बिहार में स्मार्ट खेती पर जोर, 'फसल' करेगा किसानों की फसलों की भविष्यवाणी
Smart Farming: यह मशीन सोलर पावर से चलती है. इस मशीन के अंदर सिम लगी हुई है, जिसमें कई सेंसर लगे हुए हैं. यह सिंचाई, रोग और कीड़ों से बचाव के लिए छिड़काव, उर्वरक का प्रयोग के बारे में भी जानकारी देगी.
Smart Farming: बिहार के समस्तीपुर, पूसा स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने इन दिनों ड्रोन तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आईआईटी आधारित खेती की तकनीक पर प्रयोग शुरू करने पर जोर दिया है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने वैज्ञानिकों को भी इसके लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि तकनीक के प्रयोग से ही हम किसानों (Farmers) को लाभ पहुंचा सकते हैं.
फसल करेगा किसानों की फसलों की भविष्यवाणी
उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के एक्सपेरिमेंटल फील्ड में आईसीएआर -एआईसीआरपी (फल) एवं एनआरसी, केला के सौजन्य से डेटा संचालित स्मार्ट खेती के लिए एक मशीन लगाया गया, जिसका नाम 'फसल' (Fasal) है. उन्होंने कहा कि फसल किसानों की फसलों की भविष्यवाणी करेगा.
ये भी पढ़ें- जीरो टिलेज मशीन से करें धान की सीधी बुआई, कम खर्च में होगी तगड़ी कमाई
सोलर पावर से चलती है यह मशीन
TRENDING NOW
Maharashtra Winners List: महाराष्ट्र की 288 सीटों पर कौन जीता, कौन हारा- देखें सभी सीटों का पूरा हाल
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
Maharashtra Election 2024: Mahayuti की जीत के क्या है मायने? किन शेयरों पर लगाएं दांव, मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया टारगेट
उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह मशीन सोलर (Solar Power) द्वारा संचालित होती है. इस मशीन के अंदर सिम लगी हुई है, जिसमें कई सेंसर लगे हुए हैं, जिसके माध्यम से यह मशीन फसल के आस पास का माइक्रो और मैक्रो क्लाइमेट (जलवायु) से संबन्धित अलग-अलग पैरामीटर जैसे तापक्रम, आद्रता, हवा का दबाव, हवा की गति, सूर्य का प्रकाश, वर्षा व वर्षा के दिन, पत्ती की नमी, मृदा की नमी, मृदा का तापमान, मिट्टी की नमी, वर्षा के साथ-साथ केला फसल के आदर्श विकास स्थितियों और संसाधन जरूरतों की भविष्यवाणी करने के लिए खेत स्तर के डेटा का उपयोग करता है. यह मशीन सिंचाई, रोग एवं कीड़ों से बचाव के लिए छिड़काव, उर्वरक का प्रयोग के विषय में भी जानकारी देगी.
ये भी पढ़ें- इन तीन फूलों की खेती से हो जाएंगे मालामाल, होगी तगड़ी कमाई
उन्होंने कहा कि इस मशीन के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के एक्सपेरिमेंटल फील्ड में लगने से रोग और कीड़े से संबन्धित अनुसंधान को एक नया आयाम मिलेगा. इस मशीन के लग जाने से वातावरण के अलग-अलग पैरामीटर और केला के पौधों के बीच के संबंध को समझने और नए-नए अनुसंधान की योजना में सहूलियत मिलेगी.
ये भी पढ़ें- परंपरागत खेती छोड़ शुरू की अमरूद की खेती, एक साल में ₹25 लाख का मुनाफा
फसल से मिलेगी ये जानकारी
डॉ एस के सिंह ने बताया कि यह मशीन फसल प्रणाली लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी में पानी की उपलब्धता की जांच करती है कि फसल की सिंचाई की जरूरत हर समय फसल, उसकी अवस्था और मिट्टी की विशेषताओं के आधार पर पूरी हो. फसल आपको भविष्य के मौसम के जोखिमों के लिए अच्छी तरह से तैयार रखने के लिए अगले 14 दिनों के लिए खेत-विशिष्ट सूक्ष्म-जलवायु पूवार्नुमान प्रदान करता है, जिसकी वजह से बागवानी को अपनी फसल से संबन्धित कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने मे सहूलियत होती है. फसल किसान की फसलों और गतिविधियों की दैनिक प्रगति भी बताती है.
ये भी पढ़ें- PM Kisan: 14वीं किस्त के लिए कर लें ये तीन काम
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
02:27 PM IST