टैक्सपेयर्स के लिए हर बार इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में कुछ न कुछ बदलाव आता है. इस बार भी जब आप टैक्स रिटर्न फाइल करने जाएंगे तो आपको ITR Forms में कुछ बदलाव दिखेंगे. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस बार दिसंबर में आईटीआर फॉर्म ITR-1 और ITR-4 नोटिफाई कर दिए थे. आमतौर पर ये फरवरी-मार्च में फॉर्म आते हैं. इससे हुआ ये है कि टैक्सपेयर्स पहले से फॉर्म को समझ लेंगे और उन्हें इसे भरने में आसानी होगी. आइए जान लेते हैं कि कितने तरह के आईटीआर फॉर्म होते हैं, और इस बार आपको क्या बदलाव देखने को मिलेंगे.

ITR Form 1

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वो भारतीय नागरिक जिनकी सालाना कमाई 50 लाख रुपए तक है, वो फॉर्म 1 को भरते हैं. 50 लाख तक की कमाई में आपकी सैलरी, पेंशन या किसी अन्‍य सोर्स को भी शामिल किया जाता है. 5000 रुपए तक की कृषि आय को भी इसमें शामिल किया जाता है. लेकिन अगर आप किसी कंपनी के डायरेक्‍टर है, किसी अनलिस्‍टेड कंपनी में निवेश किया हो, कैपिटल गेन्‍स से कमाते हों, एक से ज्‍यादा हाउस या प्रॉपर्टी से इनकम करते हों या फिर बिजनेस से कमाई करते हैं, तो ये फॉर्म आप नहीं भर सकते हैं.

ITR Form 2

अगर आपकी कमाई 50 लाख रुपए से ज्‍यादा है तो ये फॉर्म आपके लिए है. इसके तहत एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति, इन्वेस्टमेंट पर हुए कैपिटल गेन या लॉस, 10 लाख रुपए से ज्यादा की डिविडेंड इनकम और खेती से हुई 5000 रुपए से ज्यादा की कमाई के बारे में बताना होता है. इसके अलावा अगर पीएफ से ब्‍याज के तौर पर कमाई हो रही है, तब भी ये फॉर्म भरा जाता है.

ITR Form 3

बिजनेसमैन, इक्विटी अनलिस्टेड शेयर में निवेश किया हो, किसी कंपनी में पार्टनर के तौर पर कमाई कर रहे हों, तो आप ITR Form 3 भर सकते हैं. इसके अलावा ब्याज, सैलरी, बोनस से आमदनी, कैपिटल गेन्‍स, हॉर्स रेसिंग, लॉटरी, एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराए की इनकम होती है, तो भी आप ये फॉर्म भर सकते हैं.

ITR Form 4

इंडिविजुअल और HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) के लिए होता है. अगर आपकी इनकम अपने बिजनेस या किसी पेशे से होती है जैसे डॉक्‍टर-वकील की आमदनी, पार्टनरशिप फर्म्स (LLP के अलावा) चलाने वाले, धारा 44एडी और 44एई के तहत इनकम करने वाले और सैलरी या पेंशन से 50 लाख से ज्‍यादा की कमाई करने वाले लोग इस फॉर्म को भरते हैं. अगर आप फ्रीलांसर हैं लेकिन सालाना कमाई 50 लाख से ज्‍यादा है, तो भी ये फॉर्म आप भर सकते हैं.

ITR Form 5

आईटीआर 5 उन संस्थाओं के लिए होता है, जिन्होंने खुद को फर्म, LLPs, AOPs, BOIs के रूप में रजिस्टर्ड करा रखा है. एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स और बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स के लिए भी इसी फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है.

ITR Form 6 और 7

जिन कंपनियों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत छूट नहीं मिलती है, उनके लिए ITR Form 6 होता है. जिन्‍हें 139(4A) या सेक्शन 139(4B) या सेक्शन 139(4C) या सेक्शन 139(4D) के तहत रिटर्न दाखिल करना होता है, उन कंपनियों और लोगों को ITR Form 7 भरने की जरूरत होती है.

ITR Form-1 और ITR Form-4 में क्या बदला?

इस बार आईटीआर-1 भर रहे टैक्सपेयर को इनकम रिटर्न दिखाते हुए बस अपने टैक्स रिजीम का संकेत देना होगा. वहीं, जो लोग फॉर्म-4 भरेंगे उनको न्यू टैक्स रिजीम चुनने के लिए अलग से Form 10-IEA भरना होगा.

दोनों ही फॉर्म में सेक्शन 80CCH के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए नया कॉलम जोड़ा गया है. इसके तहत अग्निपथ योजना में शामिल व्यक्ति और 1 नवंबर, 2022 के बाद से अग्निवीर कॉर्पस फंड में सब्सक्राइब करने वालों को फंड के टोटल डिपॉजिट अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन मिलेगा.

ITR-4 में बढ़े हुए टर्नओवर लिमिट को क्लेम करने के लिए एक "Receipts in Cash" का कॉलम जोड़ा गया है. Finance Act, 2023 में पिछले साल सेक्शन 44AD के तहत प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम चुनने पर टर्नओवर की सीमा 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दी गई थी, शर्त ये है कि कैश रसीद पिछले साल के टोटल टर्नओवर या ग्रोस रिसीट से 5 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए.