'पैसे' आते रहे और ये 'लुटाते' रहे..! Dunzo के डाउनफॉल की कहानी- कभी छंटनी की, कभी को-फाउंडर ने छोड़ा साथ
डंजो में हालात इस कदर खराब हैं कि कंपनी के निवेशक रिलायंस और लाइटरॉक के प्रतिनिधियों के भी बोर्ड से इस्तीफा देने की खबर आ रही है. यहां एक सवाल ये उठता है कि आखिर इस स्टार्टअप की हालत इतनी बदतर कैसे हो गई? कहां पर कंपनी ने गलती कर दी?
ग्रॉसरी डिलीवरी कंपनी Dunzo की हालत हर गुजरते दिन के साथ खराब होती जा रही है. पिछले कई महीनों से कंपनी फंडिंग (Startup Funding) जुटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन पैसों का कोई इंतजाम नहीं हो पा रहा है. इसी बीच कंपनी को कई बार छंटनी (Layoff) भी करनी पड़ गई है. अब तो कंपनी के को-फाउंडर दलवीर सूरी ने भी कंपनी का साथ छोड़ दिया है. वहीं बिजनेस को रीस्ट्रक्चर (Business Restructure) किया जा रहा है और इसके तहत को-फाउंडर मुकुंद झा के रोल में भी कुछ बदलाव हो रहा है. डंजो में हालात इस कदर खराब हैं कि कंपनी के निवेशक रिलायंस और लाइटरॉक के प्रतिनिधियों के भी बोर्ड से इस्तीफा देने की खबर आ रही है. यहां एक सवाल ये उठता है कि आखिर इस स्टार्टअप की हालत इतनी बदतर कैसे हो गई? कहां पर कंपनी ने गलती कर दी? आइए जानते हैं डंजो के बिजनेस मॉडल (Dunzo Business Model) को और समझते हैं कि क्यों इसकी हालत हो गई है खराब.
स्टार्टअप शुरू होने के 2 साल बाद उठाई पहली फंडिंग
Dunzo की शुरुआत जुलाई 2014 में हुई थी. इसकी शुरुआत कबीर विश्वास ने की थी और बाद में उनके साथ मुकुंद झा, दलवीर सूरी और अंकुर अग्रवाल भी जुड़ गए. डंजो ने अपनी फंडिंग सीड राउंड में 8 मार्च 2016 को उठाई थी, जिसके तहत कंपनी ने Blume Ventures समेत 5 निवेशकों से 6.5 लाख डॉलर यानी करीब 5.40 करोड़ रुपये जुटाए थे. इसके बाद 30 नवंबर 2016 को कंपनी ने सीरीज ए राउंड की फंडिंग के तहत 11.80 लाख डॉलर यानी करीब 9.81 करोड़ रुपये Lightrock india से जुटाए थे.
4 जनवरी 2017 को कंपनी ने एंजल फंडिंग के तहत Krunal Oza से 50 हजार डॉलर यानी करीब 41 लाख रुपये की फंडिंग हासिल की थी. उसके बाद 5 दिसंबर 2017 को कंपनी ने Blume Ventures और Google समेत 4 निवेशकों से सीरीज बी राउंड की फंडिंग के तहत 1.23 करोड़ डॉलर यानी करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई थी. गूगल की तरफ से भारत के किसी स्टार्टअप में ये पहली डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट थी. इसके बाद डंजो ने 9 नवंबर 2018 को Alteria Capital से डेट फाइनेंसिंग के जरिए करीब 7 करोड़ रुपये की फंडिंग हासिल की. Blume Ventures समेत 5 निवेशकों ने कंपनी की सीरीज सी राउंड की फंडिंग में भी 31 लाख डॉलर यानी करीब 25 करोड़ रुपये डाले. इसी राउंड में दीप कालरा ने भी करीब 3 करोड़ रुपये डाले थे.
जोमैटो खरीदना चाहता था डंजो को!
इसके बाद यह खबरें सामने आने लगी थीं कि जोमैटो जल्द ही डंजो का अधिग्रहण कर सकता है. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ. 8 अप्रैल 2019 को डंजो ने कॉरपोरेट राउंड के तहत Alteria Capital समेत 5 निवेशकों से करीब 68.4 करोड़ रुपये जुटाए थे. यह भी खबर आई थी कि डंजो ने Kalpavriksh से भी किसी राउंड के तहत करीब 5 करोड़ रुपये जुटाए हैं. 16 अगस्त 2019 को कंपनी ने Alteria Capital से डेट फाइनेंसिंग के जरिए 28 लाख डॉलर यानी करीब 23 करोड़ रुपये जुटाए. इसके बाद 4 अक्टूबर 2019 को कंपनी ने सीरीज डी के तहत 3L Capital समेत 7 निवेशकों से 45 मिलियन डॉलर यानी करीब 370 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई.
1 रुपये कमाने के लिए कंपनी खर्च करती थी 225 रुपये!
जब वित्त वर्ष 2019 के नतीजे आए तो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 1 रुपये कमाने के लिए डंजो को 225 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इससे आप समझ सकते हैं कि कंपनी का नुकसान कितना बड़ा था. इस वित्त वर्ष में कंपनी का नुकसान पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 8 गुना बढ़कर 24 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया.
ड्रोन से डिलीवरी की मिली इजाजत
इसी दौरान दिसंबर 2019 में खबर आई थी कि डंजो को डीजीसीए की तरफ से लंबी दूरी के BVLOS Drone के जरिए खाना डिलीवरी करने की टेस्टिंग को मंजूरी मिल चुकी है. खबर आने लगी कि अप्रैल 2020 के अंत तक डंजो ड्रोन से डिलीवरी करने लगेगा. अब जब कंपनी की चर्चाएं हर ओर हो रही थीं तो इसका फायदा उठाते हुए कंपनी ने Alteria Capital से एक 1.1 करोड़ डॉलर यानी करीब 90 करोड़ रुयपये की एक और डेट फाइनेंसिंग हासिल कर ली. इसके बाद कंपनी में Alteria Capital का निवेश दोगुना हो गया था.
फिर आई कोरोना वायरस की महामारी
इसके बाद कोरोना वायरस का दौर शुरू हो गया, लेकिन उस दौरान भी 30 मार्च को कंपनी ने करीब 12 मिलियन डॉलर की फंडिंग गूगल से हासिल कर ली. कोरोना काल में जरूरी चीजों की डिलीवरी को छूट मिली हुई थी, जिसकी वजह से अप्रैल अंत तक डंजो के वीकली ऑर्डर 33 फीसदी बढ़ गए और टिकट साइज भी दोगुना हो गया. मई अंत तक गूगल पे ने डंजो के साथ पार्टनरशिप भी कर ली. जुलाई 2020 में बेंगलुरु में हाइपरलोकल सर्विसेस में फ्लिपकार्ट ने भी एंट्री मार ली, जो डंजो के लिए बहुत बड़ा प्रतिद्वंद्वी था. 1 सितंबर 2020 को खबर आई कि कंपनी ने गूगल और लाइटस्टोन समेत कुछ निवेशकों से करीब 28 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल कर ली है.
रेवेन्यू 4 गुना बढ़ा, नुकसान 35 गुना बढ़ गया
इसी बीच खबर आई कि वित्त वर्ष 2020 में कंपनी का रेवेन्यू 4 गुना बढ़ सकता है. हालांकि, जब नतीजे आए तो पता चला कि कंपनी का नुकसान 35 गुना बढ़कर 338 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है. 19 जनवरी 2021 को खबर आई कि कंपनी ने गूगल समेत सीरीज ई के तहत कुछ निवेशकों से करीब 40 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है. इस दौरान कंपनी का वैल्युएशन 300 मिलियन डॉलर से अधिक हो गया था.
26 अगस्त 2021 को खबर आई कि वित्त वर्ष 2021 में डंजो का रेवेन्यू 66 फीसदी बढ़कर 46 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. वहीं कंपनी का का नुकसान 768 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. इस दौरान कंपनी का जीएमवी 590 करोड़ रुपये पहुंच गया था. वहीं साल-दर-साल के आधार पर कंपनी का कैश बर्न 35 फीसदी कम हुआ था. इसी बीच खबर आने लगी की स्विगी की तरफ से डंजो का अधिग्रहण हो सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
रिलायंस ने खरीद लिया 25.8 फीसदी स्टेक
सीरीज ई के तहत अक्टूबर 2021 में डंजो ने 240 मिलियन का एक फंडिंग राउंड किया, जिसमें रिलायंस जियो ने भी पैसे लगाए. रिलायंस ने करीब 1800 करोड़ रुपये डंजो में डालकर लगभग 25.8 फीसदी स्टेक खरीद लिया था. इसके बाद ही इस बात की चर्चा होने लगी कि आने वाले कुछ सालों में कंपनी अपना आईपीओ ला सकती है. उस वक्त तो डंजो को नंबर-1 क्विक कॉमर्स कंपनी कहा जाने लगा था. कुछ समय बाद कंपनी ने ONDC पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कर दी.
और फिर शुरू हुआ मुसीबतों का दौर...
बस यहीं तक डंजो की तरक्की का सिलसिला चला. उसके बाद कंपनी में और बाजार में एक के बाद एक ऐसी चीजें हुईं कि डंजो नीचे आने लगा. सितंबर 2022 में कंपनी को बड़ा झटका लगा, जब वर्कर्स ने बेंगलुरु में हड़ताल कर दी. उसी दौरान कंपनी अपना बिजनेस मॉडल क्विक कॉमर्स से शिफ्ट करने की प्लानिंग भी करने लगी थी. वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का बिजनेस 94 फीसदी बढ़ा. हालांकि, कंपनी का नुकसान 464 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. कंपनी की हालत खराब होने लगी तो खबर आई कि डंजो आने वाले दिनों में एनसीआर और हैदराबाद में अपने कुछ डार्क स्टोर बंद कर सकती है. ये वह वक्त था, जब कंपनी को पैसों की सख्त जरूरत थी. ऐसे में कंपनी ने नवंबर 2022 में BlackSoil से डेट फाइनेंसिंग के जरिए करीब 50 करोड़ रुपये जुटाए. कंपनी ने पैसे तो जुटा लिए लेकिन हालात नहीं सुधर पाई.
करीब 600 कर्मचारियों को दिखाया बाहर का रास्ता
16 जनवरी को खबर आई कि डंजो ने करीब 3 फीसदी लोगों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है. इसके बाद अप्रैल 2023 में कंपनी ने गूगल और रिलायंस से कन्वर्टिबल नोट के जरिए करीब 75 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की. वहीं इस फंडिंग के बाद 30 फीसदी यानी करीब 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. 10 जुलाई 2023 को खबर आई कि कंपनी की वित्तीय हालत इतनी खराब है कि निकाले गए कर्मचारियों की सैलरी को टाल दिया गया है. यह भी खबर आई कि कुछ कर्मचारियों को सिर्फ आधी ही सैलरी दी जा रही है. कंपनी की तरफ से पुराने कर्मचारियों की जून-जुलाई की सैलरी सितंबर में भी टाल दी गई थी.
बार-बार सैलरी टाल रही कंपनी, पैसों की भारी तंगी
सैलरी देने को लेकर कंपनी ने कहा था कि 4 सितंबर को उनके बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन फिर कंपनी ने नई तारीख दे दी और कहा कि अब सैलरी के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ अक्टूबर के पहले हफ्ते में मिलेंगे. उसके बाद हाल ही में कंपनी ने सैलरी टालते हुए कहा था कि नवंबर के महीने में भुगतान किया जाएगा. इसी बीच जुलाई के महीने में कंपनी ने करीब 200 कर्मचारियों को फिर नौकरी से निकाल दिया.
डंजो 7 कंपनियां भेज चुकी हैं लीगल नोटिस
वहीं जुलाई के महीने में ही कंपनी को कुछ बकाया भुगतान ना करने पर 7 कंपनियों की तरफ से नोटिस भेजे गए थे. कंपनी को बकाया भुगतान ना करने की वजह से दो कंपनियों ने लीगल नोटिस (Legal Notice) भी भेजा जा चुका है. फेसबुक इंडिया ऑलाइन सर्विसेस प्राइवेज लिमिटेड (Facebook India) और बेंगलुरु की सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी फर्म निलेंसो (Nilenso) ने भी डंजो को कानूनी नोटिस भेजे थे. डंजो की हालत कितनी खराब है, इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि इस कंपनी के दूसरे सबसे बड़े निवेशक गूगल ने भी कंपनी को लीगल नोटिस भेजा है और बकाया का भुगतान करने को कहा है. ऐसे समय में फेसबुक और निलेंसो की तरफ से भी नोटिस आ जाना डंजो की वित्तीय हालत को दिखाता है. डंजो को दोनों कंपनियों ने जो कानूनी नोटिस भेजा है, उसके तहत करीब 4 करोड़ रुपये बकाया हैं.
अब 250 करोड़ का फंडिंग राउंड करने की तैयारी
पिछले दिनों खबर आई थी कि अब कंपनी 25-30 मिलियन डॉलर यानी करीब 250 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाने की तैयारी कर रही है. हालांकि, जब कंपनी से इस पर बात की गई तो उन्होंने कोई कमेंट नहीं किया, लेकिन डंजो के हालात अब किसी से छुपे नहीं हैं. यह साफ है कि इस वक्त डंजो को पैसों की बहुत जरूरत है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि उसे कौन पैसे देता है.
फिर से होगी छंटनी?
कंपनी से को-फाउंडर दलवीर सूरी जा चुके हैं. दूसरे को-फाउंडर मुकुंद झा का रोल भी बदला जा रहा है. सीईओ कबीर विश्वास ने कहा है कि बिजनेस को रीस्ट्रक्चर किया जा रहा है और ये देखा गया है कि जब-जब कोई बिजनेस री-स्ट्रक्चर होता है तो बहुत सारे लोगों के नौकरी जाती है. यानी एक बात तो तय है कि आने वाले दिनों में कंपनी में एक बड़ी छंटनी हो सकती है. कंपनी ने इसी साल की शुरुआत से छंटनी शुरू की है और अब तक करीब 600 लोगों को निकाल चुकी है.
बिक गई लगभग सारी कंपनी, हाथ में बचे हैं बस चिल्लर!
5 मई 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार फाउंडर्स के पास सिर्फ 3.57 फीसदी इक्विटी है, जिसकी नेटवर्थ करीब 207 करोड़ रुपये है. बता दें कि इस स्टार्टअप में भले ही 4 को-फाउंडर हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ कबीर विश्वास के पास ही इक्विटी है. उनके अलावा दलवीर सूरी, अंकुर अग्रवाल और मुकुंद झा सिर्फ सैलरी लेते हैं. हालांकि, उनके पास कंपनी के ESOP के तहत कुछ शेयर हैं. कंपनी के करीब 45.72 फीसदी शेयर्स एंटरप्राइजेज के पास हैं, वहीं फंड्स के पास 38.70 फीसदी शेयर हैं. ESOP के तहत 8.85 फीसदी शेयर रखे गए हैं. एंजल निवेशकों के पास 3.15 फीसदी शेयर हैं और कुछ अन्य के पास 0.08 फीसदी शेयर हैं.