इन्वेस्टमेंट प्रूफ देते वक्त ना करें ये गलती, जानिए फर्जी Rent Receipt कैसे पकड़ता है Income Tax विभाग
इन्वेस्टमेंट प्रूफ देते वक्त अक्सर ज्यादा टैक्स बचाने के लिए कुछ लोग फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रेंट रिसीप्ट (Fake Rent Receipt) जमा कर दते हैं. अगर आप भी ऐसा कुछ करने की सोच रहे हैं तो जरा रुकिए.
नौकरीपेशा लोगों के लिए यह महीना बहुत ही अहम है. इसी महीने में कंपनियों की तरफ से कर्मचारियों से उनके इन्वेस्टमेंट प्रूफ (Investment Proof) मांग जाते हैं. बता दें कि इसी प्रूफ के आधार पर यह तय होता है कि आपकी सैलरी से कितना टैक्स (Income Tax) काटा जाएगा. वैसे तो शुरुआत में ही इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन के आधार पर कुछ टैक्स कटौती होने लगती है, लेकिन इन्वेस्टमेंट प्रूफ देने के बाद फाइनल कटौती होती है. इन्वेस्टमेंट प्रूफ देते वक्त अक्सर ज्यादा टैक्स बचाने के लिए कुछ लोग फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रेंट रिसीप्ट (Fake Rent Receipt) जमा कर दते हैं. अगर आप भी ऐसा कुछ करने की सोच रहे हैं तो जरा रुकिए.
पिछले कई सालों से तमाम लोग इस तरह से टैक्स बचाते आ रहे हैं. आयकर विभाग को भी ये सब दिख रहा है और अब उसने ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है. जो लोग फर्जी रेंट रिसीप्ट लगाकर टैक्स डिडक्शन क्लेम करते हैं, आयकर विभाग की तरफ से उन्हें पिछले साल से ही नोटिस (IT Notice) भेजे जाने लगे हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है? आइए जानते हैं आखिर कैसे आयकर विभाग फर्जी रेंट रिसीप्ट वाले आईटीआर को पकड़ता है.
आयकर विभाग ने की है खास व्यवस्था
आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस के जमाने में आयकर विभाग भी एआई का इस्तेमाल कर के फर्जी रेंट रिसीप्ट को पकड़ रहा है. इसके लिए फॉर्म-16 के साथ एआईएस फॉर्म और फॉर्म-26एएस का मिलान किया जाता है. बता दें कि इन फॉर्म में पैन कार्ड से जुड़े तमाम ट्रांजेक्शन दर्ज होते हैं. जब करदाता रेंट रिसीप्ट के जरिए हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है तो आयकर विभाग उसके दावे का मिलान इन फॉर्म से करते हैं और अंतर होता है तो तुरंत दिख जाता है.
पैन नंबर से होता है सारा खेल
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हाउस रेंट अलाउंस से जुड़ा एक नियम है कि वह एचआरए का डिडक्शन तभी क्लेम कर सकता है, जब उसे कंपनी की तरफ से एचआरए मिल रहा हो. वहीं अगर कर्मचारी 1 लाख रुपये से अधिक किराया चुकाता है तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा. इससे आयकर विभाग आपके एचआरए के तहत क्लेम किए गए अमाउंट को आपके मकान मालिक के पैन नंबर पर भेजे गए अमाउंट से मिलाता है. बता दें कि पैन से जुड़ी सारी ट्रांजेक्शन एआईएस फॉर्म में लिखी होती हैं. अगर दोनों में अंतर पाया जाता है तो आयकर विभाग की तरफ से आपको नोटिस भेज दिया जाता है.
अगर आपकी कंपनी एचआरए देती है और आप 1 लाख रुपये से कम सालाना रेंट क्लेम कर रहे हैं तो आपको अपने मकान मालिक का पैन नहीं देना होगा. यानी इस स्थिति में आप 1 लाख रुपये तक का एचआरए क्लेम कर सकते हैं, जिसे आयकर विभाग की तरफ से चेक नहीं किया जाएगा कि वह सही है या फर्जी.
अगर कैश में दिया हो रेंट तो क्या?
जब भी बात आयकर विभाग से बचने की आती है तो सबसे पहला ख्याल आता है कि कैश में ट्रांजेक्शन कर लेते हैं. मान लेते हैं कि आपने आयकर विभाग के नोटिस का जवाब ये कहकर दिया कि रेंट रिसीप्ट और मकान मालिक के पैन की ट्रांजेक्शन में फर्क इसलिए है क्योंकि आपने रेंट कैश में दिया या उसका कुछ हिस्सा कैश में दिया. ऐसे में भी आयकर विभाग मकान मालिक को भी नोटिस भेजकर जवाब मांग सकता है और हो सकता है कि उस पर टैक्स देनदारी बढ़े वह सब कुछ सच बता दे. ऐसे में आप पर धोखाधड़ी का आरोप भी लग सकता है. अच्छा यही है कि फर्जी रेंट रिसीप्ट से बचें.
एचआरए पर फर्जीवाड़ा क्यों होता है?
एचआरए को लेकर फर्जीवाड़ा होने की सबसे बड़ी वजह ये है कि इससे बहुत सारा टैक्स बच सकता है. मान लीजिए कि आपने अपने घर का किराया 20 हजार रुपये महीना यानी 2.40 लाख रुपये सालाना दिखाया तो सीधे इतने रुपये पर आपका टैक्स नहीं लगेगा. बशर्ते कंपनी की तरफ से आपको कम से कम 2.40 लाख रुपये का एचआरए मिल रहा हो. हालांकि, अगर आपने कम रेंट चुकाया है तो आपको इस पूरे अमाउंट पर क्लेम नहीं मिलता. ऐसे में बहुत से लोग सोचते हैं कि फर्जी रेंट रिसीप्ट बनाकर टैक्स बचाया जाए, लेकिन अब आयकर विभाग इन फर्जीवाड़ों को पकड़ रहा है और नोटिस भेज रहा है.
05:39 PM IST