Success Story: वक्त बदलने के साथ नई पीढ़ी के काम का अंदाज भी बदल रहा है. इसका उदाहरण हैं मध्य प्रदेश के खरगोन के रवि पाल. उनके परिजन पारंपरिक खेती करते थे, मगर रवि ने उद्यानिकी (Horticulture) फसलों में हाथ आजमाए और उनके इस प्रयास ने सब कुछ बदल दिया. फिलहाल उनके उत्पाद को बड़ा बाजार तो मिला ही है, साथ में मुनाफा भी खूब हो रहा है. खरगोन जिले के कसरावद जनपद के टिगरिया गांव के रवि पाल ने नई सोच और शासन के संसाधन व प्रशासन के मार्गदर्शन से उद्यानिकी फसलों के एक स्थापित युवा किसान बनकर उभरे हैं.

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बात कोरोना से पहले 2015-16 की है. रवि के पिता वल्लभ ने अपने बेटे को पूरा काम सौंप दिया. एग्रीकल्चर में छत्तीसगढ़ से डिप्लोमा करने वाले रवि अपने पिता के भरोसे पर खरे उतरे. रवि ने उद्यानिकी फसलों की शुरुआत करते हुए पहले खरबूजे और तरबूज से शुरूआत की. इसके बाद उन्होंने केले और पपीते का प्रयोग किया, जो आज उनके लिए बड़े फायदेमंद साबित हो रहे हैं.

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फलों की खेती से अच्छा मुनाफा

रवि पाल बताते हैं कि पारंपरिक खेती छोड़ने के बाद पूरी तरह उद्यानिकी फसलों की खेती से अच्छा मुनाफा होने लगा तो परिवार के लोगों ने सहयोग दिया. केले (Banana) और पपीते (Papaya) निमरानी औद्योगिक नगर की कंपनी ने एक्सपोर्ट किया जिससे उन्हें बड़ा बाजार मिला. साथ ही खरबूजे और तरबूज निमाड़ सहित उज्जैन के व्यापारियों की दिलचस्पी ने उनका काम आसान कर दिया. अब हाथों हाथ अच्छे दाम के साथ फल बिक जाते हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में फलों की खेती से अच्छा मुनाफा होने लगा है.

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(Input- IANS)