हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले जानें कब यूज होता है शब्द ‘सम इंश्योर्ड’, क्या हैं इंश्योरेंस में इसके मायने- जानिए सबकुछ
कई लोग जानकारी के अभाव में हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इससे जुड़े शब्दों के बारे में कंफ्यूज रहते हैं. ऐसा ही एक टर्म है सम इंश्योर्ड. अगर आप भी हेल्थ इंश्योरेंस ले रहें हैं तो इसके बारे में जानकारी होना जरुरी है.
पॉलिसी होल्डर एक पॉलिसी ईयर में लिए गए हेल्थ बीमा के तहत जिस मैक्सिमम अमाउंट को क्लेम कर सकता है, उसको सम इंश्योर्ड कहा जाता है. अगर मेडिकल इमरजेंसी की कंडीशन या किसी बीमारी के इलाज के लिए एक या एक से ज्यादा क्लेम किए जाते हैं. तो इसको मैक्सिमम अमाउंट कहते हैं. इसे इंश्योरेंस कंपनी एक पॉलिसी ईयर में पॉलिसी होल्डर को पे करती है. जब कोई क्लेम किया जाता है, तो बीमा कंपनी पॉलिसी के तहत मौजूद कवरेज का आकलन करती है. और सम इंश्योर्ड की लिमिट तक क्लेम अमाउंट का पेमेंट करती है. अगर क्लेम अमाउंट इंश्योर्ड अमाउंट से ज्यादा होता ह, तो इंश्योरर आपको एक्सट्रा अमाउंट का पेमेंट करता है. बीमा कंपनियां सम इंश्योर्ड की लिमिट से ज्यादा के मेडिकल एक्सपेंस के लिए पेमेंट नहीं करती हैं. अगर आपके पास 10 लाख रुपए के सम एश्योर्ड वाली हेल्थ बीमा पॉलिसी है. और आपने पॉलिसी ईयर के दौरान पहला क्लेम 7 लाख रुपए के लिए किया था.. तो क्योंकि क्लेम अमाउंट 10 लाख रुपए से कम है, इसलिए इंश्योरर आपको पूरे क्लेम अमाउंट का पेमेंट करेगा. फिर कुछ महीने बाद आप 4 लाख रुपए के लिए दूसरा क्लेम करेंगे तो इस मामले में इंश्योरर आपको सिर्फ 3 लाख रुपए का पेमेंट ही करेगा. क्योंकि आपकी सम इंश्योर्ड की लिमिट खत्म हो जाएगी. आपको बाकी का 1 लाख रुपए का पेमेंट खुद से करना होगा.
सही सम इंश्योर्ड सिलेक्ट करना है जरुरी
सही सम इंश्योर्ड को सिलेक्ट करके आप अपने लिए जरुरी मेडिकल कवरेज इंश्योर करते हैं. अगर आप कम सम इंश्योर्ड का ऑप्शन चुनते हैं, तो आपको मेडिकल इमर्जेंसी के दौरान अपनी जेब से एक्सट्रा अमाउंट का पेमेंट करना होगा. इसी तरह अगर आप जरुरत से अधिक सम इंश्योर्ड को सिलेक्ट करेंगे तो आपको महंगे प्रीमियम का पेमेंट करना पड़ेगा. सही सम इंश्योर्ड वाली एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपको अपनी सेविंग को बनाए रखने में मदद करती है. मेडिकल इमर्जेंसी की कंडीशन में आपकी सेविंग बची रहेगी क्योंकि आपके सम इंश्योर्ड से आपके मेडिकल खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध होगी. अगर आपके पास पर्याप्त कवरेज वाली हेल्थ पॅालिसी है, तो आपको मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में पैसे की व्यवस्था करने के लिए चिंता करने की जरुरत नहीं होगी. जिससे आप पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा और आप टेंशन फ्री जीवन जी सकेंगे.
कब आप अपना सम इंश्योर्ड बढ़ा सकते हैं
जब आपकी हेल्थ पॅलिसी का रिन्यूवल होने वाला हो, तब आप अपने सम इंश्योर्ड को बढ़ाने का ऑप्शन चुन सकते हैं. आपके सम इंश्योर्ड में बढ़त के आधार पर आपकी प्रीमियम राशि भी बढ़ेगी. आपकी पॉलिसी के सम इंश्योर्ड को क्यूम्लेटिव बोनस से भी बढ़ाया जा सकता है. यह बोनस आपको हर क्लेम फ्री ईयर के बाद दिया जाएगा. इसमें प्रीमियम राशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी.
सही सम इंश्योर्ड को सिलेक्ट करते समय ध्यान क्या रखें
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सम इंश्योर्ड का सिलेक्शन आपको अपनी उम्र के अनुसार करना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ बीमार होने और हेल्थ कंडीशन खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके साथ ही अपनी पॉलिसी के सम इंश्योर्ड को चुनते समय अपनी वर्तमान हेल्थ कंडीशन पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर आप डायबिटीज जैसी किसी बीमारी से पहले से पीड़ित हैं. तो आपको हाई सम इंश्योर्ड का ऑप्शन चुनना चाहिए. सम इंश्योर्ड तय करते समय आप जिस प्रकार की हेल्थ स्कीम खरीदना चाहते हैं. उसे भी निर्धारित किया जाना चाहिए. अगर आप खुद को कवर करने के लिए एक इंडिविजुअल प्लान खरीद रहे हैं. तो कम सम इंश्योर्ड भी पर्याप्त होगा. लेकिन अगर आप फैमिली फ्लोटर हेल्थ प्लान को चुन रहे हैं, तो आपको ज्यादा सम इंश्योर्ड की जरुरत हो सकती है. क्योंकि कवरेज पूरी फैमिली के लिए पर्याप्त होना चाहिए. इसी तरह अपने सम इंश्योर्ड को निर्धारित करते समय आप किस तरह की लाइफ स्टाइल जी रहे हैं. उस पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर आपकी एक तनावपूर्ण लाइफ स्टाइल है. तो आपको मोटापा, हाई ब्लडप्रेशर आदि जैसी बीमारियों के होने का अधिक खतरा होता है. इस कंडीशन में हाई सम इंश्योर्ड को सिलेक्ट करना चाहिए.
08:35 AM IST