Monkeypox Virus: दुनिया एक कोरोना से पूरी तरह उबर भी नहीं सकी है कि लोगों को दूसरी महामारी की आशंका सताने लगी है. जी हां सही समझा आपने हम मंकीपॉक्स की बात कर रहे हैं. राहत की बात है कि भारत में अभी इसका कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इसको लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. BMC (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) ने मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए 28 बेड वाला वार्ड तैयार रखा है.

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अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. जानवरों से फैलने वाले संक्रामक रोग के बारे में जारी एक एडवाइजरी में बीएमसी ने कहा कि एयरपोर्ट के अधिकारी इस बीमारी से प्रभावित और गैर-प्रभावित देशों, जहां इसका प्रकोप बढ़ने की आशंका है, वहां से आने वाले पैसेंजर्स की जांच कर रहे हैं.

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BMC ने  जारी की एडवाइजरी

एडवाइजरी में कहा गया है कि, ‘‘संदिग्ध मरीजों को पृथक रखने के लिए कस्तूरबा अस्पताल में एक अलग वार्ड (28 बेड) तैयार किया गया है और उनके सैंपल पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) को जांच के लिए भेजे जाएंगे.’’ मुंबई में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को सूचित किया गया है कि वे मंकीपॉक्स के किसी भी संदिग्ध मामले के बारे में कस्तूरबा अस्पताल को सूचित करें और ऐसे मरीजों को वहां भेजें.

बीएमसी के अनुसार, मंकीपॉक्स पशुओं से फैलने वाला वायरल संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में संक्रमण के मामले देखे गए हैं.

ये हैं मंकीपॉक्स के लक्षण

एडवाइजरी में बताया गया है, ‘‘मंकीपॉक्स में आमतौर पर बुखार, दाने निकलने और सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं और इससे चिकित्सा संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं.’’ बीएमसी ने कहा कि ये लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं और धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं. कभी कभी मामले गंभीर हो सकते हैं और इस रोग से मृत्यु दर 1-10 प्रतिशत तक है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में और फिर इंसान से इंसान में फैल सकती है.

सलाह में कहा गया है, ‘‘वायरस कटी-फटी त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वास नली या श्लेष्मा झिल्ली (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.’’

BMC के मुताबिक जानवर-से-मानव में वायरस का संचरण काटने या खरोंच, बुशमीट (जंगली जानवरों के मांस), शरीर के तरल पदार्थ या जख्मों के सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने जैसे कि संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर के संपर्क में आने से फैल सकता है.

माना जाता है कि मानव-से-मानव में संक्रमण मुख्य रूप से बड़ी श्वांस कणों के माध्यम से होता है, जिन्हें आमतौर पर लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. मंकीपॉक्स का रोग पनपने की अवधि आमतौर पर 7 से 14 दिनों की होती है, लेकिन यह 5-21 दिनों तक भी हो सकती है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है.

एडवाइजरी में कहा गया है, ‘‘एक संक्रमित व्यक्ति दाने दिखने से 1-2 दिन पहले तक बीमारी फैला सकता है और तब तक संक्रामक बना रह सकता है जब तक कि सभी दाने मुरझा कर ठीक नहीं हो जाएं.’’