Deepfake Video: सरकार ने डीपफेक (Deepfake) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार जल्द ही डीपफेक मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से चर्चा करेगी और अगर प्लेटफॉर्म्स ने इस संबंध में जरूरी कदम नहीं उठाए तो उन्हें आईटी अधिनियम के ‘सेफ हार्बर’ (Safe Harbor) इम्यूनिटी सेक्शन के तहत संरक्षण नहीं मिलेगा.

क्या है डीपफेक (Deepfake)?

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वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने की डीपफेक कहते हैं. मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने ये वीडियो किसी को भी आसानी से धोखा दे सकते हैं.

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Deepfake को रोकने का आदेश

वैष्णव ने कहा कि सरकार ने हाल ही में डीपफेक मुद्दे पर कंपनियों को नोटिस जारी किया था और प्लेटफार्मों ने जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि लेकिन कंपनियों को ऐसी सामग्री पर कार्रवाई करने में अधिक आक्रामक होना होगा. वैष्णव ने कहा, वे कदम उठा रहे हैं…लेकिन हमें लगता है कि कई और कदम उठाने होंगे और हम बहुत जल्द …शायद अगले 3-4 दिनों में सभी प्लेटफॉर्म्स की एक बैठक करने जा रहे हैं. हम उन्हें इस पर विचार-मंथन के लिए बुलाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि प्लेटफॉर्म इसे (Deepfake) रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास करें और अपने सिस्टम को साफ करें.

यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक के लिए मेटा (Meta) और गूगल (Google) जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को बुलाया जाएगा, मंत्री ने सकारात्मक जवाब दिया. वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया कि आईटी अधिनियम के तहत प्लेटफॉर्म्स को वर्तमान में जो ‘सुरक्षित हार्बर प्रतिरक्षा’ मिला है, वह तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि वे पर्याप्त कार्रवाई नहीं करते.

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इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगाह किया था कि कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा बनाए गए डीपफेक बड़े संकट का कारण बन सकते हैं और समाज में असंतोष पैदा कर सकते हैं. उन्होंने मीडिया से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया. हाल ही में प्रमुख अभिनेताओं को निशाना बनाने वाले कई डीपफेक वीडियो (Deepfake Video) वायरल हुए, जिनसे आक्रोश फैल गया.