देश में इथेनॉल ब्लेंडिंग का प्रोग्राम सुचारू रूप से चलता रहे, इसे लेकर सरकार एक बड़ा कदम उठा सकती है. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि मोलासेस (molasses) के एक्सपोर्ट पर ड्यूटी लग सकती है. जानकारी है कि मोलासेस पर 40 से 60% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने पर सरकार विचार कर रही है. साथ ही इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को सुचारू रखने के लिए जल्द कुछ और कदम भी उठाए जा सकते हैं, जिसमें इथेनॉल की कीमतें रिवाइज करना अहम है.

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दरअसल, मौसम की वजह से गन्ने का उत्पादन कम होने की संभावना है. और चूंकि भारत ग्लोबल सप्लाई का 25% हिस्सेदार है, ऐसे में एक्सपोर्ट के दबाव के चलते इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम प्रभावित हो सकता है. ऐसी आशंकाओं को देखते हुए ही महाराष्ट्र सरकार ने भी मोलासेस के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया है. जल्द कई राज्य इसको लेकर नीति जारी कर सकते हैं.

Ethanol Production के लिए गाइडलाइंस

हाल ही में केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थीं, जिसमें कहा गया था कि एथेनॉल प्रोसेसिंग (Ethanol Processing) के लिए एनएसआई (NSI) से टेक्निकल मान्यता अनिवार्य होगी. अब चीनी मिल्स और डिस्टिलरीज को एथेनॉल प्रोसेसिंग के लिए  नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (NSI) से टेक्निकल मान्यता जरूरी होगी. इसके अलावा, राज्य के एक्साइज डिपार्टमेंट (Excise Department) से भी सर्टिफिकेट साझा करना होगा. ग्रेन (Grain), शुगर (Sugar), जूस (Juice), मोलेसेस (Molasses) से उत्पादित एथेनॉल के लिए अलग स्टोरेज और सिलोस रखना होगा. वैक्यूम पैन शुगर फैक्ट्री है तो दोनों स्ट्रीम में डाइवर्जन और उसका वैलिडेशन अनिवार्य होगा.

सरकार ने आपूर्ति वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों को एथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और B-हैवी शीरा दोनों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. लेकिन इसके लिए दी जाने वाली चीनी की अधिकतम सीमा 17 लाख टन तय की गई है.