चुनावी बॉन्ड के दिन गए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये असंवैधानिक, इसको खत्म करना होगा; SBI को दिए ये आदेश
शीर्ष अदालत का कहना है कि सूचना का अधिकार अहम है और गुमनाम इलेक्टोरल बॉन्ड्स सूचना के अधिकार और आर्टिकल 19(1)(a) का उल्लंघन करता है. काला धन पर रोक लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन करना न्यायसंगत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के लिए चंदा इकट्ठा करने के जरिया चुनावी बॉन्ड को लेकर अपना बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक है और इसे तुरंत खत्म किया जाना चाहिए. उच्चतम न्यायलय ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि काला धन पर रोक लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन करना न्यायसंगत नहीं है. शीर्ष अदालत का कहना है कि सूचना का अधिकार अहम है और गुमनाम इलेक्टोरल बॉन्ड्स सूचना के अधिकार और आर्टिकल 19(1)(a) का उल्लंघन करता है.
कोर्ट ने कहा कि ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि इस मामले में दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले जारी किए जाएंगे.
Supreme Court holds Electoral Bonds scheme is violative of Article 19(1)(a) and unconstitutional. Supreme Court strikes down Electoral Bonds scheme. Supreme Court says Electoral Bonds scheme has to be struck down as unconstitutional. https://t.co/T0X0RhXR1N pic.twitter.com/aMLKMM6p4M
— ANI (@ANI) February 15, 2024
SBI को तुरंत डीटेल शेयर करने का आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बैंक अभी के अभी चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करे और इससे जुड़ी जानकारी निर्वाचन आयोग को दे. कोर्ट ने आदेश में कहा है कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से भुनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी एसबीआई जानकारी इकट्ठा करे. ये जानकारी उसे चुनाव आयोग को देना होगा और आयोग इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. कोर्ट ने SBI को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्योरा निर्वाचन आयोग को सौंपने को कहा है.
किसको कितना मिला चंदा?
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पिछले दिनों चुनावी बॉन्ड पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा पाने में दूसरी पार्टियों से कहीं ज्यादा आगे है. भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से लगभग 1300 करोड़ रुपये मिले. यह राशि इसी अवधि में इस माध्यम (चुनावी बॉन्ड) से विपक्षी दल कांग्रेस को प्राप्त धनराशि से सात गुना अधिक है. निर्वाचन आयोग को सौंपी गई पार्टी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भाजपा को कुल 2120 करोड़ रुपये मिले जिसमें से 61 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए. वित्त वर्ष 2021-22 में पार्टी को कुल 1775 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ था. वर्ष 2022-23 में पार्टी की कुल आय 2360.8 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 1917 करोड़ रुपये थी. दूसरी ओर, कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के जरिये 171 करोड़ रुपये की आय हुई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 236 करोड़ रुपये से कम थी.
11:46 AM IST