अगर आप गाड़ी का इस्‍तेमाल करते हैं तो इसका इंश्‍योरेंस भी कराते होंगे. इंश्‍योरेंस प्‍लान आपकी गाड़ी को कवरेज देने का काम करते हैं. किसी तरह की दुर्घटना की स्थिति में टूट-फूट वगैरह की भरपाई करते हैं. लेकिन महंगाई बढ़ने के साथ अब इंश्‍योरेंस प्‍लान भी महंगे हो गए हैं. अगर आप महंगे प्रीमियम के कारण अपने वाहन का बीमा नहीं करवा पा रहे हैं, तो यहां आज हम आपको बताएंगे यूज बेस्‍ड इंश्योरेंस (Usage Based Insurance-UBI) के बारे में. जिस तरह घर की बिजली आप जितनी खर्च करते हैं, उसी के हिसाब से बिल का पेमेंट करते हैं. ठीक उसी तरह से इस इंश्‍योरेंस प्‍लान को डिजाइन किया गया है. आप जितना अपनी गाड़ी का इस्‍तेमाल करेंगे, उतना ही आपको प्रीमियम देना पड़ेगा. आइए जानते हैं इस खास इंश्‍योरेंस प्‍लान से जुड़ी तमाम जानकारी.

क्या है यूज बेस्ड इंश्योरेंस

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महंगाई के बीच लोगों की बढ़ती समस्‍या को देखते हुए तमाम इंश्‍योरेंस कंपनियां Usage Based Insurance प्‍लान को ऑफर कर रही हैं. ये मोटर इंश्योरेंस पर मिलने वाला एक ऐड-ऑन कवर है, जिसे रेगुलर मोटर इंश्योरेंस के साथ लिया जा सकता है. इस प्‍लान में आपकी गाड़ी के इस्‍तेमाल के आधार पर प्रीमियम तय किया जाता है. पश्चिमी देशों में UBI Plan का इस्‍तेमाल काफी समय से किया जा रहा है. लेकिन भारत में अभी ये लोगों के लिए नया है. इसे पे एज यू ड्राइव स्कीम (Pay  as You Drive Scheme) भी कहा जाता है.

किनके लिए है फायदेमंद

ऐसे लोग जिनके पास गाड़ी तो है, लेकिन वो कभी-कभार ही उसका इस्‍तेमाल करते हैं, रोजाना में यूज नहीं करते हैं, उनके लिए ये प्‍लान काफी फायदेमंद हो सकता है. यूबीआई के तहत जितना इस्तेमाल उतना भुगतान किया जाता है. ऐसे में इस प्‍लान के जरिए आप अपनी जेब पर पड़ने वाले बोझ को काफी हल्‍का कर सकते हैं.

दो तरह से उठा सकते हैं फायदा

1- पे एज यू ड्राइव  (PAYD): इस प्‍लान में प्री‍मियम की गणना अब तक चलाए गए किलो‍मीटर और गाड़ी की अवधि के हिसाब से तय की जाती है. इसके लिए बीमाकर्ता किलोमीटर और अवधि को ट्रैक करने के लिए टेलीमैटिक्स से प्राप्त डेटा का इस्‍तेमाल करता है.

2- पे हाऊ यू ड्राइव (PHYD): इस विकल्‍प को चुनने पर प्रीमियम इस आधार पर तय किया जाता है कि आप वाहन किस तरह से चलाते हैं. अगर आपकी ड्राइविंग स्किल्‍स काफी अच्‍छी हैं, तो ये विकल्‍प आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. इसमें बीमाकर्ता आपकी ड्राइविंग हैबिट्स, इंजन की स्थिति, व्‍हीकल की स्‍पीड आदि तमाम बिंदुओं को जानने के लिए टेलीमैटिक्स और जीपीएस का इस्‍तेमाल करता है. इनके आधार पर ड्राइवर को अंक दिए जाते हैं और अंकों के आधार पर उनका प्रीमियम निर्धारित होता है.

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