केंद्र सरकार देश की सभी ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देश में चल रहे आजादी का अमृत महोत्सव समावेशी विकास के अंतर्गत "संगठन से समृद्धि अभियान" लॉन्च किया है. संगठन से समृद्धि अभियान का मकसद किसी ग्रामीण महिला को पीछे नहीं छोड़ना यानि सभी ग्रामीण समुदायों को एक साथ लाना है. आइए जानते हैं इस अभियान से जुड़ी पूरी जानकारी.

संगठन से समृद्धि अभियान का शुभारंभ

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सरकार ने सीमांत ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूह यानी (SHGs) से जोड़ने के लिए “संगठन से समृद्धि” अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का शुभारंभ केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने 18 अप्रैल को किया है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम से होने वाले लाभ को सभी वंचित ग्रामीण समुदाय तक पहुंचाना है.

संगठन से समृद्धि अभियान क्या है?

ग्रामीण और विकास मंत्रालय ने इस अभियान की शुरुआत 18 अप्रैल, 2023 को की है. दीनदयाल अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने 10 करोड़ लोगों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने के लिए संगठन से समृद्धि लॉन्च किया है. यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान है. इसके तहत सभी पात्र सीमांत ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाया जाएगा. यह अभियान 1.1 लाख SHGs की आशा के साथ सभी राज्यों में चलाया जाएगा. बता दें कि यह विशेष अभियान 30 जून, 2023 तक चलेगा. 

संगठन से समृद्धि अभियान का उद्देश्य

संगठन से समृद्धि अभियान का प्राथमिक उद्देश्य सुविधा वंचित ग्रामीण समुदायों को एक साथ लाना है. क्योंकि आज भी देश में अधिकांश ग्रामीण या महिलाएं दीनदयाल अंत्योदय योजना व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के लाभों से वंचित हैं. साथ ही इसका मकसद स्वयं सहायता समूह (SHGs) के अंतर्गत सभी कमजोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों को एक साथ लाना है. जिससे इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान किए जा रहे लाभ सभी ग्रामीण महिलाओं को मिल सकें.

SHGs से जुड़ेंगी 10 करोड़ महिलाएं

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया है कि सरकार का लक्ष्य दस करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का है. दरअसल अब तक देश में स्वयं सहायता समूह से लगभग 9 करोड़ महिलाएं जुड़ी है. इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि मई, 2014 में यह संख्या मात्र दो करोड़ 35 लाख थी जो अब बढ़कर नौ करोड़ से अधिक हो गई है. इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब कुल 10 करोड़ SHGs सदस्य लखपति दीदियां बन जाएंगी, तब देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.

भारत में ग्रामीण आबादी का हिस्सा 65 प्रतिशत

संगठन से समृद्धि अभियान के शुभारंभ के मौके पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत की कुल जनसंख्या में ग्रामीण आबादी का हिस्सा 65 प्रतिशत है. इसलिए, यह अति महत्वपूर्ण है कि इन क्षेत्रों की महिलाओं को देश को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाने के लिए हर संभव अवसर प्रदान किए जाएं. हालांकि देश में ग्रामीण महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी आजीविका में सुधार लाने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम योजना शुरू की गई थी.

SHGs से महिलाओं को मिली आर्थिक स्वतंत्रता

इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से SHGs यानी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भाग लिया. इस दौरान बिहार, त्रिपुरा, तेलंगाना, महाराष्ट्र तथा हरियाणा की महिलाओं ने अपने-अपने अनुभव भी साझा किया. इसके साथ ही महिलाओं ने बताया कि कैसे डीएवाई-एनआरएलएम एसएचजी आंदोलन ने उन्हें आजीविका के अवसर पैदा करके गरीबी से बाहर निकलने में मदद की, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिली और उनका सामाजिक सशक्तिकरण हुआ.

SHGs क्या है?

स्वयं सहायता समूह यानी Self help Group के अन्तर्गत समान आय वर्ग से सम्बंधित महिलाएं शामिल होती है. इससे जुड़ी महिलाएं समूह के हर एक सदस्य को आर्थिक सहायता करती हैं. इसका उद्देश्य हाशिए पर खड़े समाज के सभी वंचित वर्गों को आर्थिक रूप से मुख्य धारा में लाना है.

(रिपोर्ट: PBNS)

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