बदल गया Gratuity को लेकर नियम, सरकार ने किया बड़ा ऐलान, इन्हें मिलेगा फायदा
Gratuity payment rules: केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव किया है.
बदले हुए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है.
बदले हुए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है.
Gratuity payment rules: केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. बदले हुए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है. इसके लिए न्यूनतम सेवा अवधि (Minimum service tenure) की कोई शर्त नहीं होगी. पहली बार, जो कर्मचारी एक निर्धारित अवधि के लिए काम कर रहा है, उसे एक नियमित कर्मचारी की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है.
फिक्स्ड टर्म का मतलब कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों से है. लोकसभा में बिल को पेश करने के दौरान श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने फिक्स्ड टर्म वाले रोजगार को IR संहिता में लाने पर कहा कि निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तें, वेतन, छुट्टी और सामाजिक सुरक्षा भी एक नियमित कर्मचारी के समान ही होंगी. इसके अतिरिक्त निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को प्रो राटा ग्रेच्युटी का अधिकार भी दिया गया है.
क्या होती है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी (Gratuity) वो रकम होती है जो कर्मचारी को संस्था या नियोक्ता (Employer) की तरफ से दी जाती है. एक संस्थान या नियोक्ता के पास कर्मचारी को कम से कम पांच साल तक नौकरी करना जरूरी है. आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या उसे नौकरी से हटाया जाता है या फिर वो रिटायर होता है. किसी वजह से कर्मचारी की मौत होने या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके नॉमिनी को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
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ग्रेच्युटी की रकम की गणना एक निश्चित फॉर्मूला के तहत होती है. दरअसल, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है, जहां 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है, लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है. इसके लिए पांच साल की न्यूनतम सर्विस अनिवार्य है.
बिल के मुताबिक, कर्मचारी को नौकरी के खत्म होने पर लगातार पांच साल की सर्विस देने पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा. यह सेवानिवृत्ति, रिटायरमेंट या इस्तीफा, दुर्घटना या बीमारी से मौत या दिव्यांगता पर होगा. हालांकि, वर्किंग जर्नलिस्ट के केस में यह पांच साल की जगह तीन साल की होगी.
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ग्रेच्युटी का फॉर्मूला
मौजूदा समय में ग्रेच्युटी की गणना एक तय फॉर्मूले के आधार पर होती है. इसमें मानक तय किए गए हैं. इसका कैलकुलेशन समझिए. कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया).
उदाहरण-
मान लीजिए किसी ने एक कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x7x15/26= 60,577 रुपए
उदाहरण-
अगर किसी ने कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ये कंपनी एक्ट के दायरे में नहीं आती, ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x6x15/30= 45,000 रुपए (एक्ट में नहीं आने वाले को एक्ट में आने वाले कर्मचारी के मुकाबले 15,577 रुपए कम मिलेंगे)
10:06 AM IST