DAP के मुकाबले NPK का इस्तेमाल करें किसान, कम खर्च में होगा ज्यादा फायदा
Fertilizers: रबी फसलों जैसे गेहूं, सरसों, मटर, आलू, चना आदि फसलों में डीएपी के स्थान पर एनपीके (12:32:16) व सिंगल सुपर फॉस्फेट डीएपी से सस्ता पड़ता है. इसकी वजह से उत्पादन लागत में कमी आती है.
Fertilizers: खरीफ फसलों की कटाई समाप्ति की और है, रबी फसलों की बुवाई चल रही है. किसान डीएपी (DAP) की जगह एनपीके (NPK) का इस्तेमाल करें. किसान डीएपी का इस्तेमाल काफई समय से करते आ रहे हैं, जबकि कृषि वैज्ञानिकों के रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि रबी फसलों जैसे गेहूं, सरसों, मटर, आलू, चना आदि फसलों में डीएपी के स्थान पर एनपीके (12:32:16) व सिंगल सुपर फॉस्फेट डीएपी से सस्ता पड़ता है. इसकी वजह से उत्पादन लागत में कमी आती है.
डीएपी में उपलब्ध 18 फीसदी नाइट्रोजन में से 15.5 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फॉस्फोरस में से मात्र 39.5 फीसदी फॉस्फोरस का इस्तेमाल ही पौधे कर पाते हैं. बाकी नाइट्रोन व फॉस्फोरस अघुलनशील रह जाता है. यह क्षारीय प्रकृति का उर्वरक है. अघुलनशील रहा फॉस्फोरस जमीन को बंजर कर देता है.
ये भी पढ़ें- दूध ही नहीं अब गाय का गोबर भी बिकेगा, हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला, कमा सकते हैं तगड़ा मुनाफा
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
डीएपी (DAP) के अधिक इस्तेमाल से पौधों की अन्यू सक्ष्म पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है. डीएपी के घुलने पर अमोनिया गैस का स्राव होता है. यह नव अंकुरित बीज की जड़ों के विकास को धीमा कर देता है.
एनपीके (12:32:16) गेहूं, सरसों, मटर, आलू और चना आदि फसलों के लिए बहुआयामी उर्वरक है. इसमें नाइट्रोजन व फॉस्फोरस के साथ पोटश भी होता है जो रबी सीजन की दाने वाली फसलों की गुणवत्ता के साथ ही पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है. पौधों के तने और जड़ें मजबूत होती हैं. जिससे फसल प्रतिकूल मौसम में खराब नहीं होती. एपीके पानी में पूरी तरह से घुलनशील है. जिससे पोषक तत्व पौधों को आसानी से मिल जाते हैं. पोषकतत्तवों का अपव्यय नहीं होता.
12:40 PM IST