PPF vs EPF: ब्याज ज्यादा होने के बावजूद ईपीएफ के हैं ये Drawbacks, खुद तय करें दोनों स्कीम्स में कौन सी है बेस्ट
ईपीएफ को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मैनेज करता है. पीपीएफ को सरकार मैनेज करती है. दोनों ही प्रोविडेंट फंड्स हैं. लेकिन दोनों के कुछ फायदे और कमियां हैं. यहां जानिए इनके बारे में.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और पब्लिक प्रोविडेंड फंड (PPF) दोनों ही स्कीम्स को सरकार चलाती है. दोनों ही प्रोविडेंट फंड्स हैं. EPF सैलरीड इंडिविजुअल यानी सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए एक रिटायरमेंट बेनेफिट प्लान है. इस स्कीम में कंपनी और कर्मचारी दोनों को कंट्रीब्यूशन करना होता है. इससे लंबे समय में अच्छा खासा अमाउंट तैयार हो जाता है. वहीं PPF की बात करें, तो ये सभी इंडिविजुअल्स को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा के लिए डिजाइन की गई स्कीम है. इसमें भारत का कोई भी नागरिक निवेश कर सकता है. जो लोग EPF में कॉन्ट्रीब्यूशन कर रहे हैं, वे भी PPF में निवेश कर सकते हैं.
ईपीएफ को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मैनेज करता है. ईपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की बात करें तो वर्तमान में 8.1 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिल रहा है. वहीं पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 फीसदी है. इस तरह ब्याज के मामले में ईपीएफ ज्यादा फायदे का सौदा मालूम पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद EPF के कुछ Drawbacks हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोग बात नहीं करते. आइए आपको बताते हैं पीपीएफ और ईपीएफ के फायदे और कमियां, जिससे आप खुद ये डिसाइड कर सकते हैं कि दोनों में से कौन सी स्कीम आपके लिए बेस्ट है.
पीपीएफ के फायदे
- पीपीएफ का पहला फायदा ये है कि एनआरआई को छोड़कर कोई भी भारतीय नागरिक इस स्कीम का लाभ ले सकता है.
- निवेश को लेकर भी इसमें फ्लेक्सिबिलिटी का फायदा मिलता है. इसमें न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक जमा किए जा सकते हैं.
- अकाउंट खोलने के तीसरे वित्तीय वर्ष से छठे वित्तीय वर्ष के बीच आपको पीपीएफ पर जमा राशि का 25% तक लोन मिल सकता है.
- इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के अंतर्गत पीपीएफ पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. मैच्योरिटी की राशि भी टैक्स फ्री है.
- PPF को सरकार द्वारा सीधे मैनेज किया जाता है. इसमें आपका निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है.
ईपीएफ के फायदे
- ईपीएफ का फायदा ये है कि इसमें जितना कॉन्ट्रीब्यूशन कर्मचारी का होता है, उतना ही कंपनी भी करती है.
- ईपीएफ का ब्याज पीपीएफ की तुलना में बेहतर है. ईपीएफ पर 8.1 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिल रहा है और पीपीएफ पर 7.1 फीसदी के हिसाब से.
- ईपीएफ में कर्मचारी का जो भी पैसा जमा होता है, उसमें से कुछ हिस्सा पेंशन अकाउंट में जाता है. एक निश्चित तक कॉन्ट्रीब्यूशन करने पर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद आजीवन पेंशन की सुविधा दी जाती है.
- पीपीएफ के मुकाबले EPF अधिक लिक्विड है. अगर आप एक महीने की अवधि के लिए बेरोज़गार हैं, तो आप अपने EPF फंड का 75% निकाल सकते हैं. यदि आपकी बेरोज़गारी दो महीने तक बढ़ती है, तो आप पूरे EPF फंड निकाल सकते हैं.
- आप EPF अकाउंट में भी पैसा छोड़ सकते हैं, भले ही आप बेरोज़गार हों या अपना बिजनेस करना शुरू कर दें. योगदान न होने के बावजूद ईपीएफ बैलेंस पर ब्याज मिलता रहता है.
- आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत EPF अकाउंट पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है. यानी एक साल में 1.5 लाख रुपए तक का निवेश करने पर टैक्स नहीं लगता है.
पीपीएफ के Drawbacks
- PPF अकाउंट 15 सालों बाद मैच्योर होता है. ये अवधि काफी लंबी है. इसके अलावा इसमें ईपीएफ की तुलना में ब्याज भी कम मिलता है.
- PPF अकाउंट खोलने के 5 साल से पहले फंड से कुछ हिस्सा भी निकाला नहीं जा सकता. भले ही आप बेरोज़गार हों या परिवार के कुछ इमरजेंसी लिए फंड की आवश्यकता हो.
- इसके अलावा वर्तमान में PPF की तय ब्याज दर के हिसाब से देखें तो लंबे समय में इक्विटी लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स जैसे म्यूचुअल फंड और NPS की तुलना में बहुत कम रिटर्न दे सकता है.
ईपीएफ के Drawbacks
- ईपीएफ के Drawbacks की बात करें, तो सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसमें सिर्फ कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ही निवेश कर सकते हैं.
- वेतन और डीए का 12% कंपनी और कर्मचारी से तय किया गया है. इससे कम योगदान आप नहीं कर सकते. हालांकि ज्यादा योगदान के लिए आपको वीपीएफ का विकल्प दिया जाता है.
- ईपीएफ में अगर 5 साल से पहले निकासी करते हैं तो टैक्स देना पड़ सकता है.
- म्युचुअल फंड या एनपीएस के बराबर EPF रिटर्न नहीं मिलता है.
02:55 PM IST