अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम और पेट्रोल, डीजल के चढ़ते दाम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और आयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) की तेल एवं गैस उत्पादन स्थिति की शुक्रवार को समीक्षा की. समीक्षा का मकसद इस बात का आकलन करना था कि देश के कच्चे तेल आयात में 10 प्रतिशत कमी लाने के लक्ष्य को किस प्रकार हासिल किया जायेगा.

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बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर तथा आयल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक उत्पल बोरा ने अपनी-अपनी कंपनियों के अगले पांच साल में तेल एवं गैस उत्पादन के बारे में जानकारी दी. बैठक में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और पेट्रोलियम सचिव एम एम कुट्टी भी मौजूद थे.

मोदी ने मार्च 2015 में देश की तेल एवं गैस आयात पर निर्भरता को कम कर 2022 तक कुल जरूरत के 67 प्रतिशत पर लाने का आह्वान किया था. उन्होंने इसके लिये वित्त वर्ष 2013-14 में तेल आयात पर 77 प्रतिशत निर्भरता को आधार बनाया था. हालांकि, उसके बाद से आयात बढ़ा है. पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार देश की तेल आयात पर निर्भरता 2016-17 में बढ़कर 81.7 प्रतिशत और 2017-18 में 82.8 प्रतिशत पर पहुंच गई. चालू वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल-अगस्त के दौरान यह बढ़कर 83.2 प्रतिशत हो गई.

सूत्रों ने कहा कि कच्चे तेल के उत्पादन में हल्की वृद्धि का अनुमान है, वहीं प्राकृतिक गैस उत्पादन 24 अरब घन मीटर प्रतिदिन से बढ़कर 42 अरब घन मीटर प्रतिदिन पहुंच जाने का अनुमान है. इसका मुख्य कारण ओएनजीसी के केजी बेसिन गैस फील्ड से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार सरकार चाहती है कि घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए और एथनॉल जैसे जैव-ईंधन का उपयोग बढ़ाया जाये. 

देश का कच्चे तेल का उत्पादन 2016-17 में 3.6 करोड़ टन से घटकर 2017-18 में 3.57 करोड़ टन रहा. बैठक में यह रेखांकित किया गया कि सरकार ने खोज एवं उत्पादन नीति में बदलाव किया है और उसे निवेशकों के लिये अधिक लचीला बनाया गया है. खोज एवं उत्पादन कंपनियां अब कानूनी रूप से उन फील्डों से शेल गैस तथा कोयले से मिथेन गैस निकालने जैसे गैर-परंपरागत संसाधनों का उपयोग कर सकती है जो उन्हें परंपरागत तेल एवं गैस उत्पादन के लिये दिया गया है.

सूत्रों ने कहा कि इन उपायों से तेल एवं गैस उत्पादन बढ़ेगा लेकिन इसमें कुछ साल लगेंगे. ओएनजीसी बंगाल की खाड़ी स्थित ब्लाक केजी-डीडब्ल्यूएन-98 /2 या केजी डी-5 में खोजे गये फील्डों से उत्पादन के लिये 5.07 अरब डालर का निवेश कर रही है. वहां से गैस उत्पादन दिसंबर 2019 और तेल मार्च 2021 तक शुरू होने की उम्मीद है.