जब आप अपनी गाड़ी का कंप्रिहेंसिव बीमा कराते हैं तो आपको गाड़ी में हुए नुकसान का मुआवजा बीमा कंपनी की ओर से मिलता है. आपकी गाड़ी चोरी हो गई है या किसी हादसे में पूरी तरह से नष्‍ट हो गई है, तो बीमा कंपनी आपको मुआवजे के तौर पर कितनी राशि देगी, ये आपकी गाड़ी की IDV पर निर्भर करता है. IDV यानी Insured Declared Value. दरअसल कंप्रिहेंसिव बीमा करते समय बीमा कंपनी आपकी गाड़ी की मौजूदा कीमत का आकलन करती है और मौजूदा कीमत को बीमा कंपनी में IDV के रूप में दर्ज करती है. साधारण शब्‍दों में समझें तो मौजूदा समय में आपके वाहन की बाजार की कीमत को IDV कहा जाता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर कोई भी कंपनी गाड़ी की IDV किस आधार पर तय करती है?

क्‍यों पड़ती है IDV की जरूरत

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बीमा कंपनी और ग्राहक के बीच किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए IDV की जरूरत होती है. दरअसल गाड़ी के चोरी होने या नष्‍ट होने पर जब मुआवजे की बारी आती है तो ग्राहक ज्‍यादा रकम मुआवजे के तौर पर चाहता है और कंपनी कम से कमी मुआवजा देना चाहती है. ऐसी स्थिति में मामला उलझ सकता है. इसलिए बीमा कराते समय ही IDV के रूप में गाड़ी का मूल्‍य तय हो जाता है. गाड़ी की कीमत मौजूदा बाजार की कीमत के आधार पर तय की जाती है. ऐसे में जब बीमा क्‍लेम करने की नौबत आती है, तो किसी तरह का विवाद नहीं होता और आसानी से मामले का निपटारा हो जाता है.

किस आधार पर तय होती है IDV

आईडीवी तय करने का भी एक निश्चित फॉर्मूला है. जब कोई गाड़ी नई होती है तो उसकी कीमत शोरूम की कीमत के बराबर ही रखी जाती है, लेकिन गाड़ी जितनी पुरानी होती जाती है, उसकी कीमत में फर्क पड़ जाता है. उसी आधार पर फिर उसकी IDV तय की जाती है. 6 महीने पुरानी गाड़ी की IDV शोरूम कीमत से 5% कम यानी 95% तय होगी. 6 महीने और एक साल के बीच की गाड़ी है तो  IDV शोरूम कीमत से 15% कम तय होगी. 1 साल से दो साल के बीच पुरानी गाड़ी के लिए शोरूम कीमत से 20% कम यानी 80% के बराबर, 2 साल से 3 साल के बीच पुरानी गाड़ी की IDV शोरूम कीमत से 30% कम रखी जाती है. 3 साल से 4 साल के बीच पुरानी गाड़ी की IDV शोरूम कीमत से 40% कम यानी शोरूम की कीमत के 60 फीसदी के बराबर तय की जाती है और 4 साल से 5 साल के बीच पुरानी गाड़ी की IDV शोरूम कीमत से 50% कम तय की जाती है.

5 साल से ज्‍यादा पुराना वाहन हो तो…

अगर आपका वाहन 5 साल से ज्‍यादा पुराना है तो उसकी सर्विसिंग कंडीशन और बॉडी पार्ट्स के आधार पर IDV तय की जाती है. ज्‍यादातर इस मामले में गाड़ी की कीमत बीमा कंपनी और ग्राहक की सहमति के साथ तय होती है.

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