खाने-पीने की चीजें अभी महंगी बनी रहेगी, राहत के लिए करना होगा थोड़ा इंतजार
जून के महीने में महंगाई चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई क्योंकि फूड इंफ्लेशन हाई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी कुछ समय के लिए हाई फूड इंफ्लेशन बना रहेगा.
खाने-पीने की चीजें महंगी होने के कारण जून के महीने में खुदरा महंगाई दर चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. NSO की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जून के महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़कर 9.36 फीसदी हो गई जो मई में 8.69 फीसदी पर थी. इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आएगी और खुदरा महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी के बीच स्थिर होने की उम्मीद है. बता दें कि जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.08 फीसदी हो गई.
खरीफ के लिए पर्याप्त बारिश की उम्मीद
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, जून में बारिश कम हुई, लेकिन यह कोई चिंता की बात नहीं है, क्योंकि खरीफ के लिए जुलाई और अगस्त की बारिश ही मायने रखती है. बता दें कि इस समय प्याज 60 से 70 रुपए किलो, टमाटर 70 रुपए किलो, आलू 40 रुपए किलो, लहसुन 300 रुपए किलो, खीरा 60 रुपए किलो, अरबी 80 रुपए किलो, नींबू 150 रुपए किलो तक बिक रहा है. बारिश की वजह से सब्जियों के दामों में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है. इधर जून के महीने में गैर-खाद्य महंगाई में लगातार 17वें महीने कमी आई है और यह 2.3 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है.
मानसून की प्रगति से महंगाई घटेगी
क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिक्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि मानसून की प्रगति और बुवाई में तेजी से कृषि उत्पादन में सुधार होगा और आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में कमी आएगी. आगामी महीनों में हम खाद्य महंगाई में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे मुख्य महंगाई औसतन 4.5 फीसदी तक नीचे आ जाएगी. पर, आने वाली नीति में दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है, क्योंकि आरबीआई 4 फीसदी टिकाऊ महंगाई का लक्ष्य लेकर चल रहा है.''
मई में खुदरा महंगाई दर 4.75% रही थी
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मई में महंगाई घटकर 4.75 फीसदी पर आ गई थी, जो 12 महीने का सबसे निचला स्तर था, जबकि अप्रैल में यह 4.83 फीसदी पर आ गई थी, जो 11 महीने का सबसे निचला स्तर था. जून के आंकड़े हाल के महीनों में शुरू हुई गिरावट के रुझान से अलग हैं.
नॉन-फूड इंफ्लेशन कंट्रोल में है
ICRA की चीफ इकोनॉमिक्ट अदिति नायर ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थों को छोड़कर, अन्य सभी सब-ग्रुप्स में महंगाई जून में 4 फीसदी के निशान से नीचे रही. उन्होंने कहा, "आमतौर पर जुलाई के महीने में खरीफ की लगभग 50 फीसदी बुवाई होती है, इसलिए बुवाई को तेज करने के लिए अगले कुछ हफ्तों में सभी क्षेत्रों में पर्याप्त बारिश होना जरूरी है." आईसीआरए का अनुमान है कि जुलाई में मुख्य सीपीआई महंगाई घटकर 2.5-3 फीसदी रह जाएगी, जो पूरी तरह से अनुकूल आधार प्रभाव के कारण होगा.
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
01:42 PM IST