अगर आप भी एक नौकरीपेशा हैं तो आपको भी कंपनी की तरफ से कई तरह के रीइम्बर्समेंट जरूरत मिलते होंगी. इन रीइम्बर्समेंट (Reimbursement) टूल्स का फायदा ये होता है कि आपको उन पैसों पर टैक्स (Tax) नहीं चुकाना पड़ता है. फूड कूपन, कम्युनिकेशन, कन्वेंस, एलटीए, यूनीफॉर्म अलाउंस जैसे कई टूल्स होते हैं, जो रीइम्बर्समेंट के दायरे में आते हैं. हालांकि, यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ये टैक्स फ्री क्यों होते हैं? सरकार को इससे क्या फायदा कि इन सारे काम में लगने वाले पैसों पर टैक्स छूट दी जाती है. आइए समझते हैं.

खाने-पीने या शॉपिंग पर टैक्स छूट क्यों?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अगर आपको फूड या एंटरटेनमेंट या यूनीफॉर्म के लिए मिलने वाले पैसों पर टैक्स छूट दी जाती है तो दरअसल सरकार इकनॉमी को बूस्ट करना चाहती है. जब आप कोई कपड़ा खरीदेंगे या कुछ खाएंगे पिएंगे, तो आप सरकार को जीएसटी के नाम पर टैक्स तो देंगे ही. वहीं आप जिस दुकान से ये सब खरीदेंगे, उसको भी कुछ मुनाफा होगा, जिससे वह उस पैसे को फिर से बिजनेस में लगाएगा. इसी पैसों से उनकी दुकान में नौकरी करने वालों को सैलरी मिलेगी यानी रोजगार को सपोर्ट मिलेगा. वहीं ये पैसा जितना ज्यादा इकनॉमी में घूमेगा, हमारी अर्थव्यवस्था उतनी ज्यादा बढ़ेगी.

जब सरकार आपको एलटीए के तहत कहीं घूमने जाने के लिए किराए पर टैक्स छूट देती है तो भी सरकार को काफी फायदा होता है. आप जिस ट्रेन या हवाई जहाज की टिकट लेकर घूमने जाते हैं, उससे जीएसटी सरकार के पास पहुंचती है. वहीं जब आप कहीं घूमने जाते हैं तो वहां पर किसी ना किसी होटल में रुकते हैं, जिससे उस होटल का बिजनेस बढ़ता है. वहां आस-पास घूमते हैं, जिससे वहां की बाकी दुकानों का बिजनेस बढ़ता है. देखा जाए तो आपके कहीं घूमने जाने से बहुत सारे लोगों को फायदा होता है. होटल वाले, दुकान वाले, रेहड़ी वाले, ट्रांसपोर्ट वाले, खाने वाले, हैंडीक्राफ्ट वाले समेत तमाम लोगों के बीच रुपया घूमता है, जिससे इकनॉमी बढ़ती है.

मनी सर्कुलेशन है सरकार का मकसद

यानी फूड कूपन, कम्युनिकेशन, कन्वेंस, एलटीए, यूनीफॉर्म अलाउंस जैसे टूल्स पर टैक्स छूट देने का सिर्फ इतना ही मकसद होता है कि पैसे इकनॉमी में अधिक से अधिक घूमें. आपको इन चीजों के लिए मिलने वाले पैसों के बदले आपको उनके ओरिजनल बिल लगाने होते हैं, तभी आपको ये छूट मिलती है. वहीं कुछ कंपनियां रीइम्बर्समेंट का ये अमाउंट सीधे पेटीएम वॉलेट में भेज देती हैं, लेकिन वहां भी इन्हें अलग-अलग कैटेगरी में ही खर्च किया जा सकता है, जिसके लिए पेटीएम ने एक सिस्टम बना या भी हुआ है.