Wheat Cultivation: धान की फसल देर से कटने की वजह से कई किसानों ने देर से गेहूं की बुआई (Wheat Sowing) की है. कई ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने अबतक गेहूं की बुआई नहीं की है. वैसे किसान कम अवधि के गेहूं के किस्म का चयन कर सकते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिसर (ICAR) के मुताबिक, अगर किसान देर से गेहूं की बुआई कर रहे हैं तो उच्च तापमान रोधी किस्म का चयन करें. सही समय पर खाद और पानी भी दें. वहीं, उस क्षेत्र के लिए वह किस्म कितना उपयुक्त है इस बात का खास ध्यान रखें.

देर से बुआई में कितना लगेगा बीज

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नवंबर से पहले ठंड जल्दी आ जाती थी. अब ठंड देर से आती है. किसान अगर नवंबर के अंत तक भी गेहूं लगा लेते हैं तो ठीक है. पहले अक्टूबर से धान की बुआई शुरू हो जाती थी. नवंबर के तीसरे हफ्ते तक 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज लगा सकते हैं. देर होने पर 125 किलो बीज लगाना पड़ता है. वहीं, 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, 40 किलो पोटास प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए.

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जीरो टिलेज के माध्यम से बुआई करें

गेहूं के बंपर उत्पादन के लिए शानदार किस्म का चयन कर सही समय पर लगाना बेहद जरूरी है. कोशिश करें कि जीरो टिलेज के माध्यम से बुआई करें. ऐसा करने से कम खर्च में ज्यादा आय होगी. मिट्टी का स्वास्थ्य और पर्यावरण का संतुलन भी बना रहेगा.

किस्म  अवधि (दिनों में)  उत्पादन (क्विंटल प्रति हेक्टेयर में)
 पीडीडब्ल्यू 373  110-115 दिन  35-40 क्विंटल
 एचडी 2985  105-110 दिन  40-42 क्विंटल
 डीबी डब्ल्यू 14  110-115 दिन  30-35 क्विंटल
 एन डब्ल्यू 1014  110-115 दिन  35-40 क्विंटल
 एचडी 2643  105-110 दिन  35-40 क्विंटल
 एचपी 1633  105-110 दिन  35-40 क्विंटल

गेहूं की फसल में कितनी सिंचाई जरूरी

पहली सिंचाई बुआई से 20-25 दिनों पर, दूसरी सिंचाई जब कल्ले निकले यानी 40-45 दिनों पर और तीसरी 60-65 दिनों पर करनी चाहिए. चौथी 85-90 दिनों यानी जब पुष्पन की अवस्था आ जाती है. पांचवीं सिंचाई 100-15 दिनों पर जब गेहूं की दूधिया अवस्था आ जाती है.

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