लाडली बहना योजना पर सवार MP में सत्ता में आई BJP सरकार पर टूटा कर्ज का पहाड़, बंद करेगी कई योजनाएं
नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री मोहन यादव पर बढ़ते कर्ज और नई सरकार के गठन के साथ ही कई योजनाओं पर कटौती की तलवार लटक गई है.
जब इस महीने की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चुनाव जीतकर सत्ता में आई तो एक नाम सबकी जुबान पर था, और वो था लाडली बहना का नाम. कहा गया कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की ओर से चलाई गई लाडली बहना योजना की वजह से महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के लिए वोटबैंक बना. इस योजनाओं के तहत महिलाओं को सालाना 15,000 रुपये की जो राशि सरकार की ओर से दी जा रही थी, उसका बड़ा फायदा पहुंचा. लेकिन अब लग रहा है कि पिछली सरकार में दिल खोलकर योजनाओं पर किए गए खर्चे इस सरकार के सिर का दर्द बन गए हैं.
दरअसल, नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री मोहन यादव पर बढ़ते कर्ज और नई सरकार के गठन के साथ ही कई योजनाओं पर कटौती की तलवार लटक गई है. वित्त विभाग ने कई विभागों को योजनाओं को आगे बढ़ने से पहले अनुमति लेने की निर्देश जारी कर दिए हैं.
नई सरकार पर कितना कर्ज?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार पर लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज है और आगामी समय में संचालित योजनाओं के लिए उसे और कर्ज की जरूरत है. ऐसी स्थिति में कई योजनाओं को गति से चला पाना आसान नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा वित्त विभाग ने वर्तमान स्थिति को देखते हुए सभी विभागों को राजस्व संग्रहण का लक्ष्य हासिल करने का तो निर्देश दिया ही है, साथ ही कई विभागों की योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी गई है.
कई योजनाओं पर लगी रोक
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सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग ने नगरीय प्रशासन विभाग की कई योजना सहित धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य विभाग की योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी है. इसका असर सीधे तौर पर महाकाल परिसर विकास योजना, मेट्रो ट्रेन के अलावा तीर्थ दर्शन योजना पर पड़ने का अनुमान है, वहीं बगैर अनुमति के राशि खर्च न करने की भी हिदायत दी गई है. सूत्रों का कहना है कि सरकार पर सबसे ज्यादा भार पूर्व से संचालित छात्राओं को स्कूटी देने, लाडली बहनाओं को राशि देने, साढ़े चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने, पंचायत कर्मचारी का वेतन बढ़ाने, संविदा कर्मचारियों के मानदेय में इजाफा साथ ही कॉलेज के अतिथि विद्वानों का मानदेय निर्धारित किए जाने से सरकार की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड़ा है.
साथ ही चुनाव के दौरान की गई घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकार को लगभग 25 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ सकता है. ऐसे में प्रदेश पर कर्ज का बोझ और बढ़ेगा, परिणामस्वरूप वित्त विभाग ने कई योजनाओं पर राशि खर्च करने पर रोक लगा दी है.
04:21 PM IST