जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला, हमने तो जब-जब गुड़ मांगा मिर्ची का अचार मिला! कुछ ऐसे ही जले-भुने बैठे होंगे वो तीनों. अरे वही, पटना का इंजीनियर जो 100 रुपए का रिफंड लेने के चक्कर में 77,000 गंवा बैठा, बेंगलुरू का वो बेचारा जिसे पिज्जा के चक्कर में 95,000 का चूना लग गया और हैदराबाद का वो टेक-प्रोफेशनल जिसने स्पेशल चिकन बिरयानी के चक्कर में 50,000 रुपए लुटा दिए. इनकी कहानी तो सुनी होगी आपने? नहीं सुनी तो भी कोई बात नहीं. बस मोटा-मोटा ये समझ लीजिए कि इन सभी को एक ही बिच्छू ने डंक मारा. उस बिच्छू का नाम है फर्जी कस्टमर केयर नंबर. जी हां, सितंबर 2019 से फरवरी 2020 के बीच शिकार बने इन तीनों की कहानी में एक चीज कॉमन है. तीनों ने जोमैटो (Zomato) से ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया. एक का खाना पते पर नहीं पहुंचा, एक का पहुंचा तो मालूम हुआ कि कुछ और ही आइटम आ गया, और एक का ऑर्डर सही पहुंचा तो खानेवाले को खाना कुछ जमा नहीं. बहरहाल, तीनों ने गुस्से में आकर एक ही गलती की. इंटरनेट से जोमैटो का कस्टमर केयर नंबर सर्च किया और मिला दिया फोन. अब यहां पेंच ये है कि है कि जोमैटो का कोई कस्टमर केयर नंबर है ही नहीं. कंपनी साफ कहती है कि वो सिर्फ चैट या ई-मेल पर उपलब्ध है. यानी फोन पर जिन लोगों से भी इन तीनों की बात हुई वो सब के सब जालसाज थे. उन्होंने जोमैटो कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव बनकर 'असुविधा के लिए खेद' जताया और पैसे लौटाने के नाम पर खाता साफ करने वाला लिंक भेज दिया. ये फर्जी लिंक वाले खेल की डीटेल अगर आप नहीं जानते तो नीचे दिए 2 किस्सों पर नजर डालें.

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पहला किस्सा- (हर शाख़ पर जेबकतरे बैठे हैं)

दूसरा किस्सा- (अथ श्री Paytm फ्रॉड कथा)

इंटरनेट पर है फर्जी हेल्पलाइन नंबरों की भरमार

तो जनाब दुनिया एक तालाब है, आम आदमी है मछली और इस मछली को फंसाने की फिराक में कटिया लिए बैठे हैं हजारों डिजिटल डकैत. इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ एक है- आपका भरोसा जीतकर आपके बैंक खाते में पैसे उड़ा लेना. कभी यूपीआई के जरिए, कभी नेटबैंकिंग के रास्ते तो कभी डेबिट-क्रेडिट कार्ड की डीटेल लेकर. जालसाजों की ऐसी ही एक कटिया है नकली कस्टमर केयर या फिर हेल्पलाइन नंबर. ये समझ लीजिए कि आज की तारीख में आप जो भी सर्विस सोच सकते हैं, इंटरनेट पर हर उस सर्विस का फर्जी हेल्पलाइन नंबर मौजूद है. एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया से लेकर जियो तक के फर्जी नंबर, एसबीआई समेत तकरीबन सभी बैंकों के फर्जी नंबर, स्विगी जोमैटो जैसे ऑनलाइन फूड ऐप्स के फर्जी नंबर, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के फर्जी नंबर, डीटीएच कंपनियों के फर्जी नंबर, पेटीएम, एलआईसी, ईपीएफओ यहां तक कि फास्टैग जैसी सरकारी योजनाओं तक के नाम पर भी साइबर फ्रॉड्स आम लोगों की जेबें काट रहे हैं. और तो और इन जालसाजों का हौसला इतना बढ़ चुका है कि अपने फंदे में फंसाने के लिए ये खुद कॉल करते हैं आपके नंबरों पर. कभी बैंक का प्रतिनिधि बनकर, कभी क्रेडिट कार्ड कंपनी का एजेंट बनकर तो कभी किसी और सर्विस का कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव बनकर. 

(FASTag आया, फ्रॉड लाया)

(QR कोड ने चलाई पॉकेट पर कैंची)

 

इनका कोई कुछ करता क्यों नहीं?

एक ढूंढिए तो हजार मिलेंगे ऐसे किस्से. डेबिट कार्ड खो गया, एटीएम से पैसे निकले नहीं लेकिन पैसे कट गए, IRCTC पर टिकट बुक कर रहे थे, बुक नहीं हुआ लेकिन पैसा कट गया, अकाउंट से पैसे कटे लेकिन क्यों कटे पता नहीं , मोबाइल बैंकिंग से पैसे भेजना चाहते हैं लेकिन एरर आ रहा है, ऐसे तमाम मौकों पर हम फौरन कस्टमर केयर नंबर खोजते हैं. और हमी में से कुछ लोग फर्जी हेल्पलाइन नंबरों के फेर में पड़कर जेबें कटवा लेते हैं. ऐसे सबसे ज्यादा मामले ऐप-बेस्ट कंपनियों से जुड़े होते हैं जिनका कस्टमर केयर नंबर होता ही नहीं है. धोखाधड़ी करने वाले ऐप बेस्ड कंपनी का भी फर्जी हेल्पलाइन गूगल पर छोड़ देते हैं और अनजान लोग इनके झांसे में आ जाते हैं. गूगल ही नहीं, फेसबुक, ट्विटर, Quora तक पर मिल जाएंगे ऐसे फर्जी नंबर. खासतौर पर गूगल पे, भीम, फोन पे जैसी यूपीआई सर्विस के फर्जी कस्टमर केयर नंबर तो इफरात में हैं क्योंकि इसमें उन्हें बहुत कुछ करना नहीं होता. आपकी डीटेल मिली, उन्होंने कोई लिंक भेजा और चल गई अकाउंट पर कैंची. कायदे से देखा जाए तो सभी बड़ी कंपनियों को इंटरनेट पर जाकर अपने हेल्पलाइन नंबर खोजने चाहिए, अगर कुछ गड़बड़ है तो गूगल को खबर करनी चाहिए ताकि जालसाजों की दुकान बंद हो सके. लेकिन ऐसा कुछ होता दिखता नहीं. हां, आम आदमी के लिए एडवाइजरी जरूर जारी होती रहती है कि ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहें. यानी अपनी गाढ़ी कमाई के पैसों की सुरक्षा हमें खुद ही करनी है.

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