देश भर में महापुरुषों की भव्य स्टैच्यू बनाने की होड़ में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) भी शामिल हो गया है. जेएनयू में जल्द ही स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा बनेगी. हालांकि इस प्रतिमा की ऊंचाई और इस पर आने वाली लागत के बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी नहीं बताया है, लेकिन अनुमान है कि मूर्ति की ऊंचाई 35 फीट और लागत दो करोड़ रुपये तक हो सकती है.

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जेएनयू प्रशासन के इस फैसले पर हालांकि विवाद भी शुरू हो गया है. छात्र संघ और शिक्षक संघ आश्चर्य जता रहे हैं कि इसके लिए धन कहां से आएगा. सूत्रों ने बताया कि कार्यकारी परिषद् ने पिछले वर्ष जुलाई में इसके लिए मंजूरी दी थी जिसके बाद एक समिति बनाई गई थी. सूत्रों ने कहा कि प्रतिमा प्रशासनिक खंड के दाहिनी ओर पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा के सामने स्थित होगी.

जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने पूछा है कि प्रतिमा निर्माण के लिए धन का स्रोत क्या है. उन्होंने कहा कि एक तरफ विश्वविद्यालय के पास पुस्तकालय और छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए धन नहीं है और दूसरी तरफ वह प्रतिमाएं बनाने में व्यस्त है. JNU किसी न किसी वजह से लगातार विवादों में रहता है. पिछले साल JNU के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने सरकार से यूनिवर्सिटी कैंपस में एक टैंक खड़ा करने की मांग की थी.

फंड की कमी का सवाल?

इससे पहले खबर आई थी कि जेएनयू ने फंड की कमी के चलते लाइब्रेरी के वार्षिक बजट को 8 करोड़ से घटाकर 1.7 करोड़ रुपये कर दिया है. इस कारण मूर्ति लगाने का विरोध किया जाने लगा. लेकिन अब जेएनयू प्रशासन ने इन खबरों को गलत बताया है और कहा है कि लाइब्रेरी के फंड में कोई कमी नहीं की गई है. 

जेएनयू के वित्तीय अधिकारी हीरामन तिवारी ने एक बयान में बताया, 'जेएनयू अपने वार्षिक बजट से लाइब्रेरी के लिए हर साल 1.7 करोड़ रुपये ही जारी करता है. 2012 में 12वीं योजना के तहत यूजीसी ने अतिरिक्त अनुदान दिया, जिसके तहत अलगे पांच साल के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई.' तिवारी ने कहा कि 12वीं योजना खत्म होने के साथ ही लाइब्रेरी अब नियमित वार्षिक ग्रांट के आधार पर चल रही है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)