Bank FDs में भी होता है रिस्क! पैसा लगाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, नहीं होगा नुकसान
Risk in Fixed Deposit (FDs): बैंक एफडी भले ही निवेश के सबसे सुरक्षित और गांरटीड इनकम वाले विकल्पों में से एक है, लेकिन इसमें भी पैसा 100 फीसदी सेफ नहीं होता है. बैंक में जमा कराने से पहले इनसे जुड़े रिस्क के बारे में जान लेना चाहिए.
Risk in Fixed Deposit (FDs): देश में बैंक एफडी (Bank FDs) निवेश का एक पारंपरिक विकल्प है. आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि बैंक में जमा पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहता है और एक फिक्स्ड इनकम होती है. इसमें बाजार की अनिश्चितता का असर नहीं होता है. बैंक में एफडी कराते समय एक बार जो ब्याज तय हो जाती है, वह आपको मिलती ही है. बहरहार, असर में क्या वाकई बैंकों की एफडी में कोई रिस्क नहीं रहता है. पूरा पैसा सेफ रहता है? दरअसल, ऐसा नहीं है. बैंक FDs में भी कुछ रिस्क फैक्टर रहते हैं. बैंक एफडी भले ही निवेश के सबसे सुरक्षित और गांरटीड इनकम वाले विकल्पों में से एक है, लेकिन इसमें भी पैसा 100 फीसदी सेफ नहीं होता है. बैंक में जमा कराने से पहले इनसे जुड़े रिस्क के बारे में जान लेना चाहिए.
बढ़ती महंगाई से घटता है रिटर्न
FDs पर रिटर्न यानी ब्याज दर फिक्स और पहले से तय होती है. लेकिन, महंगाई बढ़ सकती है. ऐसे में अगर महंगाई को एडजस्ट करें, तो एफडी पर मिलने वाला रिटर्न मौजूदा दौर में बहुत कम हो सकता है. मान लीजिए अगर महंगाई दर 7 फीसदी हो गई और एफडी पर मिलने वाला ब्याज 6-7 फीसदी के बीच ही है, तो आपको रिटर्न जीरो या निगेटिव हो जाएगा.
फाइनेंशियल खराब तो लग जाएगी पाबंदी
सभी भारतीय बैंक रिजर्व बैंक के रेग्युलेशन में आते हैं. बैंकों की हर गतिविधि पर आरबीआई की नजर रहती है. अगर किसी भी बैंक के फाइनेंशियल्स में गड़बड़ी मिलती है, तो रिजर्व बैंक तुरंत उस पर पाबंदी लगा सकता है. ऐसे में डिपॉजिटर्स का पैसा कुछ समय के लिए होल्ड हो जाता है. यानी, आपको बैंक से अपने पैसे वापस मिलने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है या नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
100% रकम नहीं है सेफ
आमतौर पर लोग बैंक एफडी को पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं और अपनी बड़ी रकम उसमें निवेश करते हैं. वैसे तो एफडी में रकम सुरक्षित ही होती है, लेकिन अगर बैंक किसी कंडीशन में डिफाल्ट कर जाए, तो निवेशकों की सिर्फ 5 लाख तक डिपॉजिट ही सेफ रहता है. फाइनेंस कंपनियों पर भी यही नियम लागू है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) बैंक डिपॉजिट पर सिर्फ 5,00,000 रुपये तक का ही इंश्योरेंस गारंटी देता है.
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जरूरत पर लिक्विडिटी की दिक्कत
बैंक एफडी कराने पर अचानक जरूरत पर लिक्विडिटी का इश्यू होता है. वैसे तो जरूरत पड़ने पर एफडी तोड़ी जा सकती है, लेकिन इस पर प्री-मैच्योर पेनल्टी देनी पड़ती है. एफडी पर क्या पेनल्टी अमाउंट होगा यह अमाउंट अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकता है. अगर आपने कोई टैक्स सेविंग एफडी में निवेश किया हुआ है, तो आप इसको 5 साल की अवधि से पहले भी निकाल सकते हैं. लेकिन इस स्थिति में आपको इनकम टैकस में छूट का फायदा नहीं मिलेगा.
1 दिन के अंतर से नफा-नुकसान
बैंक एफडी में अक्सर यह देखा जाता है कि कस्टमर FD राउंड फिगर कहलाने वाले टेन्योर जैसे 6 माह, 1 साल, 2 साल, 3 साल, 5 साल में कराते हैं. कुछ बैंकों में इस राउंड फिगर वाले टेन्योर और इनसे 1 दिन कम या ज्यादा के टेन्योर पर ब्याज दरें बदल जाती हैं. इसलिए FD खुलवाने से पहले FD अवधि और उस पर ब्याज का जानकारी जरूर कर लें. हो सकता है कि राउंड फिगर अवधि के बजाय 1 दिन कम या ज्यादा पर कुछ एक्स्ट्रा ब्याज मिल जाए.
(नोट: यह जानकारी बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर अमित कुमार निगम से बातचीत पर आधारित है.)