कंपनी के को-फाउंडर अनिरुद्ध सेन ने कहा है कि इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI में चल रही लाल फीताशाही की वजह से Kenko Health का बिजनेस बर्बाद हुआ है. उन्होंने यह भी कहा है कि देश के कुछ फैमिली ऑफिस भी इसमें शामिल हैं, लेकिन अभी उनके नाम जाहिर नहीं किए गए हैं.

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सेन ने कहा कि IRDAI के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने शुरुआत में Kenko Health जैसे तमाम स्टार्टअप्स से कहा कि वह इंश्योरेंस लाइसेंस पाने के लिए आगे बढ़कर फंडिंग उठाएं. हालांकि, सेन का आरोप है कि बाद में उन्होंने यू-टर्न ले लिया. 

उन्होंने कहा कि रेगुलेशन से जुड़ी तमाम शर्तों पर खरा उतरने और कंपलसरिली कन्वर्टिबल प्रिफरेंस शेयर्स को इक्विटी में बदलने के बावजूद केन्को हेल्थ को इंश्योरेंस लाइसेंस नहीं मिला. वहीं शेयर्स को बदलने की वजह से भी दिक्कतें हुईं. इसकी वजह से बोनस शेयर जारी करने पड़े और सेकेंडरी सेल की वजह से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी झेलना पड़ा.

अगस्त के महीने में बंद हुआ था ये स्टार्टअप

इसी साल अगस्त के महीने में इंश्योरटेक स्टार्टअप केनको हेल्थ (Kenko Health) ने अपना बिजनेस बंद कर दिया था. इस स्टार्टअप में पीक एक्सवी पार्टनर्स (Peak XV Partners), ओरियोस वेंचर पार्टनर्स (Orios Venture Partners) और बीनेक्स्ट जैसे बड़े निवेशकों ने करीब 1.37 करोड़ डॉलर लगाए थे. बता दें कि एक वक्त ऐसा था जब केनको हेल्थ का वैल्यूएशन 6 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था.

नहीं मिल पाया इंश्योरेंस का लाइसेंस

अगर कुछ साल पहले की बात करें तो 2019 तक इस स्टॉर्टअप का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा था. स्टार्टअप को कई दिग्गज निवेशकों का समर्थन मिला हुआ था. हालांकि, कंपनी को इंश्योरेंस लाइसेंस नहीं मिल पाया, जिसके बाद इसका मुश्किल वक्त शुरू हो गया. कंपनी के सामने पैसों की दिक्कतें पैदा होने लगीं. कंपनी को कामकाज से जुड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा और इसी के चलते कंपनी को बिजनेस बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

100 कर्मचारियों की गई नौकरी

अपना बिजनेस बंद करने के बाद कंपनी ने मुंबई और बेंगलुरु के अपने ऑफिस बंद कर दिए हैं. इसके चलते कंपनी के करीब 100 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है. यह भी बताया जा रहा है कि बहुत सारे कर्मचारियों को कई महीनों से सैलरी भी नहीं मिली है.

निवेशकों ने किया NCLT का किया रुख

केनको हेल्थ के फाउंडर्स अनिरुद्ध सेन और धीरज गोयल ने जुलाई-अगस्त के दौरान अपने कर्मचारियों को कई ईमेल भेजे थे. फाउंडर्स की तरफ से बताया गया था कि कंपनी के पास पैसे खत्म हो गए हैं. उसमें लिखा था कि कंपनी को लोन देने वाला एक डेट फंड इस मामले को एनसीएलटी ले गया है.