कांग्रेस का SEBI चीफ पर एक और बड़ा आरोप- 'माधबी पुरी बुच को कैसे ICICI बैंक से मिली सैलरी से ज्यादा पेंशन'?
Congress accuses SEBI chairperson: कांग्रेस ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पूछा कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को उनकी एवरेज सैलरी से ज्यादा एवरेज पेंशन कैसे मिल रहा है.
Congress accuses SEBI chairperson: सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की मुश्किलें थमती हुई नहीं दिख रही हैं. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के गंभीर आरोपों के बाद अब प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस लगातार उनकी नियुक्ति और अन्य मामलों पर हमलावर है. लगातार दूसरे दिन इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस ने बुच पर आरोप लगाया कि उन्हें ICICI बैंक में एवरेज सालाना सैलरी से ज्यादा एवरेज पेंशन मिल रहा है.
सेबी चेयरपर्सन पर उठाए सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने कल सेबी चेयरपर्सन की सैलरी पर एक खुलासा किया. इसमें हमने प्रधानमंत्री, सेबी और ICICI बैंक से एक सवाल पूछा था. उसमें से एक मोहरे का जवाब आया. इसमें ICICI बैंक का कहना है कि माधवी बूच को उन्होंने रिटायरमेंट बेनिफिट दिया है. बैंक का ये जवाब हमारे आरोपों को और मजबूत करता है.
सैलरी से अधिक कैसे मिल रही पेंशन
पवन खेड़ा ने पूछा कि हर साल माधबी पुरी की पेंशन की रकम कैसे बदल रही है. एक साल भुगतान बंद रहने के बाद 2016 में कैसे फिर से पैसे मिलने शुरू हो जएं.
उन्होंने कहा कि 2007 से 2014 तक ICICI बैंक में पुरी की एवरेज सालाना सैलरी 1.30 करोड़ है, जबकि उनकी पेंशन का एवरेज 2.77 करोड़ है.
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि ICICI के जवाब के बाद रिसर्च करने पर हमें इसकी जानकारी मिली है. उम्मीद है कि माधबी पुरी
बुच ये टेबल देखेंगी और इसका जवाब देंगी. हम ICICI बैंक से भी इसका जवाब मांगते हैं.
कांग्रेस ने की जेपीसी की मांग
पवन खेड़ा ने बुच पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और भाजपा की तरफ से इन सवालों पर कोई जवाब नहीं आया है. किसी खिलाड़ी को बचाने बादशाह नहीं आएगा. कानूनी कार्रवाई के रास्तों को भी देखा जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के पूर्व सांसद भी आरोप लगा रहे हैं इस मामले में, फिर भी सरकार के जवाब नहीं देने का मतलब आप समझ सकते हैं. इन नए खुलासे के बाद हम लगातार कार्रवाई और जेपीसी की मांग कर रहे हैं. वहीं, सेबी को खुद इस मामले में सफाई देना चाहिए, ताकि मार्केट रेगुलेटर पर भरोसा बना रहे.