Chinese Loan Apps: ED का बड़ा एक्शन! Paytm, Razorpay सहित इन 4 कंपनियों के अकाउंट में 46 करोड़ किए फ्रीज़
ईडी ने "चीन से नियंत्रित" इन्वेस्टमेंट टोकन ऐप के खिलाफ नए राउंड में छापे मारे और Paytm, Razorpay, Cashfree और Easebuzz के अकाउंट में 46.67 करोड़ के फंड फ्रीज़ कर दिए. यह एक्शन एंटी मनीलॉन्डरिंग कानून के तहत लिया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी लोन ऐप्स मामले अपना शिकंजा और कसते हुए कई पेमेंट गेटवे कंपनियों के अकाउंट में रखे हुए फंड को फ्रीज़ कर दिया है. ईडी ने बताया कि जांच एजेंसी ने "चीन से नियंत्रित" इन्वेस्टमेंट टोकन ऐप के खिलाफ नए राउंड में छापे मारे और Paytm, Razorpay, Cashfree और Easebuzz के अकाउंट में 46.67 करोड़ के फंड फ्रीज़ कर दिए. यह एक्शन एंटी मनीलॉन्डरिंग कानून के तहत लिया गया है.
अभी पिछले महीने ही ईडी ने बेंगलुरु में Paytm, Razorpay और Cashfree के ऑफिसों पर छापे मारे थे. आरोप था कि लोन दे रही इंस्टैंट ऐप वाली कंपनियों, जिनको चीनी मूल की एंटिटी कंट्रोल करती हैं, से इनका लिंक है. इसके बाद उनके अकाउंट में रखे गए 17 करोड़ के फंड को जब्त करने के आदेश दिए गए थे.
वहीं, जो अभी 14 सितंबर को सबसे ताजा तलाशी ली गई है वो HPZ नाम के ऐप बेस्ड टोकन की कंपनी और उससे जुड़ी कुछ और एंटिटी के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग केस के मामले में ली गई है. ईडी ने इस दौरान दिल्ली, मुंबई, गाज़ियाबाद, लखनऊ और गया के ठिकानों पर छापे मारे. इसी ऑपरेशन के तहत कई अन्य शहरों को मिलाकर बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियों के कुल 16 ठिकानों पर सर्च चली थी.
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ईडी ने इस केस को Prevention of Money Laundering Act (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया है. सबसे पहले अक्टूबर, 2021 में इस कंपनी के खिलाफ नागालैंड के कोहिमा की पुलिस की साइबरक्राइम यूनिट ने दर्ज किया था.
एजेंसी ने एक बयान में बताया है कि 14 सितंबर को चले तलाशी अभियान में चाइनीज़ लोन ऐप केस से संदिग्ध लिंक का संकेत देने वाले कई दस्तावेज मिले हैं. मामले में शामिल कंपनियों के करोड़ों रुपये इन पेमेंट एग्रीगेटर्स के वर्चुअल अकाउंट्स में मिले हैं.
ईडी ने बताया कि HPZ Token यूजर्स को बिटकॉइन और दूसरे क्रिप्टो असेट के लिए माइनिंग मशीनों में निवेश करके बड़ा फायदा कमाने का वादा करता था. यूजर्स की ओर से यूपीआई पेमेंट और दूसरे पेमेंट गेटवेज़ की तरफ से पेमेंट आते थे. कुछ अमाउंट निवेशकों को बांटा गया था, लेकिन बचा हुआ फंड पेमेंट गेटवेज़ और बैंकों के जरिए अलग-अलग व्यक्तियों और कंपनी अकाउंट्स में डायवर्ट कर दिया गया था. फिर यहां से इसे अवैध तरीके से आंशिक रूप से डिजिटल/वर्चुअल करेंसी में बदल लिया गया.
07:32 PM IST