अब दवा के पैकेट पर भी लगेगा QR Code, 300 दवाओं के लिए अनिवार्य होगा नियम, पढ़ें जरूरी खबर
Fake Medicines: नकली दवाओं के कारोबार को देखते हुए QR कोड की व्यवस्था अनिवार्य होगी. इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने नॉटिफिकेशन जारी किया है. यह नियम 1 अगस्त, 2023 से अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा. क्यू आर कोड लगाना 300 दवाओं के लिए जरूरी किया गया है.
Fake Medicines: सरकार ने नकली दवाओं के खेल पर रोक लगाने के लिए एक नया नियम लाने का फैसला किया है. अब दवाइयों की पर्चियों पर भी QR Code लगेगा. सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है. नकली दवाओं के कारोबार को देखते हुए QR कोड की व्यवस्था अनिवार्य होगी. इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने नॉटिफिकेशन जारी किया है. यह नियम 1 अगस्त, 2023 से अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा. क्यू आर कोड लगाना 300 दवाओं के लिए जरूरी किया गया है.
यह नियम लाने के लिए सरकार ने Drug and Cosmetics Act, 1940 में संशोधन किया है. इसके तहत दवा निर्माता कंपनियों को दवाओं पर QR कोड लगाना अनिवार्य होगा. उन्हें Schedule H2/QR कोड लगाना होगा.
💊दवाइयों पर QR कोड जरूरी करने जा रही सरकार
— Zee Business (@ZeeBusiness) November 18, 2022
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन
असली-नकली की पहचान होगी आसान
जानिए पूरी खबर अंबरीष पांडे से @pandeyambarish | @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/iwVPg6CprZ
QR में क्या जानकारी होगी?
दवाओं पर जो कोड लगाया जाएगा, उनमें पहले तो Unique Identification कोड होगा. इसमें कंपनियों को दवा का नाम और Generic नाम बताना होगा. ब्रांड और निर्माता की जानकारी देनी होगी. वो विशेष पैकेट किस बैच में बना है, उसका बैच नंबर भी देना होगा. मैन्युफैक्चरिंग और Expiry की डेट देनी होगी और लाइसेंस की जानकारी भी देनी होगी.
असली-नकली दवाओं की पहचान होगी आसान
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नकली, ख़राब या गुणवत्ता से नीचे के API से बनी दवा से मरीजों को फायदा नहीं होता. DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून, 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. कई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मुताबिक भारत में बनी 20% दवाएं नकली होती हैं. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 3% दवाओं की क्वालिटी घटिया होती है.
साल 2011 से ही सरकार इस सिस्टम को लागू करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फार्मा कंपनियों के बार-बार मना करने की वजह से इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका था. फार्मा कंपनियां इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित थीं कि वो अलग-अलग सरकारी विभाग अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी करेंगे.
कंपनियों की मांग थी कि देशभर में एक समान क्यूआर कोड लागू किया जाए, जिसके बाद साल 2019 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने ये ड्राफ्ट तैयार किया. जिसके तहत एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडेएंट्स (API) के लिए क्यूआर कोड जरूरी करना सुझाया गया था.
क्या होता है API?
API यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स. ये इंटरमीडिएट्स, टेबलेट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने के मुख्य कच्चा माल होते हैं. किसी भी दवाई के बनने में एपीआई की मुख्य भूमिका होती है और इसके लिए भारतीय कंपनियां काफी हद तक चीन पर निर्भर हैं.
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07:21 PM IST