दिल्ली में व्हीकल्स का बोझ कम करने के लिए 15 अगस्त से एक नया सिस्टम शुरू होने जा रहा है. इस सिस्टम के तहत 15 अगस्त के बाद से रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यानी RFID टैग लगे कमर्शियल व्हीकल्स को ही दिल्ली में एंट्री दी जाएगी. जिन व्हीकल्स पर RFID टैग नहीं होगा, वे दिल्ली में एंट्री नहीं कर सकेंगे. हालांकि पहले यह सिस्टम 1 जुलाई से शुरू होने जा रहा था, लेकिन इसकी सीमा बढ़ाकर इसे 15 अगस्त कर दिया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्ती के बाद दिल्ली नगर निगम ने यह कदम उठाया है. दिल्ली में 13 टोल एंट्री प्वाइंट हैं. इन टोल पर टैक्स अदा करने के बाद ही कमर्शियल व्हीकल्स को दिल्ली में एंट्री मिलती है. इन जगहों पर तैनात कर्मचारी टैक्स के पेमेंट के लिए हाथ से पर्ची काट कर व्हीकल्स ड्राइवर को देते हैं, जिसके चलते टोल एंट्री पर लंबा जाम लग जाता है और जाम की वजह से प्रदूषण भी होता है. 

इस जाम की समस्या को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की एनवायरमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) ने कमर्शियल व्हीकल्स पर RFID टैग लगाने की बात कही थी. 

दिल्ली नगर निगम ने 15 अगस्त से यह सिस्टम शुरू कर दिया है कि जिन कमर्शियल व्हीकल्स पर RFID टैग नहीं होगा, उन्हें दिल्ली में एंट्री नहीं मिल पाएगी.

 

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जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में रोजना करीब 80,000 कमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री होती है. करीब 51,000 व्हीकल्स के RFID टैग का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

RFID टैग के फायदे

RFID टैग लगा होने के बाद कमर्शियल व्हीकल्स को एंट्री टोल नाके पर टैक्स के लिए खड़ा नहीं होना पड़ेगा.

ऑटेमेटेड सिस्टम होने के चलते टोल पर अपनेआप ही टैक्स कट जाएगा. 

इससे एंट्री टोल पर लगने वाले लंबे जाम से मुक्ति मिलेगी, प्रदूषण भी कम होगा.

RFID टैग को रिचार्ज कराने पर 10 फीसदी की छूट भी मिलेगी.

दिल्ली के सभी 13 एंट्री प्वाइंट पर RFID टैग रीडर लगा हुआ है.

कैसे और कहां से लें RFID टैग-

RFID टैग की कीमत 200 रुपये है. 

मानेसर, कुंडली, गाजियाबाद और रजोकरी पर टैग के सेंटर बनाए गए हैं.

टैग के रजिस्ट्रेशन के लिए व्हीकल की आरसी की कॉपी, इंश्योरेंस की कॉपी, ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी के मालिक का फोन नंबर की जरूरत होती है.

जिन व्हीकल्स पर फास्टैग लगा है, उन्हें RFID टैग की जरूरत नहीं.