सिंडिकेट बैंक के पूर्व AGM और अन्य के खिलाफ CBI ने किया केस दर्ज, 209 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला
Syndicate Bank scam: सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक में मर्ज हो चुका है) की तीन शाखाओं से 118 लोन अकाउंट को अप्रूव किया गया और लोन बांटे गए.
Syndicate Bank scam: सीबीआई (CBI) ने कारोबारी अनूप बरटारिया और सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank) के पूर्व एजीएम आदर्श मनचंदा सहित 16 अन्य के खिलाफ बैंक से कथित तौर पर 209 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में केस दर्ज किया है. इस संबंध में सीबाआई ने चार्जशीट दाखिल किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, अधिकारियों ने यह जानकारी दी है.
सिंडिकेट बैंक की तीन शाखाएं घेरे में
अधिकारियों ने बताया कि जयपुर स्पेशल कोर्ट में जमा किए गए चार्जशीट में सीबीआई ने चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत बम पर भी आरोप लगाए हैं. सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि चार्जशीट में यह आरोप लगाया गया कि सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक में मर्ज हो चुका है) की तीन शाखाओं, यानी एमआई रोड शाखा-जयपुर, मालवीय नगर शाखा-जयपुर और उदयपुर शाखा की तरफ से 118 लोन अकाउंट को अप्रूव किया गया और लोन बांटे गए. 118 लोन अकाउंट होम लोन, वर्ल्ड ट्रेड पार्क (डब्ल्यूटीपी) की कमर्शियल प्रॉपर्टी की खरीद के लिए होम लोन अकाउंट, ओडी लिमिट और विदेशी साख पत्र से जुड़े हैं.
फर्जी दस्तावेज पर लिया लोन
चार्जशीट में आगे आरोप लगाया है कि भारत बम ने बैंक अधिकारियों और दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची थी और क्रेटिड सुविधा का गलत फायदा उठाया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने यह भी कहा कि आरोपियों ने जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों, बिल, कोटेशन, सर्टिफिकेट्स, सहित दूसरों के आधार पर लोन लेकर बैंक से 209.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. यह भी आरोप लगाया कि कई उधारकर्ता सीए और दूसरे के स्वामित्व वाली फर्मों में ऐसे सामान्य कर्मचारी पाए गए जो हाई प्राइस के लोन के लिए योग्य नहीं थे.
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बैंक दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया
सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान पाया कि साजिश के तहत बम, बरटारिया और दूसरे ने कथित तौर पर सिंडिकेट बैंक एमआई रोड शाखा के अधिकारियों से संपर्क किया था ताकि वे वर्ल्ड ट्रेड पार्क लिमिटेड, जयपुर में स्थित कमर्शियल संपत्तियों की खरीद के लिए जाली इनकम के आधार पर टर्म लोन हासिल किया. चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन मैनेजर (महेश गुप्ता) सिंडिकेट बैंक, एमआई रोड शाखा ने सिफारिश की थी और तत्कालीन एजीएम/शाखा प्रमुख (मनचंदा), सिंडिकेट बैंक, एमआई रोड शाखा ने बैंक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके और बकाया राशि का इस्तेमाल किए बिना विभिन्न क्रेडिट सुविधाओं को मंजूरी दी थी.