Budget 2023: आजाद भारत का पहला बजट फरवरी में नहीं, इस महीने में पेश किया गया था.. जानें बजट से जुड़ी ये रोचक बातें
बजट को लेकर काउंटडाउन शुरू हो चुका है. आज 11 बजे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पांचवां बजट पेश करने जा रही हैं. यहां जानिए बजट के इतिहास से जुड़ी रोचक बातें.
आजाद भारत का पहला बजट फरवरी में नहीं, इस महीने में पेश किया गया था.. जानें बजट से जुड़ी ये रोचक बातें
आजाद भारत का पहला बजट फरवरी में नहीं, इस महीने में पेश किया गया था.. जानें बजट से जुड़ी ये रोचक बातें
Union Budget 2023: बजट को लेकर काउंटडाउन शुरू हो चुका है. आज 11 बजे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पांचवां बजट पेश करने जा रही हैं. भारत में बजट पेश करने का इतिहास काफी पुराना है. समय के साथ बजट में भी कई बदलाव किए गए. कई ऐसे किस्से भी बजट के इतिहास में दर्ज हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं हैं. ब्लैक बजट, उदारवादी बजट और ड्रीम बजट भी बजट की हिस्ट्री में शामिल हैं. आइए आपको बताते हैं बजट से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
बजट से जुड़ी रोचक बातें
- आजाद भारत का पहला बजट फरवरी के महीने में नहीं बल्कि नवंबर में पेश किया गया था. इस बजट को 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी ने पेश किया था. वकील और अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ एक राजनेता के तौर पर भी सक्रिय वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी द्वारा पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट में टैक्स प्रस्ताव नहीं था. इस बजट में 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 तक के साढ़े 7 महीने की अवधि को ही कवर किया गया था.
- साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था. बाद में, 1955-56 से, सरकार ने इसे हिंदी में भी प्रकाशित करना शुरू कर दिया. इसका श्रेय देश के तीसरे वित्त मंत्री सीडी देशमुख को जाता है. सीडी देशमुख भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर भी रह चुके हैं. अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक का गर्वनर बनाया था. उन्होंने 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949 तक इस पद को संभाला था.
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- साल 1973-74 देश में ब्लैक बजट पेश किया गया था. ये बजट 550 करोड़ रुपए के घाटे का था. उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश में सूखे के कारण पैदा हुए हालात और खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी की वजह से बजटीय घाटा बढ़ गया है. इसलिए 'ब्लैक बजट' पेश करने की स्थिति आन पड़ी है. तब से इस बजट को 'Black Budget' कहा जाने लगा. आजाद भारत में आज तक सिर्फ एक बार ही 'Black Budget' पेश किया गया है.
- 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने जो बजट पेश किया था, उसे उदारीकरण बजट के रूप में माना जाता है. उस बजट में विदेश की कंपनियों को भारत में कारोबार करने के लिए खुली छूट दे दी गई थी. यही से भारत के उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई थी. इसके बाद भारतीय कंपनियों का भी देश के बहार व्यापार करना आसान हो गया था.
- वित्तीय वर्ष 1997-98 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भारत के ड्रीम बजट के रूप में जाना जाने वाला पेश किया. उन्होंने व्यक्तिगत आयकर के साथ-साथ कॉर्पोरेट करों के टैक्स स्लैब को कम किया जिसने आम लोगों का दिल जीत लिया. साथ ही इस बजट में आईटी सेक्टर को बढ़ावा मिला.
- साल 1999 तक बजट को शाम 5 बजे पेश किया जाता था. ये परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही थी. दरअसल ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश होता है, ब्रिटिश घड़ी के हिसाब से भारत में बजट पेश करने के लिए शाम पांच बजे का समय निर्धारित किया गया था. आजादी के बाद भी ये परंपरा नहीं बदली गई. लेकिन वित्त वर्ष 1999-2000 के लिए बजट पेश करते समय एनडीए की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को बदल दिया और 27 फरवरी 1999 को सुबह 11 बजे पेश किया गया. तब से बजट हर साल सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता है.
- साल 2017 से पहले तक बजट हर साल फरवरी के आखिर में पेश किया जाता था. मोदी सरकार में इस परंपरा को बदला गया. साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 1 फरवरी को बजट पेश किया था और तब से 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा जारी है.
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08:29 AM IST