किस्सा-ए-कंज्यूमर: Online Fraud में पैसे गए तो बैंक नहीं होगा जिम्मेदार! Consumer Commission का चौंकाने वाला फैसला
ये पूरा वाकया समझ लीजिए क्योंकि साइबर फ्रॉड के अंजाम को लेकर अब तक जो आपकी जानकारी है, उसमें एक ट्विस्ट आ गया है.
किस्सा-ए-कंज्यूमर: भई ये तो बहुत बड़ी बात हो गई. इस पर तो हो-हल्ला होना चाहिए. चर्चा होनी चाहिए. बहस होनी चाहिए. सवाल पूछे जाने चाहिए. लेकिन ये क्या, इतनी बड़ी खबर आई और दबे पांव निकलती जा रही है. इतना बड़ा फैसला आया और उसके असर पर कोई बात ही नहीं हो रही. आपने सुनी है ना मेहंदी हसन साहब की आवाज में अहमद फ़राज़ की लिखी वो ग़ज़ल- रंजिश ही सही, उसमें एक बड़ा अच्छा शेर है-
अब भी दिल-ए-ख़ुशफ़हम को हैं तुझसे उम्मीदें
ये आखिरी शम्मे भी बुझाने के लिए आ
अब यहां दिल-ए-ख़ुशफ़हम को उम्मीदें थीं अपने बैंक से, लेकिन आखिरी शम्मे बुझाने के लिए आ गया खुद कंज्यूमर कोर्ट. जी हां, पहले जरा ये पूरा वाकया समझ लीजिए क्योंकि ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud) के अंजाम को लेकर अब तक जो आपकी जानकारी है ना, उसमें एक ट्विस्ट आ गया है. बहुत बड़ा ट्विस्ट.
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ये धोखे, फोन वाले धोखे!
किस्सा बड़ा मुख्तसर-सा है. गुजरात के अमरेली शहर में एक रिटायर्ड टीचर कुर्जी जाविया (Kurji Javia) के पास एक कॉल आई. ये बात है 2 अप्रैल 2018 की. कॉल करने वाले ने खुद को SBI का मैनेजर बताया और कुछ पट्टी पढ़ाते हुए कुर्जी जाविया से उनके ATM Card के डीटेल्स निकलवा लिए. इसके बाद जब उनके अकाउंट में पेंशन की रकम आई तो जालसाज ने 41,500 रुपए उड़ा लिए. ये सब कैसे हुआ होगा ये आप किस्सा-ए-कंज्यूमर में कई बार पढ़ चुके हैं. कभी KYC अपडेट का झांसा, कभी अकाउंट बंद होने का डर दिखाना तो कभी कुछ और.अहम वो है जो इसके बाद हुआ.
कंज्यूमर की दौड़ कंज्यूमर कोर्ट तक
छानबीन में पता चला कि जालसाज ने इस रकम का इस्तेमाल ऑनलाइन शॉपिंग में किया था. जाविया साहब ने बैंक को सारा मामला बताया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. कुर्जी जाविया ने बैंक के खिलाफ अमरेली के Consumer Dispute Redressal Commission का दरवाजा खटखटाया. आरोप लगाया कि उनके बैंक ने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया. उनका कहना था अगर बैंक थोड़ी मुस्तैदी दिखाता तो उनके पैसे वापस मिल सकते थे. कोर्ट से उन्होंने मांग की कि न सिर्फ उनकी डूबी हुई रकम वापस मिले बल्कि बैंक से 30 हजार रुपए का हर्जाना भी वसूला जाए. लेकिन तमाम दलीलें सुनने के बाद कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) ने जो फैसला दिया उसे सुनकर जाविया साहब के होश उड़ गए.
‘लापरवाही करे कंज्यूमर और भरपाई करे बैंक?’
अपने आदेश में Consumer Dispute Redressal Commission अमरेली ने कहा कि बैंक अपने ग्राहकों को पर्याप्त चेतावनी देते हैं कि अपने ATM कार्ड या बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी किसी के साथ शेयर न करें. इसे लेकर बैंक ई-मेल, मैसेज और सोशल मीडिया के जरिए न सिर्फ सुझाव और निर्देश देते रहते हैं बल्कि अपने ग्राहकों को ये भी याद दिलाते हैं कि कोई भी बैंक कर्मचारी किसी ग्राहक से ATM डीटेल्स या OTP कभी नहीं मांगेगा. कोर्ट ने कहा कि जाविया साहब ने बैंक सुझावों की पूरी तरह अनदेखी की, सुरक्षित ट्रांजैक्शन को लेकर बैंक की जितनी भी गाइडलाइंस हैं उनमें से जाविया साहब ने एक का भी पालन नहीं किया. इससे साफ तौर पर साबित हो रहा है कि बैंक की तरफ से सेवा में लापरवाही नहीं हुई. कोर्ट कहा कि शिकायतकर्ता की शिकायत नामंजूर की जाती है, मुआवज़ा या खर्च देने के बारे में किसी तरह का आदेश नहीं दिया जा रहा है, पक्षकार अगर आदेश से नाराज़ हो तो 45 दिन के भीतर नामदार कमीशन में अपील कर सकता है.
लेकिन आरबीआई तो कुछ और कहता है!
तो इस तरह गुजरात के इस कंज्यूमर कमीशन ने SBI को क्लीन चिट दे दी. दिलचस्प बात ये है कि कमीशन ने निजी और सरकारी बैंकों के उन संदेशों का तो संज्ञान लिया जिसमें ग्राहकों को फोन फ्रॉड से सचेत किया जाता है लेकिन जिसे बैंकों का बैंक कहा जाता है यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, उसके संदेश का क्या?
RBI तो यही कहता आया है कि पीड़ित कंज्यूमर ने अगर 3 दिन के भीतर बैंक को धोखाधड़ी की जानकारी दे दी तो पैसे वापस कराने की जिम्मेदारी बैंक की होगी. तो अब क्या होगा? किसकी बात मानी जाएगी? RBI का आदेश कायम रहेगा या फिर अमरेली कंज्यूमर कोर्ट का फैसला नजीर बन जाएगा? उम्मीद तो यही करनी चाहिए कि कुर्जी जाविया साहब National Consumer Disputes Redressal Commission (NCDRC) में अपील करें और मुकदमा जीतें. वर्ना किसी जालसाज के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवाने वालों से बैंक तो यही कहकर पल्ला झाड़ लेंगे कि मर्जी है आपकी, आखिर पैसा है आपका.
(लेखक ज़ी बिज़नेस हिन्दी डिजिटल के ए़डिटर हैं)
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07:24 PM IST