किसानों को 6,000 रुपये की वार्षिक न्यूनतम आय मुहैया कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना मौजूदा भाजपा सरकार को वोट दिला सकती है. लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी रूप से अहम राज्य में बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या से भाजपा के लिए चिंता का विषय है. यह बात स्विट्जरलैंड की एक ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस ने अपनी रपट में कही.

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यूबीएस ने मंगलवार को अपनी रपट में कहा कि पिछले आम चुनाव की तरह इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी और की लहर जैसा कोई कारक मौजूद नहीं हैं. वहीं क्षेत्रों का दौरा करने पर इस बात के पर्याप्त कारण नहीं मिलते की भाजपा वापस सत्ता में लौट सकती है. रपट में कहा गया है कि मोदी को नेता मानने की ऊंची रेटिंग होने की संभवत: एक वजह यह भी हो सकती है कि अन्य नेताओं की स्वीकार्यता रेटिंग कम है.

रपट में कहा गया है कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए 6,000 रुपये की वार्षिक न्यूनतम आय को मुख्य विपक्ष किसानों के सम्मान से जोड़ रहा है और बता रहा है कि यह 16 रुपये प्रतिदिन के बराबर है. बजट में इस योजना को पिछली तारीख यानी दिसंबर, 2018 से लागू करने की घोषणा की गई है जिसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है. इसने सरकार का बजटीय बोझ बढ़ेगा. अगले वित्त वर्ष में यह केंद्र पर करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ बढ़ाएगा.

रपट में कहा गया है कि सरकार इसे लागू करने को लेकर काफी गंभीर है. उसकी पूरी कोशिश है कि उत्तर प्रदेश में इसे मार्च के पहले सप्ताह तक लागू कर दिया जाए, क्योंकि मौजूदा लोकसभा में भाजपा के 73 सांसद अकेले उत्तर प्रदेश से हैं. यूबीएस का दावा है कि आमतौर पर मतदाता चुनाव से पहले की घोषणाओं को देखते हैं लेकिन बजट में न्यूनतम आय की घोषणा करना थोड़ा अलग है. हालांकि उत्तर प्रदेश में आवारा मवेशियों के खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद करने की बढ़ती घटनाएं राज्य के ग्रामीण इलाकों में एक अहम मुद्दा है.